New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM

अध्यादेश जारी करने का अधिकार और परंपरा

(प्रारम्भिक परीक्षा: भारतीय राजतंत्र और शासन के संविधान राजनीतिक प्रणाली से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: संवैधानिक विकास, संसद और राज्य विधायिका के कार्य संचालन तथा कार्यपालिका के कार्य एवं शक्ति के विषयों से संबंधित) 

संदर्भ

हाल ही में केंद्रसरकार ने अपने उस अध्यादेश को निरस्त कर दिया, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक आयोग की स्थापना किया जाना था।

पृष्ठभूमि

  • सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम,1861 के अंतर्गत वायसराय को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया जो 6 माह से अधिक लागू नहीं रह सकता था।
  • संविधान सभा में अध्यादेश की वैधता पर चर्चा हुई तथा इसे कुछ सदस्यों के द्वारा चार सप्ताह के भीतर सदन में प्रस्तुत करने की बात कही गई।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 (राष्ट्रपति को) तथा अनुच्छेद 213 (राज्यपाल को) अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।

अध्यादेश संबंधी प्रमुख बिंदु

  • अध्यादेश तभी जारी किया जा सकता है जब संसद के दोनों सदन या कोई भी एक सदन सत्र में न चल रहा हो। साथ ही, जब इस बात की संतुष्टि कर ली जाए कि मौजूदा परिस्थिति में तत्काल कार्यवाई करना आवश्यक है।
  • सत्रावसान की स्थिति में जारी किए गए अध्यादेश को संसद की पुनः बैठक के 6 सप्ताह के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
  • संसद, दोनों सदनों से उस अध्यादेश को पारित कर सकती है, उसे अस्वीकार कर सकती है अन्यथा 6 सप्ताह की अवधि समाप्त हो जाने पर अध्यादेश स्वतः ही समाप्त हो जाता है।
  • वर्ष 1970 में आर.सी.कूपर मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि राष्ट्रपति या राज्यपाल के अध्यादेश जारी करने के निर्णय कीअसद्भाव के आधार पर न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
  • वर्ष 1975 में किये गए अड़तीसवें संविधान संशोधन के माध्यम से कहा गया कि राष्ट्रपति की संतुष्टि अंतिम व मान्य होगी तथा इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है, परंतु वर्ष 1978 के चौवालीसवें संविधान संशोधन के माध्यम से इस उपबंध को समाप्त कर दिया गया।

एक असंवैधानिक परंपरा

  • वर्ष 1987 के डी.सी.वाधवा बनाम बिहार राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने बार-बार अध्यादेशों के जारी होने की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य विधानमंडल द्वारा कानून बनाने की शक्ति का कार्यपालिका द्वारा अतिक्रमण है। अध्यादेश जारी करने की शक्ति का प्रयोग असामान्य परिस्थितियों में किया जाना चाहिए न कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए।
  • इसके वावजूद भी केंद्र सरकार ने वर्ष 2013 तथा 2014 में प्रतिभूति कानून (संशोधन) अध्यादेश को तीन बार प्रख्यापित किया। इसी तरह भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन करने के अध्यादेश को दिसंबर 2014 में जारी किया और 2 बार (अप्रैल तथा मई 2015 में)पुनर्संयोजित किया गया।
  • वर्ष 2017 के कृष्ण कुमार बनाम बिहार राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने इस प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर निर्णय दिया कि अध्यादेश को जारी करने की शक्ति की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
  • न्यायालय के इस फैसले की अनदेखी करते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद संशोधन अध्यादेश को वर्ष 2018 के सितंबर माह में जारी किया गया तथा इसे पुनः वर्ष 2019 में जारी किया गया।
  • राज्य सरकारें भी कानूनों को लागू करने के लिए अध्यादेश के मार्ग का अनुसरण कर रहीं हैं। जिसमें वर्ष 2020 में केरल राज्य ने 81 जबकि कर्नाटक तथा महाराष्ट्र ने क्रमशः 24 और 21 अध्यादेश को जारी किये।

निष्कर्ष

अध्यादेश जारी करने की शक्ति किसी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए संविधान में शामिल की गई थी, किंतु केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा इस शक्ति के दुरुपयोग की प्रवृत्ति देखि जा रही है। जो कि शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत पर प्रश्नचिन्ह लगाता है तथा शक्ति संतुलन को भी बिगाड़ने का प्रयास करता है। अतः सरकारों द्वारा अध्यादेश की उपयोगिता तथा उसकी अवधारणा को ध्यान में रखकर इसके दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।

स्मरणीय तथ्य

  • अनुच्छेद 123 - राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
  • अनुच्छेद 213 - राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
  • अध्यादेश (राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा) मंत्रिमंडल की सलाह परजारी करने तथा वापस लेने का कार्य किया जाता है।
  • अध्यादेश को पूर्ववर्ती तिथि से भी लागू किया जा सकता है।
  • अध्यादेश द्वारा संसद के किसी भी कार्य या अन्य अध्यादेश को संशोधित अथवा निरसित किया जा सकता है।
  • संविधान संशोधन हेतु अध्यादेश जारी नहीं किये जा सकते हैं।
  • राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का अनुच्छेद 352 में वर्णित राष्ट्रीय आपातकाल से कोई संबंध नहीं है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR