New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM August Super Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM August Super Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अंतर्प्रवाह में वृद्धि

(प्रारंभिक परीक्षा, विषय- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिकघटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3: आर्थिकविकास, निवेश मॉडल)

संदर्भ

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक हालिया प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 2020-21 में कुल ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) का अंतर्प्रवाह  $81.7 बिलियन रहा है, जो विगत वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। मई 2021 के अंतिम सप्ताह में भारतीय रिर्व बैंक (RBI) द्वारा ज़ारी एक बुलेटिन में भी इसका विवरण प्रस्तुत किया गया था।

सकल एफ.डी.आई. अंतर्प्रवाह का विवरण

  • आर.बी.आई. बुलेटिन में वर्णित ‘सकल अंतर्प्रवाह/सकल निवेश’, वाणिज्य मंत्रालय के ‘कुल एफ.डी.आई. अंतर्प्रवाह’ अनुमान के समान ही है।सकल अंतर्प्रवाह में शामिल हैं-

(i) भारत में प्रत्यक्ष निवेश

(ii) प्रत्यावर्तन (Repatriation)/विनिवेश।

  • गैर-समुच्चय विश्लेषण के पश्चात् ज्ञात होता है कि भारत में प्रत्यक्ष निवेश में 2.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अतः ‘प्रत्यावर्तन/विनिवेश’ में 47 प्रतिशत की वृद्धि पूरी तरह से सकल प्रवाह में बढोतरी के लिये ज़िम्मेदार है। दूसरे शब्दों में, भारत में ‘सकल एफ.डी.आई. अंतर्प्रवाह’ और ‘प्रत्यक्ष निवेश’ के मध्य व्यापक अंतर विद्यमान है। 

प्रत्यावर्तन (Repatriation)-एफ.डी.आई. प्रवाह में ‘निजी इक्विटी फंड’ शामिल होते हैं, जिन्हें सामान्यतः मुनाफा हासिल करने के लिये 3-5 वर्ष उपरांत  विनिवेश किया जाता है।सैद्धांतिक तौर परनिजी इक्विटी फंड दीर्घकालिक ‘ग्रीनफील्ड निवेश’ नहीं होते हैं।

  • इसी प्रकार, निवल आधार पर, भारत में प्रत्यक्ष निवेश विगत वर्ष की तुलना में वर्ष 2020-21 में मुश्किल से 0.8 प्रतिशत बढ़ा है।

10 प्रतिशत की वृद्धि: एफ.डी.आई. या एफ.पी.आई.?

  • 10 प्रतिशत निवेश अंतर्प्रवाह में वृद्धि लगभग पूरी तरह से ‘सकल पोर्टफोलियो निवेश’ के कारण है, जो वर्ष 2019-20 में $1.4 बिलियन की वृद्धि के साथ आगामी वर्ष में $36.8 बिलियन हो गया।
  • इसके अतिरिक्त, ‘निवल पोर्टफोलियो निवेश’ के भीतर, ‘विदेशी संस्थागत निवेश’ (FII) वर्ष 2020-21 में आश्चर्यजनक रूप से 6,800% बढ़कर $38 बिलियन डॉलर हो गया है, जो गत वर्ष में मात्र 552 मिलियन डॉलर था।

FDI

एफ.डी.आई. और एफ.पी.आई.

  • एफ.डी.आई. प्रवाह, इसके अंतर्गतअतिरिक्त पूँजी द्वारा ‘संभावित उत्पादन’ को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। इसमेंहिस्सेदारी बढ़ने के साथ-साथ प्रबंधकीय नियंत्रण भी प्राप्त हो जाता है।
  • इसके विपरीत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), जैसा कि नाम से ज्ञात होता है घरेलू पूँजी (इक्विटी और ऋण) बाज़ारों में बेहतर वित्तीय प्रतिफल अर्थात् उच्च लाभांश/ब्याज दर सह-पूँजीगत लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अल्पकालिक निवेश है।
  • हालाँकि, सरकार की बुलेटिन मेंएफ.डी.आई. और एफ.पी.आई. के बुनियादी अंतर को शामिल नहीं किया जाता है, जिससे समग्रतः भारत में एफ.डी.आई.की वृद्धि परिलक्षित होती है।
  • एफ.पी.आई. अंतर्प्रवाह से अर्थव्यवस्था के संभावित उत्पादन में वृद्धि नहीं होती है, बल्कि ये ‘स्टॉक्स’ की कीमतों में वृद्धि करता है।
  • जब महामारी और लॉकडाउन के कारण वर्ष 2020-21 में जी.डी.पी. में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, तो उसी अवधि में बी.एस.ई. के ‘सेंसेक्स’ में लगभग दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई।
  • बी.एस.ई. मूल्य-आय (पी-ई) गुणक, जिसे ‘प्रति शेयर आय’ के सापेक्ष शेयर मूल्य के रूप में परिभाषित किया जाता है, यू.एस.ए. में ‘एस. एंड पी. 500’ के पश्चात् विश्व में उच्चतम है।

मामूली योगदान

  • उक्त आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि कोविड-19 कालखंड के दौरान कुल एफ.डी.आई. में उछाल पूँजी बाज़ार की अल्पकालिक एफ.आई.आई. के कारण संभव हुआ है तथा यह स्थिर निवेश तथा रोज़गार सृजन में सहायक नहीं है।
  • वर्षों से, सरकार ‘उत्पादन और निवेश’ में मंदी तथा बढ़ती बेरोज़गारी की व्यापक आलोचनाओं से बचने के लिये सकल एफ.डी.आई. प्रवाह में वृद्धि को प्रदर्शित करती रही है।

निष्कर्ष

  • वाणिज्य मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में वर्ष 2020-21 में सकल विदेशी पूँजी प्रवाह में $81.7 बिलियन की अभूतपूर्व वृद्धि का दावा किया गया है।
  • सरकार का दावा है कि अंतर्प्रवाह में उछाल महामारी के दौरान आर्थिक नीतियों की सफलता का प्रमाण है। लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ सरकार के दावों से सहमत नहीं हैं।
  • अभूतपूर्व उछाल के लिये अल्पकालिक ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेश’ पूर्णतया ज़िम्मेदार है। वस्तुतःएफ.आई.आई. के प्रवाह ने स्टॉक की कीमतों और वित्तीय प्रतिफल को बढ़ाता है लेकिन स्थिर निवेश और उत्पादन वृद्धि के मामले में यह प्रभावहीन है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X