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भारत-बांग्लादेश संबंध और भारतीय चुनाव

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीयमहत्त्व की घटनाएँ, भारत का इतिहास तथा सामाजिक अधिकारों से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: आधुनिक भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: द्विपक्षीय और भारत से संबंधित या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत एवं इसके पड़ोसी देशों से संबंधित विषय) 

संदर्भ

  • पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनाव भारत-बांग्लादेश के संबंधों में राजनीतिक नेताओं को कोलकाता में बांग्लादेश की प्रांतीय सरकार का मुख्यालय स्थापित करने के लिए समायोजित किया गया था।
  • 15 जून,1971 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणबमुखर्जी ने राज्यसभा में बांग्लादेश को मान्यता देने की बात कही थी। जिसके लिए वर्ष 2013 में बांग्लादेश ने उन्हें लाइबेरियन युद्ध सम्मान से सम्मानित किया।
  • वर्ष 1996 में प.बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने दोनों देशों के मध्य गंगा जलसंधि को सफल बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। प.बंगाल, बांग्लादेशियों के लिये चिकित्सा उपचार तथा खरीददारी के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है।

भारत बांग्लादेश जल बंटवारा

  • भारत-बांग्लादेश के मध्य सर्वाधिक विवाद तीस्ता नदी जल बँटवारे को लेकर है। इस नदी के जल पर बांग्लादेश की 2 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए निर्भर है।
  • गर्मी के मौसममेंप. बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में इससेजलआपूर्ति होता है। जिस कारण बांग्लादेश में पानी की भारी कमी महसूस की जाती है तथा मानसून के दौरान बैराज से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जाना, बांग्लादेश में बाढ़ तथा रिवर बैंक के कटाव का कारण बनती है।
  • वर्ष 2011 में तीस्ता नदी की जल संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश की यात्रा की परन्तु अंतिम समय में प.बंगाल की मुख्यमंत्री का संधि से पीछे हट जाने से दोनों देशों के संबंधों में गतिरोध उत्पन्न हो गया।
  • भारत-बांग्लादेश के मध्य उत्पन्न हुआ जलसंधि गतिरोध चीन के लिए बांग्लादेश के साथ संबंधों को सुधारने का एक मौका हो सकता है। जिस कारण चीन-बांग्लादेश के मध्य 'तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और पुनर्स्थापना परियोजना' के लिए सहमति बन सकती है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।

सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. पर अप्रत्यक्ष गतिरोध

  • भारतीय संसद द्वारा वर्ष 2019 में पारित नागरिक (संशोधन) अधिनियम (सी.ए.ए.) और नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) ने भी भारत-बांग्लादेश के आपसी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाले तथा प.बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा इस अधिनियम के विरोध को बांग्लादेश में भी काफी सराहा गया था।
  • वर्ष 2020 में निवर्तमानबांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने एन.आर.सी. तथा सी.ए.ए. पर बयान देते हुए कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है, लेकिन हमें यह समझ नहीं आ रहा है कि भारत सरकार को ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता क्या थी?
  • हालाँकि, भारत ने बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों के बारे में आश्वासन दिया कि एन.आर.सी. तथा सी.ए.ए. बांग्लादेश के लोगों को प्रभावित नहीं करेगा। ढाँका की चिंता स्वाभाविक है क्योंकि बांग्लादेश, असम तथा प.बंगाल की सीमा से घिरा हुआ है। बांग्लादेश के लोगों के लिए चिंता का एक कारण भारतीय गृहमंत्री के द्वारा उनके लिए की गई टिप्पणी भी थी।

सीमा-पारीय राजनीति

  • प.बंगाल में एन.आर.सी. तथा सी.ए.ए. के कड़े विरोध के बावजूद भी वहाँमटुआ समुदाय के नेताओं द्वारा इसका समर्थन किया गया। यह समुदाय बांग्लादेश से आये मटुआ शरणार्थियों के लिए नागरिकता की माँग कर रहा है। जो मटुमहासंघ द्वारा संगठित तथा प.बंगाल के कई जिलों में निवास करते हैं।साथ ही, वहाँ के एक महत्त्वपूर्ण मतदाता आधार के रूप में हैं।
  • इसी समुदाय के समर्थन से वर्ष 2019 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने प.बंगाल में एक बड़े मतदाता लाभांश की प्राप्ति की।ध्यातव्य है, यह समुदाय प.बंगाल में ऐतिहासिक दृष्टि से चुनावों का वोट बैंक नहीं था। इसकी शुरुआत वर्ष 2000 के दशक में तृणमूल कांग्रेस के अभियानों के क्रम में वाम पंथियों को चुनौती देने के रूप में हुई।
  • हालिया भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के दौरान उनके द्वारा इस समुदाय के पवित्र मन्दिर जो ओरकंडी में स्थित है का दौरा किया गया। जो एक प्रकार से मटुआ समुदाय के मतदाताओं को प्रभावित करने का तरीका हो सकता है, जिसका लाभ प.बंगाल के विधानसभा चुनावों में मिल सकता है।
  • बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.अब्दुलमोमन ने भारतीय गृहमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस दुनिया में बहुत से बुद्धिमान लोग हैं जो देखने के बाद भी देखना नहीं चाहते और न ही समझना चाहते हैं।
  • वर्ष 2018 में बांग्लादेश में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी भारत के 10.7% की तुलना में 9.2% थी।इसके अतिरिक्त, वर्ष 2020 की ग्लोबहंगर इंडेक्स में भारत 94वें तथा बांग्लादेश 75वें स्थान पर रहा है। साथ ही,महामारी के दौरान बांग्लादेश में मुख्य रूप से 2020 में जी.डी.पी.वृद्धिदर3.8% दर्ज की गई जबकि भारत की वृद्धिदरनकारात्मक रही।

निष्कर्ष

बांग्लादेश और भारत के पड़ोसी एवं सामरिक, आर्थिक महत्ता के मद्देनजर दोनों देशोके मध्य साझा इतिहास, भाषा, संस्कृति, भोजन, व्यापार, बेहतर जुड़ाव  और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से अच्छे संबंधों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।

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