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‘भारत की डिजिटल सेवा कर प्रणाली’

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 व 3 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

अमेरिका की संस्था‘संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि’ (USTR) ने एक जाँच रिपोर्ट में भारत के ‘डिजिटल सेवा कर’ (डी.एस.टी.) प्रणाली को भेदभाव पूर्ण बताया है।

विवाद का विषय

  • विदित है कि भारत ने 27 मार्च, 2020 से डिजिटल सेवा कर लागू किया गया था।हालिया विवाद का प्रमुख कारण भारत द्वारा डिजिटल सेवाओं से प्राप्त राजस्व पर लगाया गया 2% कर है,जिसे अप्रैल 2020 से अधिरोपित किया गया था। यह कर केवल अनिवासी कंपनियों (Non-Resident Companies) पर लागू होता है।
  • इस संदर्भ में भारत का कहना है कि 2% इक्विलाइज़ेशन लेवी का अधिरोपण अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव मूलक नहीं है, क्योंकि यह अमेरिका सहित सभी देशों की अनिवासी कंपनियों पर समान रूप से लागू होता है।

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि संस्था का तर्क

  • यह कर प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय कराधान के प्रचलित सिद्धांतों के साथ असंगत है, साथ ही इसका अमेरिकी वाणिज्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • इसे अमेरिकी व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत कार्रवाई योग्य बताया गया है। यू.एस.टी.आर. ने डी.एस.टी. को एक बाहरी कारक के रूप में वर्णित किया है, जो अमेरिकी कंपनियों पर दोहरा कराधान अधिरोपित करता है।

इक्विलाइज़ेशन लेवी

  • ‘इक्विलाइज़ेशन लेवी’ एक प्रत्यक्ष कर है, जिसे सेवा प्राप्तकर्ता द्वारा भुगतान के समय अदा नहीं किया जाता है।इसके तहत सेवा प्रदाता कंपनी किसी देश से लाभ प्राप्त करती है, किंतु उस देश को कर का भुगतान नहीं करती हैं, इसे टैक्स हैवन के रूप में जाना जाता है।
  • भारत ने बजट2016-17 में 'इक्विलाइज़ेशन लेवी' (ई.एल.) के रूप में एक डिजिटल कर प्रस्तावित किया।इसे अनिवासी कंपनियों को ऑनलाइन डिजिटल विज्ञापन स्थान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डिजिटल विज्ञापन करके रूप में 6% की दर से अधिरोपित किये जाने का प्रावधान किया गया था।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य बी2बी ई.कॉमर्स भुगतानों को कर के दायरे में शामिल करना था। इसे गूगल टैक्स के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसके लिये निम्नलिखित दो शर्तें पूरी की जानी चाहिये-इसका भुगतान अनिवासी सेवा प्रदाता को किया जाना चाहिये तथा सेवा प्रदाता को किया गया वार्षिक भुगतान एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रूपए से अधिक हो।

बुनियादी तथ्य

  • वर्ष 2013 में जी-20 देशों के निर्देशानुसार ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट [ओ.ई.सी.डी.] ने टैक्स हैवन से संबंधित चुनौती का सामना करने के लिये ‘बेस एरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग’ (बी.ई.पी.एस.) नीति कोलागू करने का प्रस्ताव दिया था।
  • इसका उद्देश्य 15 सूत्री एक्शन प्लान के आधार पर डिजिटल अर्थव्यवस्था की कर चुनौतियों से निपटना था। उल्लेखनीय है की भारत इसे लागू करने वाला पहला देश है।
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