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शहरी शासन व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 व 2 :विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और रक्षोपाय, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) 

संदर्भ

नागरिक-केंद्रित शासन व्यवस्था का निर्माण करने तथा प्रौद्योगिकी (शहरी एवं ग्रामीण) के स्तर पर बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिये केंद्र सरकार ने कई नई पहलों की शुरुआत की है। 

प्रमुख पहलें :

स्मार्टकोड प्लेटफॉर्म

  • आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए स्मार्ट कोड प्लेटफॉर्म का उद्देश्य,शहरी शासन को बेहतर बनाना है। यह सभी हितधारकों को विभिन्न समाधानों और एप्लिकेशंस से जुड़े ओपन-सोर्स कोड का भंडारण करने में सहायता प्रदान करता है।
  • इसे उन शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को डिजिटल एप्लिकेशंस विकसित करने और लागू करने के दौरान आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इस प्लेटफार्म पर उपलब्ध सोर्स कोड पूरी तरह से निःशुल्क होगा, इसके लिये किसी तरह के लाइसेंस या सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत नहीं होगी। अतः स्थानीय समस्याओं के समाधान निकालने की दिशा में कार्यरत संस्थानों की लागत को यह काफी कम कर देगा।

इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज (IUDX

  • आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने ‘इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज’ की शुरुआत की है।इसे स्मार्ट सिटी मिशन तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य,शहरों से जुड़ी डाटा संबंधी विभिन्न समस्याओं का समाधान करना है।
  • यह एक ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म है, जो विभिन्न डाटा प्लेटफॉर्म्स के मध्य तृतीय पक्ष प्रमाणन व अधिकृत अनुप्रयोगों तथा अन्य स्रोतों के बीच डाटा के सुरक्षित, प्रमाणित और प्रबंधित विनिमय की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह शहरी स्थानीय निकायों सहित डाटा प्रदाताओं व उपयोगकर्ताओं के लिये शहरों, शहरी प्रशासन तथा शहरी सेवा वितरण से संबंधित डाटासेट को साझा करनेतथा एक्सेस करने के लिये एक निर्बाध इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करता है।
  • उल्लेखनीय है कि शहरों में बड़ी मात्रा में डाटा सृजित होता है, जिसे विभिन्न संस्थाओँ द्वारा व्यापक स्तर पर संरक्षित किया जाता है। इन डाटासेट के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ शहरी ज़रूरतों व चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझने और इनके समाधान के लिये योजना बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • यह डाटा प्रदाताओं को डाटा साझा करने हेतु सुरक्षित व विश्वसनीय चैनल प्रदान करता है, जिसका डाटा तथा उसके उपयोगकर्ता पर पूरा नियंत्रण होता है। इसके माध्यम से गोपनीयता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

न्यू स्मार्ट सिटी वेबसाइट वर्ज़न 2.0 और जी.एम.आई.एस.

  • स्मार्ट सिटी मिशन के प्रयासों व उपलब्धियों से लोगों को जोड़ने और इससे जुड़े कार्यों एवं संसाधनों तक यू.एल.बी.एवं नागरिकों की पहुँच को सुगम बनाने के क्रम में स्मार्ट सिटी की वेबसाइट को पुनः डिज़ाइन किया गया है।
  • यह वेबसाइट स्मार्ट सिटी से संबंधित पहलों के लिये एकल बिंदु समाधान का कार्य करेगी। वेबसाइट के साथ भू-स्थानिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (GIMS) को भी जोड़ा गया है।
  • यहवेबसाइट स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शुरू किये गए सभी प्लेटफार्मों और पहलों के प्रवेश द्वार के रूप में काम करती है। 

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (NUDM

  • आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से ‘राष्ट्रीय अर्बन डिजिटल मिशन’ प्रारंभ किया है। इसका उद्देश्य पीपुल्स, प्रोसेस व प्लेटफॉर्म (3-P) तीन स्तंभों के आधार पर शहरी भारत के लिये साझा डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
  • यह मिशन वर्ष 2022 तक देश के 2022 शहरों में तथा वर्ष 2024 तक भारत के सभी नगरों व कस्बों मेंप्रशासन और सेवा वितरण के लिये नागरिक केंद्रित व पारिस्थितिकी तंत्र संचालित दृष्टिकोण को संस्थागत रूप प्रदान करेगा। इसके तहत आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की विभिन्न डिजिटल पहलों को समाहित कर इनसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  • इसके अंतर्गत,आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 मेंशहरी भारत में नवाचार तथा विकास क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिये शुरू की गई ‘नेशनल अर्बन इनोवेशन स्टैक’की रणनीति तथा दृष्टिकोण पर आधारित प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों का अनुसरण किया गया है।

स्मार्ट सिटी मिशन का प्रभाव

  • वर्ष 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत हुई थी, तभी से यह नागरिकों को नवीन प्रोद्योगिकियों का लाभ पहुँचाने की दिशा में कार्यरत है। कोविड-19 के दौरान इस मिशन के तहत शहरों में हुए परिवर्तनों ने महामरी से निपटने में शासन व्यवस्था को प्रभावी बनाया।
  • प्रभावी निर्णय लेने के लिये, कोविड हॉटस्पॉट और चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढाँचे की निगरानी, वस्तुओं की आवाजाही व सेवाओं पर नज़र रखने के साथ ही लॉकडाउन को व्यवस्थित तरीके से लागू करने के लिये कई शहरों (स्मार्ट सिटी) में एकीकृत डैशबोर्ड विकसित किये गए।
  • कई ऐसी पहले भी हैं, जिन्होंने 100 स्मार्ट सिटीज़ के आँकड़े को भी पार कर लिया है, जैसे ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स और म्युनिसिपल परफॉर्मेंस इंडेक्स के माध्यम से जीवन गुणवत्ता और शहर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिये 114 शहरों में परिणाम और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत की गई है। नागरिक अनुभव सर्वेक्षण के माध्यम से 31 लाख से ज़्यादा लोग इससे जुड़ चुके हैं।
  • अर्बन लर्निंग एंड इंटर्नशिप प्रोग्राम (TULIP) का उद्देश्य, स्नातक डिग्रीधारी युवाओं की ज़रूरतों के अनुसार उन्हें शहरी स्थानीय निकायों में अवसर उपलब्ध कराना है। अब तक 280 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों ने 14,240 से अधिक इंटर्नशिप जारी की हैं, जिनमें 932 विद्यार्थी वर्तमान में इंटर्नशिप कर रहे हैंऔर 195 विद्यार्थी इंटर्नशिप पूरी कर चुके हैं।

 आगे की राह

  • इन नवोन्मेषी पहलों द्वारा नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये शहरों को अधिक आत्मनिर्भर व सक्षम बनाए जाने की दिशा में सरकार को और ज़्यादा प्रयास करने चाहिये।
  • इस दौरान सतत् विकास लक्ष्यों और धारणीय विकास से जुड़े दायित्वों का भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि उत्तराखंड की हालिया आपदा ने ऐसे कई विकास कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाया है।
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