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 एनबीएफसी से बैंक ऋण के जोखिम में वृद्धि

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, एनबीएफसी, आरबीआई, CAFRAL
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ-

  • आरबीआई द्वारा एनबीएफसी के लिए स्थापित ‘सेंटर फॉर एडवांस्ड फाइनेंशियल रिसर्च एंड लर्निंग’ (CAFRAL) ने हाल ही में बैंक वित्तपोषण में वृद्धि पर चिंता जताई थी।

मुख्य बिंदु-

  • CAFRAL के अनुसार,बैंक एनबीएफसी के जरिए अपना ऋण जोखिम बढ़ा रहे हैं। यह मार्च,2021 के 7.75 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर,2022 तक 9.23 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
  • CAFRAL ने अपनी इंडिया फाइनेंस रिपोर्ट में कहा, "यह प्रणालीगत संक्रमण के बारे में चिंताएं बढ़ाता है और संभावित प्रणालीगत नतीजों को कम करने के लिए सख्त निवारक उपायों की आवश्यकता को बताता है।"
  • बैंक असुरक्षित ऋणों में तेज वृद्धि के लिए गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों, विशेष रूप से डिजिटल ऋण देने वाले ऐप संचालित करने वाली फिनटेक कंपनियों को दोषी ठहरा रहे हैं।
  • बैंक स्वयं 93,240 करोड़ रुपये से अधिक के असुरक्षित ऋणों से घिरे हैं जो ‘विशेष उल्लेख खातों’ (special mention accounts (SMA) श्रेणी में हैं। 
  • ये SMA उनके कुल बकाया राशि 13.32 लाख करोड़ रुपये के असुरक्षित ऋण का लगभग सात प्रतिशत हैं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की SMA - 31 मार्च, 2023 तक श्रेणी SMA -0, SMA -1 और SMA -2 - में असुरक्षित खुदरा ऋणों के लिए निजी बैंकों के 4.0 प्रतिशत की तुलना में असुरक्षित व्यक्तिगत अग्रिमों में 9.9 प्रतिशत के SMA के साथ उच्च स्तर पर रहीं। 
  • केयर रेटिंग्स के अनुसार, समग्र स्तर पर बैंकों के पास अपने असुरक्षित खुदरा ऋणों का 7 प्रतिशत SMA-0, 1 और 2 श्रेणियों में है।  
  • यहां तक कि सुरक्षित खुदरा अग्रिमों का एसएमए हिस्सा भी 31 मार्च, 2023 तक 7 प्रतिशत के दायरे में है।

आरबीआई का वर्गीकरण-

  • आरबीआई वर्गीकरण के अनुसार- 
    1. SMA -0 श्रेणी में मूलधन या ब्याज का भुगतान 30 दिनों के भीतर करना होता है, लेकिन ऐसा खाता प्रारंभिक दबाव का संकेत दिखा रहा है। 
    2. SMA -1 में मूलधन या ब्याज का भुगतान 31-60 दिनों के बीच में देना होता है। 
    3. SMA -2 के मामले में मूलधन या ब्याज का भुगतान 61-90 दिनों के बीच देना होता है। 
  • यदि पुनर्भुगतान में 90 दिनों से अधिक की देरी होती है, तो इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।  
  • वित्तीय क्षेत्र के सूत्रों के अनुसार, "अगर एनबीएफसी को उनके तनावग्रस्त ऋण पोर्टफोलियो में वृद्धि के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, तो उन्हें वित्त पोषित करने वाले बैंक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।"

असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण-

  • असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण ऐसे ऋण हैं, जिन्हें प्राप्त करने के लिए उधार लेने वालों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने  की आवश्यकता नहीं होती है। सैकड़ों कानूनी और अवैध डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स असुरक्षित ऋण देने में सबसे आगे हैं।
  • मार्च,2017 से मार्च,2023 तक बैंकों में असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण (क्रेडिट कार्ड प्राप्य, उपभोक्ता टिकाऊ ऋण और अन्य व्यक्तिगत ऋण सहित) की वृद्धि व्यक्तिगत ऋण वृद्धि से 21 प्रतिशत अधिक रही, जिसमें इसी अवधि के दौरान 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण बैंक के कुल व्यक्तिगत ऋण क्रेडिट का लगभग एक तिहाई हिस्सा है। 
  • केयर रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2023 तक कुल व्यक्तिगत ऋण क्रेडिट का 40.9 लाख करोड़ रुपये और एनबीएफसी के पास 10.9 लाख करोड़ रुपये का व्यक्तिगत ऋण था। 
  • केयर रेटिंग्स, जिसने असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों के खराब होने की स्थिति में विभिन्न ऋणदाता श्रेणियों पर संभावित प्रभाव का आकलन करते हुए एक सर्वेक्षण में कहा कि फिनटेक एनबीएफसी सबसे अधिक संवेदनशील बनकर उभरे हैं, जिसमें निजी क्षेत्र के बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और अन्य एनबीएफसी घटते क्रम में हैं। 
  • यह असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण खंड से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए, विशेष रूप से फिनटेक एनबीएफसी के लिए, जोखिम प्रबंधन के प्रति सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता को दिखाता है।
  • कई कारकों ने असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण की मांग की वृद्धि में योगदान दिया है, जिसमें जनसांख्यिकीय बदलाव, अर्थव्यवस्था का औपचारिकीकरण, बढ़ी हुई क्रय शक्ति, फिनटेक का विकास और प्रमुखता, इंटरनेट / ब्रॉडबैंड और फीचर फोन तक व्यापक पहुंच, डिजिटल भुगतान प्रणाली, क्रेडिट ब्यूरो का व्यापक कवरेज आदि शामिल हैं। 
  • केयर ने कहा, प्रौद्योगिकी और वित्त के प्रसार ने भारत में ऋण देने के परिदृश्य को नया आकार दिया है, जिससे आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए व्यक्तिगत ऋण अधिक सुलभ और सुविधाजनक हो गया है और व्यक्तिगत ऋण बाजार के विकास में योगदान मिला है।

आरबीआई के प्रयास-

  • 16 नवंबर,2023 को आरबीआई ने उपभोक्ता ऋण, क्रेडिट कार्ड प्राप्य और एनबीएफसी के प्रति बैंकों के जोखिम पर जोखिम भार 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 प्रतिशत तक कर दिया। 
  • केंद्रीय बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के लिए क्रेडिट कार्ड प्राप्तियों पर जोखिम भार को 25 प्रतिशत अंक बढ़ाकर क्रमशः 150 प्रतिशत और 125 प्रतिशत कर दिया। 
  • इस कदम का उद्देश्य ऋणदाताओं को इन क्षेत्रों में आक्रामक तरीके से ऋण देने से हतोत्साहित करना है। 
  • सितंबर,2023 तक बैंकों का क्रेडिट कार्ड बकाया साल-दर-साल आधार पर 29.9 प्रतिशत बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये हो गया था।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC)- 

  • एनबीएफसी कंपनी अधिनियम,1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है जो ऋण, प्रतिभूतियों में निवेश, पट्टे, बीमा जैसी विभिन्न वित्तीय गतिविधियों में संलग्न होती है।
  • इसमें वे संस्थान शामिल नहीं हैं जिनका प्राथमिक व्यवसाय कृषि, उद्योग, वस्तु व्यापार, सेवाएँ या अचल संपत्ति व्यापार के अंतर्गत आता है।
  • वित्तीय गतिविधि ‘प्रमुख व्यवसाय’ तब कहलाएगी, जब कंपनी की वित्तीय आस्तियाँ कुल आस्तियों की 50 प्रतिशत से अधिक हो और वित्तीय आस्तियों से होने वाली आय कुल आय के 50 प्रतिशत से अधिक हो। 
  • दोनों मानदंडों को पूरा करने वाली कंपनियों को RBI द्वारा NBFC के रूप में पंजीकृत किया जाता है।
  • RBI अधिनियम 1934 के तहत रिज़र्व बैंक को इन NBFC को पंजीकृत करने, नीति निर्धारित करने, निर्देश जारी करने, निरीक्षण, विनियमन, पर्यवेक्षण और निगरानी करने की शक्तियाँ प्राप्त हैं।

उन्नत वित्तीय अनुसंधान और शिक्षण केंद्र (CAFRAL)-

  • सेंटर फॉर एडवांस्ड फाइनेंशियल रिसर्च एंड लर्निंग (CAFRAL) वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बदलती भूमिका, वित्तीय सेवा क्षेत्र और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी स्थिति की पृष्ठभूमि में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र निकाय है।
  •  RBI के गवर्नर CAFRAL की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष हैं। 
  • CAFRAL का अनुसंधान फोकस बैंकिंग और वित्त के क्षेत्रों पर है। 
  • CAFRAL का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय ख्याति के शोधकर्ताओं की मेजबानी करके और डेटा संसाधनों और विश्लेषणात्मक क्षमताओं का निर्माण करके सहयोगात्मक अनुसंधान की सुविधा प्रदान करके अपने स्वयं के कर्मचारियों के माध्यम से इन क्षेत्रों में बौद्धिक क्षमता का निर्माण करना है।
  • यह एक गैर- लाभकारी संस्था है।
  • CAFRAL का मुख्यालय मुंबई में है।

भारतीय रिज़र्व बैंक-

  • RBI  की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को हुई थी।
  • रिज़र्व बैंक का केन्द्रीय कार्यालय प्रारम्भ में कलकत्ता में स्थापित किया गया था, जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानान्तरित कर दिया गया। 
  • 1 जनवरी 1949 को रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया। 

RBI  के कार्य-

भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में इसके मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किये गये हैं-

  • बैंक नोटों के निर्गम को नियन्त्रित करना, भारत में मौद्रिक स्थायित्व प्राप्त करने की दृष्टि से प्रारक्षित निधि रखना और सामान्यत: देश के हित में मुद्रा व ऋण प्रणाली परिचालित करना।
  • मौद्रिक नीति तैयार करना, उसका कार्यान्वयन और निगरानी करना।
  • वित्तीय प्रणाली का विनियमन और पर्यवेक्षण करना।
  • विदेशी मुद्रा का प्रबन्धन करना।
  • मुद्रा जारी करना, उसका विनिमय करना और परिचालन योग्य न रहने पर उन्हें नष्ट करना।
  • सरकार का बैंकर और बैंकों का बैंकर के रूप में काम करना।
  • साख नियन्त्रित करना।
  • मुद्रा के लेन देन को नियंत्रित करना।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. विदेशी मुद्रा का प्रबन्धन करना।
  2. मौद्रिक नीति तैयार करना।
  3. साख नियन्त्रित करना।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- प्रौद्योगिकी और वित्त के प्रसार ने भारत में ऋण देने के परिदृश्य को नया आकार दिया है, जिससे आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए व्यक्तिगत ऋण अधिक सुलभ और सुविधाजनक हो गया है और व्यक्तिगत ऋण बाजार के विकास में योगदान मिला है। समीक्षा कीजिए।

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