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वाहनों के बढ़ते उत्सर्जन से हिमनदों का ह्रास

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 3 :  महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, स्थान-अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ (जल-स्रोत तथा हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन व प्रभाव)

संदर्भ

हाल ही में, पश्चिमी हिमालय के द्रास बेसिन के हिमनदों (Glaciers) में होने वाली कमी को ‘एन्वार्मेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह हिमालय के ग्लेशियरों के लिये गंभीर खतरे का संकेत है।

हिमनदों में परिवर्तन की स्थिति 

  • प्रस्तुत अध्ययन इस बेसिन के 77 ग्लेशियरों की विगत दो दशकों (वर्ष 2000-2020) की उपग्रह (Satellite) तस्वीरों पर आधारित है।
  • अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 से हिमनदों के क्षेत्रफल में लगभग 3% की कमी देखी गई है। अलग-अलग क्षेत्रों में हिमनद पिघलने की दर भिन्न हैं।
  • इसके पिघलने की दर पर कचरे/मलबे का भी प्रभाव पड़ता है। इनसे ढके हिमनद की तुलना में खुले हिमनद 5% अधिक तेज़ी से पिघलते हैं।
  • साथ ही, कम ऊंचाई पर स्थित हिमनदों में 4.10% की कमी आई है जबकि मध्य और उच्च ऊंचाई पर स्थित हिमनदों में 3.23% व 1.46% की दर से कमी आई है।

परिवर्तन के कारण

  • इस क्षेत्र में काले कार्बन की सांद्रता 1,518 नैनोग्राम प्रति घन मीटर के साथ 287 से 3,726 नैनोग्राम प्रति घन मीटर के मध्य थी। यह हिंदू कुश हिमालय के ऊंचाई वाले अन्य क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक है।
  • शोधकर्ता हिमनदों में हुए इन परिवर्तनों के लिये मुख्यत: इस क्षेत्र में वाहनों की बढती आवाजाही को ज़िम्मेदार मानते हैं।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग से निकटता के कारण ब्लैक कार्बन की सांद्रता में वृद्धि ने ग्लेशियर के स्वास्थ्य को अत्यधिक प्रभावित किया है।
  • अध्ययन के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट स्थित हिमनद 4.11% की दर से पिघल रहे हैं जबकि उससे दूर स्थित हिमनद 2.82% की दर से पिघल रहे हैं। 60% ब्लैक कार्बन उत्सर्जन के लिये भारी वाहन ज़िम्मेदार हैं।
  • विगत समय में लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सेनाओं की आवाजाही भी इसका एक कारण हो सकता है। 

आगे की राह 

  • वर्तमान परिस्थितियों में इन परिवर्तनों के निरंतर जारी रहने से भविष्य में हिमालय क्षेत्र से हिमनद समाप्त हो सकते हैं।
  • इससे क्षेत्रीय जलापूर्ति, जल विज्ञान प्रक्रिया, पारिस्थितिकी तंत्र सेवा और सीमा पार जल विभाजन पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। 
  • सरकार को संयुक्त राष्ट्र और अन्य पर्यावरण संगठनों द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता है।
  • हिमनदों की स्थिति के अनुसार सरकार को ब्लैक कार्बन सांद्रता को नियंत्रित करने तथा भारी वाहनों के मार्ग को परिवर्तित करने की जरूरत है ।
  • जलवायु परिवर्तन और हिमनद ह्रास की स्थिति को नियंत्रित करते हुए भारत संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-13 में सहयोग कर सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-13 वैश्विक जलवायु संबंधी आपदाओं के प्रति लचीलापन और अनुकूलन क्षमता को मजबूत करने से सम्बंधित है ।

निष्कर्ष

विभिन्न संगठनों द्वारा पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर चर्चा करते हुए विभिन्न समाधान सुझाना स्वत: वैश्विक पर्यावरणीय चिंताओं को स्पष्ट करता है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण संरक्षण के लिये ज़रूरी कदम उठाने और जलवायु परिवर्तन से हो रहे नकारात्मक परिवर्तनों को नियंत्रित करने की आवश्यकता हैं।

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