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कोविड-19 और भारतीय विदेश नीति

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, संविधान तथा अधिकार संबंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार से संबंधित विषय)

संदर्भ

कोविड-2.0 ने भारत को 17 साल बाद विदेशी सहायता लेने के लिये मजबूर कर दिया है वर्ष 2004 में आई सुनामी के पश्चात् भारत ने किसी भी आपदा से निपटने के लिये स्वयं को मज़बूत करने की नीति पर बल दिया है

भारत और पड़ोसी देश

  • कोविड-2.0 की आक्रामकता भारत के घरेलू राजनीतिक समीकरण को अस्त-व्यस्त कर सकती है। भारत में सामान्य आर्थिक संकट, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, बेरोज़गारी में वृद्धि इत्यादि ऐसे अनेक पहलू हैं, जो पहले से ही भारतीय राजनीति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
  • यदि पड़ोसी देशों की बात करें तो इन देशों के साथ अपने संबंध मज़बूत करने के लिये भारत ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहलुओं का प्रयोग करता है। इसके अलावा, विभिन्न अवसरों पर इन देशों को आवश्यक सामग्री प्रदान करना, राजनीतिक गतिरोध की स्थिति में उनकी सहायता करना आदि भी भारत द्वारा उठाए जाने वाले ऐसे कदम हैं, जिनके माध्यम से भारत पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंध प्रगाढ़ करता है।
  • लेकिन कोविड-2.0 महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था कमज़ोर होने लगी है। ऐसी स्थिति में, भारत पड़ोसी देशों को उचित समय पर सहायता देने में असमर्थ होने लगा है। अतः भारत की इस असमर्थता के चलते पड़ोसी देश एक विकल्प के रूप में चीन की तरफ रुख कर सकते हैं।

भारत-चीन समीकरण

  • कोविड-2.0 महामारी का विनाशकारी स्वरूप भारत की चीन-नीति में नरमी ला सकता है।
  • हालाँकि अभी तक भारत ने चीन की अपेक्षा अन्य देशों से सहायता प्राप्त करने को प्राथमिकता दी है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि भारत आगे भी इसी नीति को जारी रखेगा। यदि भारत आगे भी चीनी मदद को दरकिनार करता है तो इससे भारत के प्रति चीन का रुख और कड़ा हो सकता है।
  • बहरहाल, इस महामारी के दौरान चीन ने स्वयं को मज़बूत किया है, लेकिन भारत की स्थिति निरंतर बिगड़ती जा रही है।
  • कोविड-19 महामारी के प्रथम चरण में विभिन्न देशों ने चीन के प्रति आक्रोश के चलते भारत को एक विकल्प के रूप में देखना प्रारंभ किया था, परंतु इस दौरान भी ‘भारत’ चीन के साथ व्यापार जारी रखे हुए था। ऐसे में, भारत द्वारा चीन के प्रति अपनाई जाने वाली दोहरी नीति अन्य देशों को भारत से विमुख कर सकती है।
  • कोविड-19 महामारी के द्वितीय संस्करण (कोविड-2.0) के कारण भारत की स्थिति और कमज़ोर हुई है। इससे भारत की भौतिक शक्ति, वैचारिक दृढ़ता तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी आएगी, जो भारत की चीन से मुकाबला करने की क्षमता को कम करेगा।
  • सबसे बढ़कर, वे विभिन्न कंपनियाँ जो चीन छोड़कर भारत आने का विचार कर रही थीं, अब अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती हैं।
  • इसके अलावा, कोविड-19 महामारी अमेरिका-चीन संबंधों को भी नया रुख प्रदान कर सकती है। 

भारत की स्थिति

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट से भारत सरकार की सुरक्षा सामानों में निवेश करने की क्षमता में भी कमी होगी।
  • इसके परिणामस्वरूप होने वाली राजस्व हानि के चलते भारत सरकार विभिन्न वैश्विक मुद्दों यथा– अफगानिस्तान, श्रीलंका, हिंद-प्रशांत क्षेत्र आदि पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दे सकेगी।
  • इसके अलावा, चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिये गठित किये गए ‘क्वाड समूह’ में भी भारत के सहयोग में कमी आ सकती है।
  • कुछ लोग यह कयास भी लगा रहे हैं कि इस महामारी से उपजने वाली स्थिति वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तथा वर्ष 2024 में भारत में होने वाले आम चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता व राजनीतिक हिंसा में भी वृद्धि कर सकती है। 

निष्कर्ष

  • विभिन्न देशों ने इस दौर में भारत को सहायता प्रदान की है, यह स्थिति भविष्य में भारत को इस बात के लिये बाध्य करेगी कि भारत सहायता प्रदान करने वाले देशों के प्रति कठोर नीति ना अपनाए।
  • इसके अलावा, भारत को एक बार पुनः सार्क संगठन के सुदृढ़ीकरण पर विचार करना चाहिये, ताकि इन देशों के मध्य बेहतर कनेक्टिविटी तथा चिकित्सकीय सुविधाओं का आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जा सके।
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