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रूपए के मूल्य में गिरावट 

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया, जो 79.05 रूपए प्रति डॉलर हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार यह वित्तीय वर्ष-2029 तक 94 रूपए प्रति डॉलर के स्तर पर आ जाएगा।

रूपए का मूल्य निर्धारण

  • किसी भी मुद्रा का मूल्य मुद्रा की मांग के साथ-साथ उसकी आपूर्ति से निर्धारित होता है। जब किसी मुद्रा की आपूर्ति बढ़ती है, तो उसका मूल्य गिर जाता है। दूसरी ओर, जब किसी मुद्रा की मांग बढ़ती है, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है।
  • केंद्रीय बैंक मुद्राओं की आपूर्ति का निर्धारण करते हैं, जबकि मुद्राओं की मांग अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) में, रूपए की आपूर्ति आयात और विभिन्न विदेशी संपत्तियों की मांग से निर्धारित होती है। इसलिये यदि तेल का आयात करने की मांग अधिक है, तो इससे विदेशी मुद्रा बाजार में रूपए की आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है और रूपए के मूल्य में गिरावट आ सकती है।
  • वहीं दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा बाजार में रूपए की मांग भारतीय निर्यात और अन्य घरेलू परिसंपत्तियों की विदेशी मांग पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिये, जब विदेशी निवेशक भारत में निवेश के लिये उत्सुक होते हैं, तो इससे विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है, जिससे डॉलर के मुकाबले रूपए का मूल्य बढ़ जाता है।

डॉलर के मुकाबले रूपए के मूल्य में गिरावट के कारण

  • इस वर्ष मार्च के बाद से, यू.एस. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि की गई है, जिससे निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पूँजी वापस लेकर अमेरिका की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे यूरो और येन जैसी उभरती बाजार मुद्राओं पर भी दबाव बढ़ा है, जो अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी मूल्यह्रास कर चुकी हैं।
  • वर्तमान वित्त वर्ष में भारत का चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 3.3% के 10 वर्ष के उच्च स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। चालू खाता घाटा से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात के मूल्य के बीच के अंतर से है। उदाहरण के लिये बढ़ती वैश्विक तेल कीमतें भारत की आयात मांग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जब तक कि विदेशी निवेशक देश में चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिये पर्याप्त पूँजी निवेश नहीं कर देते। 
  • रुपए के गिरते मूल्य का एक अन्य प्रमुख कारण भारत में लगातार उच्च घरेलू मुद्रास्फीति का होना है। अर्थात् अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा डॉलर बनाने की तुलना में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा तेज दर से रूपए को बनाया जा रहा है।

रुपए में गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी 

  • वर्ष 2022 की शुरुआत से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपए में 6% से अधिक की गिरावट आई है तथा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $642 बिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर से गिरकर $600 बिलियन से भी नीचे आ गया है।
  • माना जा रहा है कि विदेशी मुद्रा भंडार में इस गिरावट का मुख्य कारण आर.बी.आई. द्वारा रूपए को समर्थन देने के लिये उठाए गए कदम हैं। जबकि आर.बी.आई. ने यह स्पष्ट किया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट संपत्ति के डॉलर मूल्य में कमी के कारण हुई है। उदाहरण के लिये, यदि भंडार का एक हिस्सा यूरो में है और यूरो डॉलर के मुकाबले मूल्यह्रास करता है, तो इससे विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में गिरावट आएगी। 
  • विदित है कि आर.बी.आई. द्वारा रूपए को समर्थन देने के लिये बैंकों को डॉलर बेचने का निर्देश दिया जाता है। इस प्रकार, रूपए के बदले खुले बाजार में डॉलर बेचकर, आर.बी.आई. रूपए की मांग में सुधार कर सकता है तथा इसकी गिरावट को कम कर सकता है।

आगे की राह 

उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिये आर.बी.आई. द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाकर तथा तरलता में कमी कर घरेलू उपभोक्ता मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो अप्रैल माह में पिछले 95 महीने के उच्च स्तर 7.8% पर पहुँच गई है। गौरतलब है कि मुद्रा के मूल्य में गिरावट को रोकने एवं मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये जैसे-जैसे विश्व भर में ब्याज दरें बढ़ाई जाएगी, वैश्विक मंदी का खतरा भी बढ़ जाएगा 

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