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वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों पर बढ़ता जाँच का दबाव

संदर्भ

विश्व स्तर पर सोशल मीडिया प्रौद्योगिकी कंपनियों पर जाँच का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत सहित अन्य देश सोशल मीडिया फर्मों पर प्रकाशित सामग्री के लिये इन्हीं कंपनियों को ही प्रकाशक (पब्लिशर्स) के रूप में वर्गीकृत करने पर विचार कर रहे हैं।

वैश्विक परिदृश्य 

  • ऑस्ट्रेलिया 'बिग टेक फर्मों’ के संचालन और व्यवहार की व्यापक संसदीय जाँच पर विचार कर रहा है। हाल के दिनों में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने सोशल मीडिया प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों के लिये नए नियमों व विनियमों को लागू करने की घोषणा की है।
  • नई मॉडरेशन नीतियों के मद्देनजर इन कंपनियों को एल्गोरिथम परीक्षण व जवाबदेही के लिये बार-बार जाँच का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार, अमेरिका, यूरोप व अन्य देशों ने भी भ्रामक खबरों पर रोक लगाने के लिये इन कंपनियों पर नकेल कसा है। 

विनियमन की संभावना 

  • हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया ने अतिरिक्त विनियमन के लिये जाँच प्रणाली का दायरा बढ़ाने की बात कही है। इसके अंतर्गत जन प्रतिनिधियों के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के एल्गोरिथम की जाँच, कंपनियों द्वारा किसी की पहचान और आयु के सत्यापन का तरीका तथा प्रतिबंधों आदि के परीक्षण पर जोर दिया गया है।
  • शीर्ष प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों और अमेरिकी सीनेटरों के मध्य विवाद के कारण भी सोशल-मीडिया की सख्त सरकारी निगरानी का तर्क दिया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों के हितों की सुरक्षा जिम्मेदारी भी इन्हीं फर्मों की ही होनी चाहिये।

ऑस्ट्रेलियाई कानून 

  • ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया कम्पनियाँ अपने मंच पर समाचार सामग्री प्रकाशित करने के लिये स्थानीय मीडिया को भुगतान करती हैं।
  • कैनबरा में प्रस्तावित एक कानून में गुमनाम एकाउंट से की गई टिप्पणी पर यदि कोई व्यक्तियों मानहानि का आरोप लगाता है तो तकनीकी कम्पनियाँ उनकी पहचान साझा करेंगी।

भारतीय परिदृश्य 

  • भारत डाटा संरक्षण कानून को जल्दी ही लागू करने वाला है। इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सामग्री के लिये इन्हीं कंपनियों को प्रकाशकों (Publishers) के रूप में वर्गीकृत करने की योजना है।
  • इन प्लेटफार्मों पर भ्रामक खबरों एवं अभद्र भाषा के प्रयोग को लेकर भारत सरकार के सवालों के प्रत्युत्तर में इन कंपनियों ने स्पष्ट जवाब न देते हुए 'ओपन इंटरनेट' को पहले से कहीं ज्यादा जोखिमपूर्ण बताया है। इन प्लेटफॉर्मों ने मुक्त, सुरक्षित और ओपन इंटरनेट की सुरक्षा के लिये समन्वित व बहु-हितधारक रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया है।

सोशल मीडिया पर सामग्री नियमन की कार्यप्रणाली

  • फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया मंचों पर कंपनी के नियमों का उल्लंघन करने वाली अधिकांश आपत्तिजनक सामग्री को एक एल्गोरिथम से चिह्नित और फ़िल्टर किया जाता है। उपयोगकर्त्ता व्यक्तिगत रूप से भी आपत्तिजनक सामग्री के बारे में सूचित कर सकते हैं।
  • फेसबुक ने वर्ष 2019 में हेट-स्पीच के लगभग 20 मिलियन पोस्ट को हटाया है। इनमें से लगभग तीन-चौथाई सामग्री को उपयोगकर्त्ताओं द्वारा रिपोर्ट किये जाने से पूर्व एल्गोरिथम ने ही चिह्नित कर लिया गया था। हालाँकि, यह संख्या फेसबुक पर पोस्ट होने वाली और आपत्तिजनक मानी जाने वाली सामग्रियों की तुलना में काफी कम है।
  • इन सामग्रियों को लेकर यदि कुछ विचारणीय और संवेदनशील जोखिम कारक (जैसे कि राजनीतिक जोखिम) हैं, तो प्रायः लोकनीति इन मुद्दों में शामिल होती है। वैश्विक टीम द्वारा किसी मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने के बाद यदि कोई सामग्री एक बार आपत्तिजनक के रूप में अंकित हो जाती है तो उसे विश्व स्तर पर अवरुद्ध कर दिया जाता है।
  • गूगल के अनुसार, सामग्री नियमन और लोकनीति अलग मुद्दे है परंतु लोकनीति इकाइयों को इनपुट देने व निर्णय प्रक्रिया में मदद करने की अनुमति होती है। विशेषकर यदि ऐसे निर्णय राजनीतिक या सरकारी प्रतिक्रिया से संबंधित हों।
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