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लक्षद्वीप – नवीन कानूनी मसौदे 

संदर्भ

हाल ही में, लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल द्वारा  नए कानूनों के लिये मसौदा प्रस्तुत किया गया है। इन नए कानूनों को लक्षद्वीप की सांस्कृतिक विविधता को नष्ट करने के उद्देश्य से लाए गए क़ानून बताकर स्थानीय लोगों द्वारा इनका विरोध किया जा रहा है।

प्रशासक द्वारा लाए गए नए कानूनी मसौदे 

1. असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम (PASA- The Prevention of Anti-Social Activities Regulation)

  • इस अधिनियम कोगुंडा एक्टके रूप में जाना जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत सार्वजनिक व्यवस्था के रख-रखाव के लिये किसी व्यक्ति को, किसी भी तरह के असामाजिक कार्य से रोकने के उद्देश्य से एक वर्ष तक हिरासत में रखने का प्रावधान है।
  • इस अधिनियम का स्थानीय नागरिकों तथा विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इन्होंने अपने विरोध के लिये लक्षद्वीप में अपराध की कम दर को आधार बनाया है तथा इस अधिनियम का उपयोग प्रशासन के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों एवं आंदोलनों को दबाने के लिये किये जाने की आशंका जताई है।
  • गौरतलब है कि लक्षद्वीप प्रशासन ने विपक्ष की इस आशंका को निर्मूल बताया है। प्रशासन का कहना है कि द्वीप को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने से पर्यटकों की संख्या में होने वाली वृद्धि तथा द्वीप के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग पर होने के मद्देनज़र कानून व्यवस्था की समस्या से निपटने के लिये यह अधिनियम अत्यंत आवश्यक है। 

2. लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, 2021 (The Lakshdweep Animal Preservation Regulation 2021)

  • यह विनियम गोहत्या को प्रतिबंधित करने के साथ ही गोमांस उत्पादों की खरीद, बिक्री एवं परिवहन पर भी प्रतिबंध लगाता है। इसमें अधिनियम का उल्लंघन करने पर अधिकतम  दस वर्ष का कारावास और पाँच लाख रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। 
  • लक्षद्वीप में लगभग 95 प्रतिशत जनसख्या मुस्लिम है। गोमांस इनके आहार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसी स्थिति में इस विनियमन को वहाँ के निवासियों के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि संविधान का अनुच्छेद 48 राज्य को गायों एवं बछड़ों तथा अन्य दुधारू वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण सुधार तथा उनके वध पर रोक लगाने का अधिकार प्रदान करता है। वर्तमान में लगभग 24 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किसी किसी रूप में गो हत्या को प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं।     

3. लक्षद्वीप पंचायत विनियमन, 2021 (The Lakshdweep Panchayat Regulation, 2021)

  • इस विनियम में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को ग्राम पंचायत का चुनाव लड़े जाने के अयोग्य घोषित किया गया है। इसके साथ ही इस विनियम में ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिये 50 प्रतिशत सीटों को आरक्षित करने का भी प्रावधान किया गया है।
  • वर्तमान में आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना एवं उत्तराखंड में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने वाला कानून पहले से लागू है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप का जनसंख्या घनत्व 2149 व्यक्ति/ वर्ग किमी. है। यह राष्ट्रीय औषत 328 व्यक्ति/वर्ग किमी. से बहुत अधिक है। 

4. लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (Lakshadweep Development Authority Regulation 2021)

  • यह विनियम प्रशासक को नगर नियोजन अथवा किसी भी विकासात्मक उद्देश्य के लिये द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से हटाने या स्थानांतरित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • इस संबंध में यहाँ के स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन परियोजनाओं से द्वीपों की स्थानीयता को नुकसान होगा तथा इसके कारण उन्हें अपनी संपत्ति को प्रशासन द्वारा किसी भी समय अपने कब्जे में कर लिये जाने के भय के साथ जीना होगा।
  • इस विनियमन में राजमार्गों, रेलवे लाइनों, खानों एवं अन्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को विकासात्मक गतिविधियों में शामिल किया गया है। प्रशासन द्वारा इस विनियमन को आधारभूत संरचना के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण बताया गया है।   

5. शराब की बिक्री को मंजूरी       

  • लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा शराब की बिक्री को मंजूरी दी  गई है। मुस्लिम बाहुल्य लक्षद्वीप में प्रशासन के इस कदम का विरोध किया जा रहा है।
  • लक्षद्वीप प्रशासन ने अपने इस कदम को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक बताया है।  

ानूनी मसौदों का विरोध      

  • उल्लेखनीय है कि केरल विधान सभा ने इन कानूनों के विरोध में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र सरकार से प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को हटाने की माँग की है। 
  • इसके साथ ही केरल के कई सांसदों ने भी राष्ट्रपति को लिखे पत्र में इन कानूनों को लक्षद्वीप की सांस्कृतिक विविधता को नष्ट करने के उद्देश्य से लाए गए क़ानून बताया है।   

िष्कर्ष 

लक्षद्वीप अभी भी विकास की दृष्टि से देश के अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से काफी पीछे है। अतः लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित क़ानून वहाँ के विकास के लिये उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में हैं। प्रशासन के इन निर्णयों के स्थानीय स्तर पर किये जा विरोध को समाप्त करने के लिये स्थानीय नागरिको को क़ानून के वास्तविक उद्देश्यों से परिचित कराए जाने की आवश्यकता है ताकि उनके विरोध को समाप्त किया जा सके तथा लक्षद्वीप के विकास कार्यों में उनका सहयोग लिया जा सके।    

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