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विश्व वन्यजीव दिवस

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  • प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।
  • विश्व वन्यजीव दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरुकता बढ़ाना है।
  • विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम 'वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी' (Partnership for Wildlife Conservation) है।
  • 20 दिसंबर 2013 को, अपने 68 वें सत्र में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अपने संकल्प में, 3 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित करने का निर्णय लिया। 
  • अनियमित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के परिणामस्वरूप कई कमजोर प्रजातियों के अत्यधिक शोषण के बारे में चिंतित सरकारों ने 1973 में वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अपनाया।
  • 2023 में CITES की स्थापना के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं।
  • CITES सरकारों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। 
  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों के नमूनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा ना हो।
  • यह पौधों और जानवरों को खतरे के अनुसार तीन श्रेणियों, या परिशिष्टों के अनुसार वर्गीकृत करता है -
    • परिशिष्ट - I प्रजातियाँ - इसमें उन प्रजातियों को सूचीबद्ध किया जाता है जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। वैज्ञानिक या शैक्षिक कारणों से असाधारण स्थितियों को छोड़कर इन पौधों और जानवरों के वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध होता है।
    • परिशिष्ट - II प्रजातियाँ - इसमें उन प्रजातियों को सूचीबद्ध किया जाता है जिन्हें विलुप्त होने का खतरा नहीं है, लेकिन यदि व्यापार प्रतिबंधित नहीं किया गया तो उनकी संख्या में गंभीर गिरावट आ सकती है, इनका व्यापार परमिट द्वारा नियंत्रित होता है।
    • परिशिष्ट - III प्रजातियाँ - इसमें उन प्रजातियों को सूचीबद्ध किया जाता है जो कम से कम एक CITES सदस्य देश में संरक्षित हों।

वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972

  • भारत की संसद द्वारा अधिनियम पौधों और जानवरों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए अधिनियमित किया गया था ।
  • इसमें छह अनुसूचियां हैं जो अलग-अलग स्तर की सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • अनुसूची - I और अनुसूची-II का भाग 2 पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है - इनके तहत अपराध उच्चतम दंड निर्धारित हैं।
    • अनुसूची-III और अनुसूची-IV में सूचीबद्ध प्रजातियां भी संरक्षित हैं, लेकिन दंड कम हैं।
    • अनुसूची-V के अंतर्गत पशु, उदा. कौवे, फल चमगादड़ और चूहे, कानूनी रूप से वर्मिन माने जाते हैं और उनका अनुमति लेकर शिकार किया जा सकता है।
    • अनुसूची-VI में निर्दिष्ट पौधों की खेती और व्यापार दोनों ही सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति से ही किया जा सकता है।

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