New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

महिला यौनकर्मियों पर एन.एच.आर.सी. की सलाह

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 1 : विषय- महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : विषय- अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने ‘कोविड-19 के संदर्भ में महिलाओं के मानवाधिकार’ पर हाल ही में, जारी की गई अपनी सलाह (Advisory) में यौनकर्मियों (Sex Workers) को अनौपचारिक श्रमिकों के रूप में मान्यता देने की बात कही है।

मुख्य बिंदु

  • एन.एच.आर.सी. ने सामजिक रूप से उपेक्षित, बहिष्कृत और समाज में हाशिये पर स्थित महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के प्रयास में ‘कार्यशील महिलाओं' पर दी गई अपनी सलाह में यौनकर्मियों को अनौपचारिक श्रमिकों के रूप में शामिल करने की बात की।
  • सलाह में अधिकारियों से कहा गया कि वे यौनकर्मियों को अनौपचारिक श्रमिकों के रूप में मान्यता दें और उन्हें पंजीकृत भी करें ताकि वे भी अन्य श्रमिकों को प्राप्त होने वाली सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
  • मंत्रालयों को अस्थाई दस्तावेज़ जारी करने के लिये भी कहा गया है ताकि अन्य अनौपचारिक श्रमिकों की तरह यौनकर्मी के लिये भी कल्याणकारी सुविधाओं और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
    क्यों ज़रूरी है यह सलाह?
  • एन.एच.आर.सी. की इस सलाह के द्वारा यौनकर्मियों को औपचारिक सामाजिक समूह में शामिल किया गया क्योंकि भारतीय समाज में उन्हें कमज़ोर और उपेक्षित वर्ग का हिस्सा माना जाता है अतः भविष्य में उन्हें भी नागरिक के रूप में मान्यता मिले और उनके मानवाधिकारों को संरक्षित भी किया जा सके।
  • ऐसा करने के लिये, एन.एच.आर.सी. ने इस मुद्दे पर विशेषज्ञों से सलाह मांगी थी और सरकार व संवैधानिक निकाय, दोनों से ही जुड़े विशेषज्ञों ने यौनकर्मियों के मानवाधिकारों और सम्मान की रक्षा की बात पर अपना समर्थन दिया।
  • यह एक स्वागत योग्य कदम है और यौनकर्मियों के लिये संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगा।

मान्यता से जुड़े कानूनी पक्ष

  • अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अनुसार वेश्यावृत्ति अवैध है।
  • सेक्स या तो दो वयस्कों के बीच सहमति से किया जा सकता है अन्यथा यह बलात्कार कहलाएगा।
  • यदि किसी संस्थागत प्रक्रिया के माध्यम से व्यावसायिक यौन सम्बंध बनाए जा रहे हैं तो ये अवैध हैं और इन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसलिये भारत सरकार ने कभी भी यौनकार्यों (व्यावसायिक) को मान्यता प्रदान नहीं की है।

सलाह की आलोचना

  • जो महिलाएँ यौन दासता को समाप्त करना चाहती हैं, उन्होंने एन.एच.आर.सी. के इस कदम की आलोचना की है।
  • उनका कहना है कि ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जहाँ कोई महिला स्वेच्छा से वेश्यावृत्ति में गई हो, अतः यौनकार्यों में सलंग्न महिलाओं को अन्य उत्पादक कार्यों में संलग्न महिलाओं के समान व्यवहार्य विकल्प प्रदान करना समाज और कानून दोनों की बड़ी विफलता है।

प्री फैक्ट्स :

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission - NHRC)

देश में मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 के द्वारा 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया था। संसद द्वारा पारित अधिनियम के अनुसार गठित होने के कारण यह एक स्वतंत्र सांविधिक निकाय है।

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम ,2019

  • हाल में किये गए संशोधन के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 2 से 3 किया जाएगा, जिसमें एक महिला सदस्य भी शामिल होगी।
  • मानवाधिकार आयोग में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों सम्बंधी मुख्य आयुक्त को भी पदेन सदस्यों के रूप में शामिल किया जा सकेगा।
  • संशोधन के अनुसार राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों के कार्यावधि को 5 वर्ष से 3 वर्ष किया जाएगा और वे पद पर पुनर्नियुक्ति के भी पात्र होंगे।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR