New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 8 April 2024 | Call: 9555124124

हनी एफ़.पी.ओ. कार्यक्रम

(प्रारम्भिक परीक्षा : अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 3 : विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NAFED) के हनी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
  • ध्यातव्य है कि निर्माता संगठन या प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (PO), प्राथमिक उत्पादकों (किसान, दुग्ध उत्पादक, मछुआरे, बुनकर, शिल्पकार आदि) द्वारा गठित एक कानूनी इकाई है। एफ.पी.ओ. एक प्रकार का पी.ओ. है, जहाँ सदस्य किसान होते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme) है, जिसके द्वारा 10,000 नए एफ.पी.ओ. का प्रचार और प्रसार किये जाने का लक्ष्य है।
  • इसके तहत, नेशनल लेवल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एडवाइज़री एंड फंड सैंक्शनिंग कमेटी (N-PMAFSC) ने सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को वर्ष 2020-21 के लिये एफ.पी.ओ. क्लस्टर आवंटित किये थे।
  • एफ.पी.ओ. के प्रचार और प्रसार के लिये तीन शुरूआती कार्यान्वयन एजेंसियाँ; स्मॉल फार्मर एग्री-बिज़नेस कंसोर्टियम (SFAC), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और नाबार्ड होंगीं। नाफेड चौथी राष्ट्रीय कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
  • राज्य भी यदि चाहें तो कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (DAC& FW)  के परामर्श से अपनी कार्यान्वयन एजेंसी को खुद भी नामित कर सकते हैं।
  • एफ.पी.ओ. को कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा स्थापित क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBO) द्वारा विकसित किया जाएगा ।
  • नाफेड ने क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBOs) और इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्री बिज़नेस प्रोफेशनल्स (ISAP) के माध्यम से भारत के 5 राज्यों में मधुमक्खी पालकों और शहद संग्राहकों के एफ.पी.ओ. के गठन और संवर्धन की पहल की है।
  • ये 5 स्थान/राज्य हैं- पूर्वी चम्पारण (बिहार), मुरैना (मध्य प्रदेश), भरतपुर (राजस्थान), मथुरा (उत्तर प्रदेश) और सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)।
  • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और हनी मिशन (NBHM) के तहत पहले हनी एफ.पी.ओ. का पंजीकरण मध्य प्रदेश में किया गया है।

लाभ

  • वैज्ञानिक रूप से मधुमक्खी पालन में कौशल सृजन और उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि।
  • शहद और सम्बद्ध मधुमक्खी पालन उत्पादों के लिये अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विकास।
  • संग्रह, भंडारण, बॉटलिंग और विपणन केंद्रों में सुधार करके बेहतर आपूर्ति शृंखला प्रबंधन।

कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिये प्रयास करना।

  • मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा अन्य प्रयास
  • सरकार किसानों की आय को दोगुना करने और आदिवासी उत्थान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है।
  • हाल ही में, सरकार द्वारा आत्मनिर्भर अभियान के तहत मधुमक्खी पालन के लिये 500 करोड़ रुपए का अनुदान भी दिया गया।
  • 'स्वीट रिवोल्यूशन' के एक भाग के रूप में एन.बी.एच.एम. का शुभारम्भ।

प्री फैक्ट्स :

  • शहद तथा मोम के उत्पादन के लिये मधुमक्खियों की देखभाल और प्रबंधन को एपिकल्चर या मधुमक्खी पालन कहते हैं। इस पद्धति में, मधुमक्खियों की व्यावसायिक रूप से एपीरीज़ में ब्रीडिंग कराई जाती है।
  • सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में 'स्वीट रिवोल्यूशन' शुरू किया गया था।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR