समावेशी विकास क्या है? (What is Inclusive Growth?)

- समावेशी विकास का अर्थ है ऐसा आर्थिक विकास (economic growth) जो समाज के हर वर्ग (every section of society) को लाभ पहुंचाए, और गरीबी में कमी (reduction in poverty) आए।
- यह सिर्फ तेजी से विकास (rapid growth) करने की बात नहीं करता, बल्कि यह भी देखता है कि:
- यह विकास कैसे हो रहा है (how growth is achieved),
- इससे रोजगार के अवसर (employment opportunities) कैसे बढ़ रहे हैं, और
- यह वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ (benefits to the needy) कैसे पहुँचा रहा है।
समावेशी विकास की विशेषताएँ (Features of Inclusive Growth)
- सभी के लिए लाभकारी (Benefit to all): विकास का लाभ केवल कुछ लोगों (a few individuals) तक सीमित न होकर हर वर्ग (all sections) तक पहुँचना चाहिए।
- न्यायसंगत अवसर (Equal Opportunity): सभी को बाजार, संसाधन और नियामक वातावरण (market, resources, and regulatory environment) तक समान पहुंच मिलनी चाहिए।
- उत्पादक रोजगार (Productive Employment): केवल रोजगार बढ़ाना (job creation) ही नहीं, बल्कि रोजगार की गुणवत्ता (job productivity) भी बढ़ानी चाहिए।
- आय वितरण पर नहीं, उत्पादन पर बल (Focus on productivity, not just redistribution): यह केवल आय को दोबारा बाँटने (redistribution of income) की नीति नहीं है, बल्कि यह उत्पादनशीलता (productivity) बढ़ाकर समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
- सरकार की भागीदारी (Role of Government): विकास में मुख्य भूमिका बाजार की ताकतें (market forces) निभाती हैं, लेकिन सरकार को सहायक और मार्गदर्शक (facilitator and supporter) की भूमिका निभानी होती है।
भारत में समावेशी विकास के प्रमुख कारक (Key Factors of Inclusive Growth in India)
- शिक्षा (Education): सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (quality education) तक पहुँच जरूरी है।
- स्वास्थ्य सेवाएँ (Healthcare Services): सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ (affordable and accessible healthcare) समावेशी विकास में योगदान देती हैं।
- आधारभूत संरचना (Infrastructure): ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सड़कों, बिजली, पानी, और डिजिटल सुविधाओं (roads, electricity, water, digital services) का विकास।
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion): सभी को बैंकिंग, बीमा, और ऋण सेवाओं (banking, insurance, credit services) तक पहुँच दिलाना।
- लैंगिक समानता (Gender Equality): महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व (education, employment, and leadership) में भागीदारी।
- क्षेत्रीय संतुलन (Regional Balance): पिछड़े राज्यों और क्षेत्रों में विशेष ध्यान (special attention) देना।
समावेशी विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक(Major Factors Affecting Inclusive Growth)
असमानता (Inequality)
- हमारे समाज में मौलिक असमानताएँ (structural inequalities) हैं, जिन्हें केवल व्यक्तिगत मतभेदों (individual differences) से नहीं समझाया जा सकता।
- सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संरचनाएँ (socio-economic and political structures) इन असमानताओं को बनाए रखती हैं और विकास में बाधा (obstruct development) उत्पन्न करती हैं।
- समावेशी विकास का उद्देश्य इन असमानताओं को कम करना (reduce) और निष्पक्षता (equity/fairness) को बढ़ावा देना है।
- वैश्वीकरण (globalization) के कारण असमानता और बढ़ी है, जिससे समावेशी विकास के सामने नई चुनौतियाँ (challenges) पैदा हो रही हैं।
- ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित समूह (historically marginalized groups) — जैसे अल्पसंख्यक (minorities), महिलाएं (women), विकलांग लोग (persons with disabilities) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (economically disadvantaged people) — को समान भागीदारी के साथ विकास में शामिल करना जरूरी है।
सामाजिक बहिष्कार (Social Exclusion)
- सामाजिक समावेशन (social inclusion) या बहिष्कार (exclusion) व्यक्ति के सामाजिक और संबंधपरक संदर्भ (social and relational context) से जुड़ा होता है।
- सामाजिक संरचनाएं कुछ व्यक्तियों को सामाजिक जीवन में भागीदारी (participation in social life) से वंचित करती हैं, जिससे वे मुख्यधारा से कट (marginalized) जाते हैं।
- यहाँ तक कि आर्थिक रूप से उन्नत देश (economically developed nations) भी हाशियाकरण (marginalization) और बहिष्करण (exclusion) की समस्या से जूझते हैं, जिससे कुछ समुदायों को अवसरों तक सीमित पहुंच (limited access to opportunities) मिलती है।
गरीबी (Poverty)
- सामाजिक बहिष्कार का सबसे अधिक असर गरीबों (the poor) पर पड़ता है।
- बहिष्कार जितना गहरा होता है, उसका प्रभाव उतना ही विनाशकारी (destructive) होता है।
- गरीबी सिर्फ आय (income) की कमी नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, भागीदारी (education, health, security, participation) जैसे कई आयामी अभाव (multi-dimensional deprivations) होते हैं।
- गरीबों को निर्णय प्रक्रिया (decision-making process) में बहुत कम स्थान मिलता है, जिससे वे विकास में हिस्सेदारी नहीं कर पाते।
- समावेशी विकास उन्हें अपनी क्षमताओं को बढ़ाने (enhance their capabilities), अधिक उत्पादक बनने (become more productive) और आय में वृद्धि (increase income) करने का अवसर देता है।
विविध असमानताएँ (Multiple Inequalities)(Based on region, gender, caste, and class)
- भारत में क्षेत्रीय (regional), लिंग आधारित (gender-based), जातिगत (caste-based) और वर्ग आधारित (class-based) असमानताएं व्यापक हैं।
- ये असमानताएं विभिन्न कारकों से प्रभावित होती हैं:
प्राकृतिक कारक (Natural Factors):
- भूगोल (geography), जलवायु (climate), और संसाधनों की उपलब्धता (resource availability) किसी क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं (economic potential) को प्रभावित करती है।
सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Socio-Cultural Factors):
- समाज के मूल्य, परंपराएँ और मान्यताएँ (values, traditions, beliefs) किसी समूह की आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता (mobility) को प्रोत्साहित या बाधित (encourage or hinder) कर सकती हैं।
नीतिगत कारक (Policy Decisions):
- सरकार की नीतियाँ कुछ समूहों या क्षेत्रों को अनुचित लाभ (undue benefit) पहुँचा सकती हैं, जिससे अन्य वर्गों के साथ असमान व्यवहार (inequity) होता है।
- समावेशी विकास का उद्देश्य इन असमानताओं को संतुलित करना (balance out) और समान अवसर (equal opportunities) प्रदान करना है।
विस्थापन (Displacement)
- जब लोगों को जबरन उनके निवास स्थान से हटाया (forcibly displaced) जाता है, तो उसका गहरा सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव (socio-economic and cultural impact) पड़ता है।
- इससे संबंधित समस्याएं हैं:
- रोजगार का नुकसान (loss of livelihoods)
- सांस्कृतिक पहचान का संकट (cultural disintegration)
- समुदायों में तनाव और आंदोलन (social unrest and resistance movements)
- विस्थापन समावेशी विकास में गंभीर बाधा (serious hindrance) उत्पन्न करता है और पुनर्वास (rehabilitation) की समावेशी नीतियाँ (inclusive policies) आवश्यक बन जाती हैं।
भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाली प्रमुख नीतियाँ (Policies Promoting Inclusive Growth in India)
योजनाएं :-
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) – वित्तीय समावेशन।
- मेक इन इंडिया (Make in India) – रोजगार सृजन।
- स्किल इंडिया मिशन (Skill India Mission) – युवाओं को कौशल प्रशिक्षण।
- आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat) – सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज।
- स्टार्टअप इंडिया (Startup India) – उद्यमिता को प्रोत्साहन।
- MGNREGA – ग्रामीण रोजगार की गारंटी।
- डिजिटल इंडिया (Digital India) – सभी के लिए डिजिटल सेवाओं की पहुँच।
संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)
भारतीय संविधान (Indian Constitution) ने सामाजिक समावेशन (Social Inclusion) को सुनिश्चित करने हेतु कई अनुच्छेद (Articles) प्रस्तुत किए हैं:
- अनुच्छेद 15 (Article 15) – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव (Discrimination) का निषेध करता है।
- अनुच्छेद 16 (Article 16) – सरकारी नौकरियों में समान अवसर (Equal Opportunity) प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 16(4) – अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण (Reservation in Promotion) की अनुमति देता है।
- अनुच्छेद 16(5) – धार्मिक या सांप्रदायिक संस्थानों में धर्म-विशेष से जुड़े नियमों की छूट देता है।
- अनुच्छेद 16(6) – आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Sections - EWS) के लिए 10% तक आरक्षण की अनुमति देता है।
राष्ट्रीय पुनर्वास नीति (National Rehabilitation Policy)
यह नीति जबरन विस्थापित (Displaced) लोगों के लिए कल्याणकारी उपाय (Welfare Measures) उपलब्ध कराती है जैसे:
- पुनर्वास (Rehabilitation),
- आजीविका समर्थन (Livelihood Support),
- और सामाजिक पुनर्संयोजन (Social Reintegration)।
महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment)
- राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women - NCW) एवं राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण परिषद जैसी संस्थाओं की स्थापना।
- स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government) संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण।
- महिला शिक्षा, कौशल विकास (Skill Development) और आर्थिक भागीदारी (Economic Participation) को प्रोत्साहन।
आरक्षण नीतियाँ (Reservation Policies)
- SC/ST/OBC के लिए सरकारी सेवाओं और शिक्षा में आरक्षण।
- संसद और विधानसभाओं में राजनीतिक समावेशन (Political Inclusion) हेतु सीटें आरक्षित।
- अल्पसंख्यक आयोग (Minority Commission) द्वारा धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
- 2005 में शुरू की गई योजना जो ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का मजदूरी रोजगार (Wage Employment) गारंटी देती है।
- महिलाओं के लिए 33% आरक्षण, SC/ST के लिए विशेष प्रावधान।
समावेशी विकास के लिए सुझावित उपाय (Suggested Measures for Inclusive Growth)
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश (Investing in Education & Health)
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सहयोग
- कृषि में सुधार (Agricultural Reforms)
- नवाचार और तकनीकी अपनाने को प्रोत्साहन (Encouraging Innovation and Technology Adoption)
- समावेशी नियोजन (Inclusive Planning) – नीति निर्माण में हाशिये के वर्गों की भागीदारी।