New
Holi Offer: Get 40-75% Discount on all Online/Live, Pendrive, Test Series & DLP Courses | Call: 9555124124

गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम हेतु कानून

(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था; प्रश्नपत्र- 3: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वालक शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, पत्रकारों एवं विद्यार्थियों पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
  • इस अधिनियम के मुताबिक, गैरकानूनी गतिविधि से आशय किसी भी ऐसे क्रियाकलाप से है जिससे भारत की अखंडता एवं सम्प्रभुता खंडित होती है अथवा इसकी प्रबल सम्भावना हो।
  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को पूर्ण शक्ति प्रदान करता है कि यदि सरकार को किसी भी प्रकार की गतिविधि गैरकानूनी लगती है तो वह सरकारी राजपत्र के माध्यम से उसे अवैध  गतिविधि घोषित कर सकती है।
  • इस अधिनियम में मृत्युदंड और आजीवन कारावास को उच्चतम दंड के तौर पर रखा गया है।
  • इस क़ानून के तहत, भारतीय एवं विदेशी दोनों प्रकार के नागरिकों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। यह हर प्रकार के अपराधियों पर समान रूप से लागू होगा, भले ही अपराध विदेशी भूमि पर या भारत में किया गया हो।
  • अधिनियम के तहत जाँच एजेंसी किसी भी गिरफ्तारी के अधिकतम 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल कर सकती है, अदालत को सूचित करने के बाद इस अवधि को और भी बढ़ाया जा सकता है।
  • वर्ष 2004 में हुए संशोधन के द्वारा इस अधिनियम में ‘आतंकवादी गतिविधियों’ को भी जोड़ा गया ताकि भारत में आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सके, इसके तहत लगभग 34 आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2004 तक किसी भौगोलिक क्षेत्र को देश से पृथक करने का प्रयास करना अथवा उसे कब्ज़े में लिये जाने से सम्बंधित कृत्यों को ही ‘गैरकानूनी गतिविधियों’ के अंतर्गत शामिल किया गया था।
  • अगस्त 2019 में संसद ने अधिनियम में निर्दिष्ट बिंदुओं के आधार पर संस्थाओं के आलावा व्यक्तियों को भी आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिये गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दी थी।
  • आतंकवादी का टैग हटाने के लिये व्यक्ति को न्यायालय की बजाय सरकार द्वारा गठित पुनर्विचार समिति के पास जाना होगा।
  • अधिनियम के अनुसार, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक को किसी मामले की जाँच करने के बाद ज़ब्ती या सम्पत्ति की कुर्की की मंज़ूरी देने का अधिकार प्राप्त है।
  • यह अधिनियम राज्य में डी.एस.पी. या ए.सी.पी. अथवा उससे ऊपर के स्तर के अधिकारी के अलावा एन.आई.ए. के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों को आतंकवाद से जुड़े मामलों की जाँच करने का अधिकार देता है।

गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 [Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967]

  • भारत की सम्प्रभुता और एकता के लिये खतरा उत्पन्न करने वाली गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से भारत की संसद द्वारा वर्ष 1967 में यह कानून बनाया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं बिना शस्त्रों के शांतिपूर्वक समूह में एकत्रित होने के अधिकार पर यह कानून युक्तियुक्त निर्बंधन आरोपित करता है।
  • विदित है कि मौलिक अधिकारों पर युक्तियुक्त निर्बंधन लगाने का अनुमोदन राष्ट्रीय एकता एवं क्षेत्रवाद पर समिति ने किया था। इस समिति की नियुक्ति राष्ट्रीय एकता परिषद द्वारा द्वारा की गई थी ।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2004, 2008, 2012 व 2019 में इस कानून में संशोधन किये जा चुके हैं।

कानून से जुड़े विवाद

  • पारित होने के बाद से ही यह कानून लगातार विवादों से घिरा रहा है। इस क़ानून पर प्रायः यह आरोप लगाया जाता है कि कई बार सरकार किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता पर इस कानून का उपयोग अपने राजनीतिक एजेंडे की वजह से भी करती है।
  • अधिनियम की धारा 2 में कहा गया है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाना भी गैरकानूनी गतिविधि है, लेकिन मात्र सवाल उठाना, कैसे गैरकानूनी हो सकता है? साथ ही, किस बात को सवाल करना माना जाएगा, यह भी स्पष्ट नहीं है।
  • भारत के खिलाफ असंतोष फैलाना भी अपराध है, लेकिन कानून में कहीं भी असंतोष को परिभाषित नहीं किया गया है।

क्या हो आगे की राह?

यद्यपि भारत जैसे लोकतांत्रिक राज्य में अक्सर ही अखंडता एवं सम्प्रभुता को चुनौती मिलती रहती है, अतः इस प्रकार की गतिविधियों के खिलाफ कानून लाया जाना तर्कसंगत लगता है, तथापि सरकार अक्सर कानून को लेकर अपने मंतव्यों के प्रति स्पष्ट नहीं  रहती है; ऐसे में कानून पर सवाल उठना भी स्वाभाविक है। यदि इसकी कुछ धाराएँ अस्पष्ट हैं तो कुछ प्रावधान बहुत कड़े हैं; सरकर एवं संसद को इस अस्पष्टता पर विशेष ध्यान देना चाहिये ताकि कानून और पारदर्शी हो सके।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR