14 जून को प्रतिवर्ष विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है।
यह दिन उन स्वैच्छिक और अवैतनिक रक्तदाताओं को समर्पित होता है जो अपने रक्तदान के माध्यम से अनगिनत जीवन बचाते हैं।
यह न केवल आभार व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि सुरक्षित और नियमित रक्तदान की निरंतर आवश्यकता को उजागर करने का भी समय है।
थीम:- "रक्त दें, आशा दें: साथ मिलकर हम जीवन बचाते हैं"
अभियान के उद्देश्य:-
रक्तदान की आवश्यकता के प्रति जागरूकता:-रक्त और प्लाज्मा की निरंतर आवश्यकता को उजागर करना और यह बताना कि यह कितने लोगों के जीवन के लिए अनिवार्य है।
नियमित रक्तदाताओं को प्रोत्साहन:-नए रक्तदाताओं को जोड़ना और मौजूदा रक्तदाताओं को नियमित रूप से दान करने के लिए प्रेरित करना ताकि एक स्थायी और सुरक्षित रक्त आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
समाज में एकजुटता और करुणा का संदेश:-रक्तदान के माध्यम से समाज में एकजुटता, करुणा और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना। यह दर्शाता है कि हम सभी, एक-दूसरे के स्वास्थ्य और जीवन के लिए जिम्मेदार हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों को सशक्त बनाना:-सरकारों और विकास भागीदारों को इस दिशा में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित करना, ताकि हर किसी को सुरक्षित रक्त आधान की सुविधा उपलब्ध हो सके।
रक्तदाता का महत्व:
हर रक्तदाता अनजाने में एक नायक होता है।
उसके द्वारा दिया गया रक्त – चाहे वह एक दुर्घटना पीड़ित, ऑपरेशन के मरीज, थैलेसीमिया या कैंसर से पीड़ित कोई बच्चा हो – किसी के लिए जीवन की अंतिम उम्मीद होता है।
विश्व रक्तदाता दिवस 2025: इतिहास
आधुनिक रक्त आधान की नींव 1940 में रखी गई थी, जब वैज्ञानिक रिचर्ड लोअर ने दो कुत्तों के बीच बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के सफलतापूर्वक रक्त आधान किया था।
इस सफलता ने स्वास्थ्य सेवा में सुरक्षित रक्तदान और आधान प्रथाओं का मार्ग प्रशस्त किया।
वर्ष -2005 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में नामित किया, और तब से यह विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
प्रश्न :-निम्न में से विश्व रक्तदाता दिवस कब मनाया जाता है?