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भारत-नॉर्डिक संबंध

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच-उनकी संरचना, अधिदेश)

संदर्भ

हाल ही में, ‘भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन’ का दूसरा संस्करण डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में संपन्न हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री के अनुसार यह शिखर सम्मेलन नॉर्डिक क्षेत्र के साथ भारत के बहुआयामी सहयोग को विस्तार देने में मदद करेगा। इसमें भारत सहित पांच नॉर्डिक देशों (नॉर्वे, फ़िनलैंड, डेनमार्क, स्वीडन और आइसलैंड) के प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया। भारतीय प्रधानमंत्री ने सभी नॉर्डिक देशों के प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। वर्तमान में नॉर्वे को छोड़कर अन्य सभी नॉर्डिक देशों की प्रधानमंत्री महिलाएँ हैं।   

द्वितीय शिखर सम्मेलन
indo-nordic-relations

  • इस शिखर सम्मेलन में कोविड-19 के बाद की स्थितियों, जलवायु परिवर्तन, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • नॉर्डिक देश भारत के लिये स्थिरता, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटलीकरण और नवाचार में महत्वपूर्ण भागीदार हैं। 
  • नॉर्डिक देश भारत को विश्व की सबसे तेजी से उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था के कारण एक अवसर के रूप में देखते हैं।
  • द्वितीय शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस भारत और नॉर्डिक देशों के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव के एजेंडे को आगे बढ़ाना था। इस संदर्भ में भारत और नॉर्डिक देशों के मध्य संबंधों पर चर्चा करना आवश्यक है। 

भारत-स्वीडन संबंध

  • भारत और स्वीडन के मध्य राजनयिक संबंध वर्ष 1949 में स्थापित हुए। वर्ष 2021 में दोनों देशों के मध्य प्रधानमंत्री स्तर पर आयोजित आभासी शिखर सम्मेलन में रक्षा, आतंकवाद, शांति व सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप नवाचार से संबंधित मुद्दों पर सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की गई। 
  • दोनों देश ने संयुक्त कार्य योजना में प्रगति पर चर्चा करने के साथ-साथ ‘लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांज़िशन’ (LeadIT) पहल के विस्तार की प्रशंसा की। 

लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांज़िशन (LeadIT)

  • लीड आईटी निजी क्षेत्र की कंपनियों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से (विशेष रूप से लौह एवं इस्पात, एल्युमिनियम, सीमेंट और कंक्रीट, पेट्रोकेमिकल्स, उर्वरक, ईंटों, भारी कार्य परिवहन आदि जैसे क्षेत्रों में) कार्बन उत्सर्जन को कम करने को प्रोत्साहन देने के लिये एक वैश्विक एवं स्वैच्छिक पहल है।  
  • इसे सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में स्वीडन और भारत की सरकारों द्वारा लॉन्च किया गया था और यह विश्व आर्थिक मंच द्वारा समर्थित है।
  • भारत में विभिन्न उद्योगों से संबंधित लगभग 250 स्वीडिश कंपनियां सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जबकि लगभग 75 भारतीय कंपनियां स्वीडन में पूरी तरह से सक्रिय हैं।
  • हाल के वर्षों में भारत और स्वीडन के बीच व्यापार एवं निवेश तेजी से बढ़ा है। वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़कर वर्ष 2019 में 4.5 बिलियन डॉलर हो गया है। उल्लेखनीय है कि एशिया में स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश भारत है।

भारत-नॉर्वे संबंध 

  • दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की हालिया बैठक नॉर्वे के सहयोग से नीली अर्थव्यवस्था, सतत विकास और एकीकृत महासागर प्रबंधन व अनुसंधान विकास पर लक्षित थी।
  • दोनों देशों के लिये समुद्री संसाधनों का स्थायी प्रबंधन पारस्परिक हित एवं चिंता का विषय है। नई पहल के रूप में भारत-नार्वेजियन महासागर सहयोग द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख स्तंभ है।
  • नार्वे की कंपनियां और निजी संस्थान भारतीय भागीदारों के साथ अवसरों की तलाश कर रहे हैं।

भारत-फिनलैंड संबंध

  • फिनलैंड नवाचार में अग्रणी देश है, जो भारत की समस्याओं के लिये नवाचारी समाधान खोजने में सहायता कर सकता है। 
  • वर्तमान में संपन्न बैठक में शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन व स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • फ़िनलैंड का वर्ष 2035 तक कार्बन तटस्थ बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। भारत भी वर्ष 2070 के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है और वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अपनी विद्युत् मांग का 50% आपूर्ति करना चाहता है। यह दोनों देशों के लिये सहयोग का एक बड़ा क्षेत्र है।
  • फ़िनलैंड में प्रति व्यक्ति स्टार्ट-अप की संख्या सर्वाधिक है। यह भारत के डिजिटल विनिर्माण, स्टार्ट-अप इंडिया एवं राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन में योगदान देकर भारत की सामाजिक पूंजी निर्माण में मदद कर सकता है।
  • प्रधानमंत्री ने डेनमार्क की महारानी मार्गरेट द्वितीय को गुजरात की प्रसिद्ध रोगन पेंटिंग भेंट की। इस पेंटिंग को गर्म तेल और वनस्पतियों के रंगों को मिलाकर बनाया जाता है।

भारत-आइसलैंड संबंध

  • इस शिखर सम्मलेन के दौरान भारत-आइसलैंड के मध्य द्विपक्षीय वार्ता का भी आयोजन किया गया। इस वर्ष दोनों देशों ने अपने कूटनीतिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे किये हैं।
  • आइसलैंड के तकनीकी कौशल और भारत के वैज्ञानिक कौशल चौथी औद्योगिक क्रांति तथा मशीन इंटेलीजेंस के क्षेत्र में गठबंधन करके अग्रणी बन सकते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत के राष्ट्रपति ने वर्ष 2019 में भारत-आइसलैंड व्यापार मंच में इसका उल्लेख किया था।
  • इसके अलावा दोनों देश भू-तापीय ऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, वित्तीय सेवाएँ, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, शिपिंग, पर्यटन और नवाचार के क्षेत्र में भागीदार हो सकते हैं।

भारत-डेनमार्क संबंध

  • भारत और डेनमार्क के बीच वर्ष 1949 में स्थापित राजनयिक संबंध नियमित रूप से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान को प्रदर्शित करते हैं। यह संबंध ऐतिहासिक, समान लोकतांत्रिक परंपराओं, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लिये साझा मूल्यों पर आधारित हैं। 
  • दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के मध्य वर्ष 2020 में आयोजित आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में 'हरित रणनीतिक साझेदारी' को शामिल किया गया है। 
  • हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ हरित रणनीतिक साझेदारी को अधिक मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की गई है।
  • दोनों देशों ने विभिन्न मंत्रालयों के बीच एक व्यापक संवाद तंत्र स्थापित किया है। इसके लिये दोनों पक्षों के मध्य 11 संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है। ये क्षेत्र निम्नवत है :

       (i) अक्षय ऊर्जा (ii) नौवहन और बंदरगाह (iii) कृषि और पशुपालन (iv) खाद्य प्रसंस्करण (v) विज्ञान और प्रौद्योगिकी (vi) श्रम गतिशीलता (vii) पर्यावरण (viii) स्मार्ट शहर (ix) डिजिटलीकरण (x) ऊर्जा सहयोग (xi) स्वास्थ्य और चिकित्सा।

  • भारत और डेनमार्क के बीच वस्तुओं और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021 में 5 बिलियन डॉलर हो गया है।

निष्कर्ष 

  • शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों के मध्य स्थायी महासागर प्रबंधन पर विशेष ध्यान देते हुए समुद्री क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक कंपनियों को विशेष रूप से भारत की सागरमाला परियोजना समेत नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया।
  • आर्कटिक में नॉर्डिक क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी पर भी चर्चा हुई। भारत की आर्कटिक नीति, आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग के विस्तार के लिये एक अच्छी रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
  • प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक देशों के सोवेरेन वेल्थ फण्ड को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया। सम्मलेन के अंतर्गत वैश्विक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है क्योंकि दो नॉर्डिक देश (फिनलैंड और स्वीडन) नाटो में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं। 
  • विदित है कि नॉर्डिक देश केवल अमेरिका और भारत के साथ ही शिखर स्तर की वार्ता करते हैं। भारत और नॉर्डिक देश मज़बूत व्यापार साझेदारी का हिस्सा हैं, हालाँकि व्यक्तिगत रूप से इन देशों का आर्थिक व्यापार G20 देशों की तुलना में बहुत कम है।
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