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कृषि मशीनीकरण और भारत 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय कृषि और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता, प्रौद्योगिकी मिशन)

संदर्भ 

विगत वर्षों में जैविक कृषि से संबंधित गतिविधियों में वृद्धि के साथ-साथ कृषि के मशीनीकरण पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। मशीनीकृत कृषि को बढ़ावा देकर उपलब्ध संसाधनों का न्यूनतम उपयोग करके अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है। संसाधनों की सीमित उपलब्धता, पर्यावरणीय प्रदूषण में वृद्धि और खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँग के बीच भारत में कृषि मशीनीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसमें भारत सरकार का कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन काफी सहायक है। 

कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM)

  • भारत सरकार नेकृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन’ (Sub-Mission on Agricultural Mechanization- SMAM) योजना के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिये कृषि मशीनीकरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। इसमें कस्टम हायरिंग केंद्र, फार्म मशीनरी बैंक, हाईटेक हब की स्थापना और विभिन्न कृषि मशीनरी आदि के वितरण के लिये विभिन्न राज्यों को धन जारी किया जाता है।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने छोटे सीमांत किसानों तथा कम कृषि शक्ति की उपलब्धता वाले दुर्गम क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में कृषि मशीनीकरण पर एक उप-मिशन शुरू किया था।
  • देश में कृषि मशीनीकरण को मज़बूत करने तथा अधिक समग्रता लाने के उद्देश्य से कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे खंडित जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने के लिये 'कस्टम हायरिंग केंद्रों' और 'उच्च मूल्य की मशीनों के उच्च-तकनीक हब' को बढ़ावा देना है। 
  • साथ ही, प्रदर्शन क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता का प्रसार करना तथा देश भर में बने निर्दिष्ट परीक्षण केंद्रों पर कृषि मशीनों के प्रदर्शन, परीक्षण एवं प्रमाणन को सुनिश्चित करना भी इसका उद्देश्य है।

लाभ

  • कृषि मशीनीकरण भूमि, जल ऊर्जा संसाधनों, जनशक्ति के साथ-साथ बीज, उर्वरक, कीटनाशकों आदि आगमों को उपयोग के अनुकूल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि उपलब्ध कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता अधिकतम की जा सके। साथ ही, ग्रामीण युवाओं के लिये कृषि को अधिक लाभदायक आकर्षक व्यवसाय बनाया जा सके।
  • कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिये उन्नत कृषि उपकरण और मशीनरी आधुनिक कृषि के लिये आवश्यक इनपुट हैं, जो मानव श्रम एवं कृषि लागत को कम करने के अतिरिक्त फसलों की उत्पादकता को बढ़ाते हैं। 
  • मशीनीकरण से कृषि क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले अन्य उत्पादों की दक्षता में सुधार करने में भी मदद मिलती है, जो किसानों की आय और कृषि अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिये सहायक हैं।

कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन के तहत जारी की गई धनराशि 

    • एस.एम..एम. योजना के अंतर्गत वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा मध्य प्रदेश को 288.24 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है और 2021-22 के दौरान 2000 कृषि यंत्रों और उपकरणों के वितरण तथा 90 कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिये पहली किस्त जारी की गई।
    • इसी अवधि के दौरान आंध्र प्रदेश को 621.23 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है, जबकि तमिलनाडु को 421.65 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई और ग्राम स्तर पर 100 कृषि मशीनरी बैंक की स्थापना के लिये किस्त जारी की गई।
  • इसके अतिरिक्त, केरल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर नगालैंड के साथ-साथ त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड  पश्चिम बंगाल को भी धनराशि जारी की गई है। 

निष्कर्ष 

कृषि मशीनीकरण कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिये प्रमुख प्रेरकों में से एक है।सतत कृषि मशीनीकरणमें वृद्धि के लिये नवीनतम प्रौद्योगिकी से युक्त एवं सटीक कृषि मशीनरी की आवश्यकता होगी। 

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