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पाकिस्तान की प्रथम राष्ट्रीय सुरक्षा नीति

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार; भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ

हाल ही में, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) ने देश की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (National Security Committee-NSP) को मंज़ूरी दी है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 

  • इस नीति को वर्ष 2022-26 तक की अवधि के लिये तैयार किया गया है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य ‘व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा अवसंरचना’ के रूप में पाकिस्तान के नागरिकों की सुरक्षा तथा उनकी गरिमा को सुनिश्चित करना है। 
  • इसमें ‘आर्थिक सुरक्षा’ को केंद्र में रखकर निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने की रणनीति पर बल दिया गया है। 
  • इसमें आर्थिक व सैन्य मामलों के अलावा विदेश नीति, आतंकवाद, जल सुरक्षा और जनसांख्यिकी से संबंधित मुद्दों को भी शामिल किया गया है।

पाकिस्तान में सेना की स्थिति 

  • पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के समय से ही वहाँ सेना का दबदबा रहा है। देश के राजस्व का बड़ा हिस्सा सेना पर व्यय किया जाता है, लेकिन इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान में सैन्य अधिकारियों द्वारा निजी लाभ के लिये व्यावसायिक उद्यमों तथा अचल संपत्ति में संलग्नता की जाँच की अनुमति नहीं है।
  • हालाँकि, समय-समय पर कुछ अधिकारियों ने ‘भू-अर्थशास्त्र’ के महत्त्व पर बल दिया है, लेकिन सेना देश के संसाधनों को सैन्य क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में एक सीमा से अधिक व्यय करने के लिये तैयार नहीं है।  
  • अधिक सैन्य व्यय के प्रश्न पर सेना द्वारा तर्क दिया जाता है कि यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आवश्यक है।

नई नीति से बदलाव की संभावना

  • राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को पाकिस्तान की शासन प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
  • इस नीति के क्रियान्वयन से वास्तविक सैन्य व्यय का सही आकलन हो सकेगा, जिससे सैन्य खर्च में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी। 
  • अर्थव्यवस्था को प्रधानता देने से संसाधनों का अधिकाधिक आवंटन देश के विकास में हो सकेगा। इससे सैन्य क्षेत्र में व्यय एवं अन्य संसाधनों की मांग में कमी आएगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और भारत 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में पाकिस्तान ने अपने नागरिकों की सुरक्षा पर विशेष बल दिया है, अतः उसे इस बात पर विचार करना चाहिये कि वह बिना भारत संबंधी नीतियों में बदलाव किये, अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता। वस्तुतः भारत के साथ अस्थिर संबंधों के आधार पर वहाँ के नागरिकों की स्थिति सामान्य नहीं हो सकती। 
  • लगभग 75 वर्षों के पश्चात् भी 'कश्मीर मुद्दे' पर पाकिस्तान के संबंध भारत के साथ सामान्य नहीं हो सके हैं। यह तनाव भारत के प्रति इसके द्वारा तर्कसंगत नीतियों को अपनाने में बाधक बना हुआ है। 
  • पाकिस्तान की विचारधारा और मानसिकता उसे भारत के साथ सहयोगपूर्ण संबंध विकसित करने से रोकती है। 
  • पाकिस्तान विश्व के समक्ष अपनी छवि एक इस्लामिक राष्ट्र के रूप में निर्मित करना चाहता है। यहाँ के कट्टर इस्लामिक समुदाय सामान्यतः भारत के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। वस्तुतः यहाँ हिंसक सांप्रदायिक समूहों को संरक्षण प्राप्त है जो नागरिक समाज के प्रगतिशील समूहों को हाशिये पर धकेल देता है।
  • इस्लामवादी कट्टर ताकतें पाकिस्तानी राजनीतिक अभिजात वर्ग में सामंती तत्त्वों का समर्थन करती हैं। साथ ही, ये आर्थिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों सहित भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण और तर्कहीन नीतियों का समर्थन करती हैं। इनका सामाजिक विकास और देश के आर्थिक प्रबंधन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

पाकिस्तान की शरणस्थली बना चीन

  • चीन पड़ोसी होने के साथ-साथ पाकिस्तान का एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक भागीदार भी है।  
  • पाकिस्तान ने भारत की उपेक्षा करते हुए अन्य देशों के साथ अपनी महत्त्वपूर्ण आर्थिक और वाणिज्यिक साझेदारी विकसित की, जिनमें चीन सर्वप्रमुख है। रक्षा संबंध चीन-पाकिस्तान संबंधों का आधार हैं।
  • आर्थिक विकास को गति देने के लिये वह चीन के साथ ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ के तहत कनेक्टिविटी, बंदरगाह विकास, विद्युत उत्पादन और निवेश के अन्य माध्यम तलाश रहा है।

आगे की राह 

  • चीन या किसी अन्य देश के साथ बेहतर संबंध पाकिस्तान के लिये मददगार हो सकते हैं, परंतु यह उसके मुख्य पड़ोसी भारत की बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होने का विकल्प नहीं हो सकता।
  • एन.एस.पी. के आधार पर भले ही पाकिस्तान कोई भी दावा करे, किंतु भारत से बेहतर संबंधों के बिना इसके लिये मानव सुरक्षा एवं आर्थिक विकास को प्राप्त करना संभव नहीं है। 
  • अतः एन.एस.पी. के उद्देश्य को सफल बनाने के लिये यह आवश्यक है कि पाकिस्तानी सेना और राजनीतिक अभिजात वर्ग भारत के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाते हुए आगे बढ़ें। 
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