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ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस रिपोर्ट: संबंधित विवाद

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र –3; वैश्विक नीतियों का व्यापार सुगमता तथा घरेलू उत्पादन पर प्रभाव से सबंधित विषय)

संदर्भ

विश्व बैंक ने बहु-प्रचारित ‘ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस रिपोर्ट’ का प्रकाशन बंद कर दिया है। वस्तुतः विश्व बैंक के ऊपर यह आरोप है कि चीन तथा सऊदी अरब जैसे देशों के दबाव में आकर इसने रिपोर्ट के आँकड़ों में संशोधन किया।

ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस रिपोर्ट-

  • विश्व बैंक द्वारा विभिन्न सूचकों के आधार पर एक इंडेक्स तैयार किया जाता है, जो किसी देश में व्यापार करने की सुगमता को दर्शाता है, इसके तहत निम्न सूचकों को शामिल किया जाता है-
    • व्यवसाय शुरू करना (Starting A Business)
    • निर्माण परमिट (Dealing with Construction Permits)
    • विद्युत (Getting Electricity)
    • संपत्ति का पंजीकरण (Registering Property)
    • ऋण उपलब्धता (Getting Credit)
    • अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा (Protecting Minority Investors)
    • करों का भुगतान करना (Paying Taxes)
    • सीमाओं के पार व्यापार करना (Trading Across Borders)
    • अनुबंध लागू करना (Enforcing Contract)
    • दिवालियापन होने पर समाधान (Resolving Insolvency)
  • इनमें सभी को समान भारांश देते हुए समग्र सूचकांक तैयार जाता है। 

      रिपोर्ट के लाभ

      • विश्व बैंक के शोधकर्ताओं ने इस धारणा के तहत व्यापार सुगमता सूचकांक प्रणाली विकसित की है कि बेहतर कानून और नियामक ढाँचे से व्यापार करने में आसानी होगी और आर्थिक प्रदर्शन में सुधार होगा।
      • विदेशी निवेशक किसी देश में अंतर्निहित कारोबारी माहौल का आकलन करने तथा अपना निवेश गंतव्य निर्धारित करने में इस रैंकिंग का उपयोग कर सकते हैं।
      • विभिन्न देश इस रैंकिंग में हमेशा सुधार के लिये तत्पर रहते है, क्योंकि देशों का मानना है कि व्यापार सुगमता सूचकांक’  रैंकिंग विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी।

      रिपोर्ट से जुड़े मुद्दे-

      • विश्व बैंक की इस रिपोर्ट ने बिजली कनेक्शन की प्राप्ति पर बल दिया है जबकि मुख्य समस्या बिजली आपूर्ति को लेकर है, जो उद्योगों की उत्पादकता को प्रभावित करती है।
      • विभिन्न देश इस  रैंकिंग में बेहतर स्थान प्राप्त करने हेतु आँकड़ों के साथ हेर-फेर करते हैं जो इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
      • विश्व बैंक पर आँकड़ों के संशोधन को लेकर लगाए गए आरोप अन्य अंतर्राष्ट्रीय  सूचकांकों पर संदेह उत्पन्न करते हैं।
      • इसमें से अधिकांश सूचक सीमित देयता कंपनियों के संदर्भ में थे। हालाँकि, विश्व बैंक के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत जैसे देश में लगभग 63 प्रतिशत उद्यम एकल-स्वामित्व वाले, जबकि सीमित भागीदारी वाले उद्यम केवल 14 प्रतिशत हैं।
      • रिपोर्ट  ने औपचारिक प्रणाली पर अधिक विश्वास करते हुए भी नौकरशाही संरचना की उपेक्षा की है, जो भारत जैसे देश में नीति-निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • ऋण उपलब्धता सूचक का आधार केवल दिवालियापन कानूनों और किसी देश में क्रेडिट रेटिंग प्रणाली के अस्तित्व पर आधारित है, इसका ऋण-प्राप्ति से संबंध नहीं है, जो इसकी अपर्याप्तता को सूचित करता है।

      आगे की राह

      • इस सूचकांक की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिये विश्व बैंक को किसी भी देश के अनुचित दबाव में न आकर एक पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करना चाहिये।
      • विभिन्न देशों द्वारा विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु बुनियादी अवसंरचना विकास पर ध्यान देते हुए नीतिगत जटिलताओं को कम करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
      • विभिन्न देशों द्वारा सूचकांक हेतु विश्व बैंक को दिये गए आँकड़ों का किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से स्वतंत्र मूल्यांकन करवाना चाहिये।

      निष्कर्ष

      यद्यपि विश्व बैंक की ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस रिपोर्ट व्यापार में सुगमता को प्रेरित करती है, तथापि हाल ही में विश्व बैंक पर लगे आरोप इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। साथ ही, यह भी देखा गया है कि इस रिपोर्ट से विकसित देशों ने अधिक लाभ उठाया है। ऐसे में इसे वैश्विक रूप से समावेशी रिपोर्ट बनाने का प्रयास किया जाना चाहिये।

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