क्षेत्रीय परिषदों का मुख्य उद्देश्य राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है:
क्षेत्रीय परिषदों की संरचना इस प्रकार है:
क्षेत्रीय परिषद |
संबंधित राज्य और केंद्रशासित प्रदेश |
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद |
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, दिल्ली |
मध्य क्षेत्रीय परिषद |
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ |
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद |
बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल |
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद |
राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव |
दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद |
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, लक्षद्वीप |
Zonal Councils – FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) प्रश्न :- क्षेत्रीय परिषदें (Zonal Councils) क्या हैं? उत्तर: क्षेत्रीय परिषदें केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए स्थापित वैधानिक निकाय (Statutory Bodies) हैं। ये राज्यों को आपसी संवाद और विकास की योजना बनाने का एक साझा मंच प्रदान करती हैं। प्रश्न :- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना किस अधिनियम के तहत हुई थी? उत्तर: क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना States Reorganisation Act, 1956 के तहत हुई थी। प्रश्न :-क्या संविधान में क्षेत्रीय परिषदों का उल्लेख है? उत्तर: नहीं, संविधान में क्षेत्रीय परिषदों का सीधे उल्लेख नहीं है, परंतु ये वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करती हैं। प्रश्न :- भारत में कुल कितनी क्षेत्रीय परिषदें हैं? उत्तर: भारत में कुल पाँच क्षेत्रीय परिषदें हैं। इनके अतिरिक्त एक उत्तर-पूर्व परिषद (North Eastern Council) भी है, जिसे 1971 में गठित किया गया था। प्रश्न :- क्षेत्रीय परिषदों का अध्यक्ष कौन होता है? उत्तर: सभी क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) होते हैं। |
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