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भारत में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी समस्याएँ

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 3, विषय- स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्रों/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय। गरीबी एवं भूख से सम्बंधित विषय। सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

विगत कुछ माह से महामारी की वजह से पूरे देश में छात्र ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करने के लिये मजबूर हैं,लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के साथ कुछ समस्याएँ लगातार सामने आ रही हैं,जिनमें 3 प्रमुख निम्नलिखित हैं-

1) बढ़ती असमानताएँ:

  • विपत्तियाँ चाहे प्राकृतिक हों या मानव निर्मित,उनका सबसे ज़्यादा असर वंचितों पर ही पड़ता है और कोविड इसका अपवाद नहीं है। कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन ने गरीबों के लिये उपलब्ध अवसरों को सबसे ज़्यादा और वृहत स्तर पर प्रभावित किया है।
  • साथ ही जिन छात्रों के पास ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा तक पहुँच नहीं थी उनके लिये सरकार अगस्त से पहले तक इससे सम्बंधित किसी भी योजना को लॉन्च नहीं कर पाई।
  • भारत में इंटरनेट की स्पीड भी एक बड़ी समस्या है। ऐसे में वीडियो के माध्यम से कक्षाएँ लेते समय इंटरनेट स्पीड का कम या ज़्यादा होना भी समस्या पैदा करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की स्पीड और भी खराब स्थिति में है,क्योंकि यहाँ इंटरनेट के मूलभूत ढाँचे के साथ-साथ बिजली की भी समस्या बनी रहती है।
  • इस प्रकार,डिजिटल इंडिया का यह स्वरूप पहले से भी अधिक असमान और विभाजक साबित हो सकता है।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (National Statistical Organisation- NSO) की हाल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में विभिन्न राज्यों,शहरों और गाँवों तथा विभिन्न आय समूहों में डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) बहुत अधिक बढ़ गया है। इसके अलावा, देश के अधिकांश विद्यार्थियों के पास डिजिटल या ऑनलाइन संसाधन बहुत कम उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) के वर्ष 2017-18 के आँकड़ों के अनुसार, केवल 42% शहरी और 15% ग्रामीण परिवारों के पास ही इंटरनेट की उपलब्धता थी।
  • अगस्त,2020 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों के प्रभावस्वरूप आगामी वर्ष(2021) लगभग 24 मिलियन बच्चों पर स्कूल वापस ना जा पाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके अतिरिक्त, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के बंद होने की वजह से विश्व की तकरीबन 94% छात्र आबादी प्रभावित हुई है और निम्न तथा निम्न-मध्यम आय वाले देशों में यह संख्या लगभग 99% तक हो सकती है। महामारी ने शिक्षा प्रणाली में मौजूद असमानता को और अधिक बढ़ा दिया है।

2) शिक्षा की खराब गुणवत्ता:

  • ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता पर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है,विशेषकर यह कि कितनी देर तक यह छात्रों को बांधे रह सकती है।
  • मोबाइल फोन पर व्याख्यान सुनना और ब्लैक या व्हाइट बोर्ड से शिक्षक के लिखे हुए को कॉपी करना, दोनों में बहुत अंतर है। मानव शरीर भी सुनकर सीखने से ज़्यादा सजीव कक्षाओं के माध्यम से सीखने के लिये अधिक अभ्यस्त है।
  • भारत में शिक्षक ऑनलाइन माध्यमों द्वारा बच्चों को शिक्षा देने के लिये पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं।
  • डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में‘तकनीकी समझ’भी एक बड़ी और विशेष समस्या है। यदि तकनीकी शिक्षा से जुड़े अध्यापकों और विद्यार्थियों को छोड़ दें तो बाकी लगभग सभी विषयों से जुड़े शिक्षकों और शिक्षार्थिंयों को अक्सर तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ता है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर यह बहुत बड़ी समस्या है।
  • चूँकि ऑनलाइन शिक्षण को रेगुलर कक्षाओं की तरह नहीं चलाया जा सकता है,अतः इससे लर्निंग आउटकम भी प्रभावित होता है।

3) ऑनलाइन शिक्षा पर अनुचित ज़ोर:

  • ऐसा अनुमान है कि आई.टी. के माध्यम से प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता देश में स्कूली शिक्षा की पहले से ही अपर्याप्त व्यवस्था को और खराब कर देगी।
  • यदि छात्र में आत्मानुशासन या अच्छा संगठनात्मक कौशल नहीं है तो छात्र इस माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने में पिछड़ सकते हैं।
  • किसी शिक्षक और सहपाठी के बिना शिक्षा प्राप्त करना उन्हें अकेले होने का एहसास दे सकता है जो भविष्य में अवसाद का कारण बन सकता है।
  • डिजिटल कक्षा में प्रैक्टिकल या प्रयोगशाला से जुड़ा कार्य करना मुश्किल होता है।

निष्कर्ष

  • देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहने के बाद भी शिक्षण को सुचारु रख पाना ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव हो पाया है।
  • इस उद्देश्य के लिये सरकार ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के लिये कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किये हैं और उनके द्वारा बहुत-सी योजनाओं के क्रियान्वयन की बात भी की है।
  • चूँकि वर्तमान महामारी के दौर में ऑनलाइन शिक्षा ही एक आशा की किरण है, अतः सरकार को चाहिये कि वह ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देते हुए उपरोक्त समस्याओं/मुद्दों पर भी ध्यान दे।

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