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भारतीय रिज़र्व बैंक का बढ़ता स्वर्ण भंडार

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – विदेशी मुद्रा भंडार,  विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति

संदर्भ 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के सोने का भंडार वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 794.64 मीट्रिक टन हो गया है। 
  • वित्त वर्ष 2022 के 760.42 मीट्रिक टन सोने के भंडार की तुलना में इसमें लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

विदेशी मुद्रा भंडार

  • विदेशी मुद्रा भंडार से तात्पर्य रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से है, इसमें बाण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य देशों की सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
  • भारत में आरबीआई एक्ट, 1934 रिज़र्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित मदें शामिल हैं-
    • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ(अन्य देशों की सरकारी प्रतिभूतियाँ और बॉण्ड)
    • स्वर्ण भंडार
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
    • विशेष आहरण अधिकार (SDR)

वर्तमान परिदृश्य 

  • आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 में 34.22 टन सोना खरीदा है।
  • 31 मार्च, 2023 तक, देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 578.449 बिलियन डॉलर था, और सोने के भंडार 45.2 का मूल्य बिलियन डॉलर आंका गया था। 
  • मूल्य के संदर्भ में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मार्च 2022 के अंत में लगभग 7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2023 के अंत में लगभग 7.81 प्रतिशत हो गया है। 

आरबीआई इतना सोना क्यों खरीद रहा है?

  • वैश्विक अनिश्चितता और बढ़ती मुद्रास्फीति परिदृश्य के बीच आरबीआई अपने रिटर्न को सुरक्षित रखने के लिए अपने भंडार में सोना जोड़ रहा है।
  • सोना एक सुरक्षित संपत्ति है क्योंकि यह तरल है, इसकी एक अंतरराष्ट्रीय कीमत है जो पारदर्शी है, और इसे कभी भी बेचा जा सकता है। 

विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन के उद्देश्य

  • विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता में कई घटकों के कारण व्यापक रूप से परिवर्तन आता है-
    • जिनमें देश द्वारा अपनाई गई विनिमय दर प्रणाली।
    • अर्थव्यवस्‍था के खुलेपन की सीमाएं।
    • देश के सकल घरेलू उत्पाद में विदेशी क्षेत्र का विस्तार। 
    • देश में कार्यरत बाजारों का स्वरूप आदि।
  • भारत में जहां विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन का दोहरा उद्देश्य तरलता और सुरक्षा को बनाए रखना है, वहीं इसी ढांचे में अधिकतम प्रतिलाभ की नीति भी संरक्षित है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार का एक देश आवश्यकता पड़ने पर अपनी देनदारियों का भुगतान करने के लिए उपयोग कर सकता है।
  • किसी देश का ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ इसकी मुद्रा की विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करता है, और वित्तीय बाजारों में विश्वास बनाए रखता है।
  • विदेशी मुद्रा का उपयोग मौद्रिक नीति को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। अगर विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि होने के कारण घरेलु मुद्रा का मूल्य कम होता है, तो भारत सरकार की तरफ से रिज़र्व बैंक बाजार में विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कर देती है, ताकि राष्ट्रीय मुद्रा के मूल्य में आ रही गिरावट को रोका जा सके।

बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व

  • यह भारत सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक को आंतरिक तथा बाहरी वित्तीय समस्याओं से निपटने में सहायता प्रदान करेगा।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए को मज़बूत होने में मदद मिलती है। जिससे घरेलू मुद्रा में स्थिरता आती है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार की मज़बूत स्थिति बाज़ार तथा निवेशकों में विश्वास पैदा करती है जिससे घरेलू एवं विदेशी निवेशक अधिक निवेश करने के लिये प्रोत्साहित होते हैं।
  • आरक्षित निधियों को पर्याप्त स्तर पर बनाये रखने से देश में राष्ट्रीय आपदा एवं आपातकाल से निपटने तथा इनके आर्थिक दुष्प्रभावों को कम करने में सहायता मिलती है।

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के प्रभाव 

  • विदेशी मुद्रा भंडार के घटने का असर रुपये की कीमत पर पड़ता है। विदेशी मुद्रा भंडार कम होने पर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में भी कमी आएगी।
  • रुपये की कीमत गिरने पर भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि हो जाएगी और निर्यात मूल्य में कमी आएगी। जिसके कारण देश का व्यापार घाटा बढ़ेगा।
  • देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने से विदेशी निवेशकों का विश्वास कम होता है, जिससे विदेशी निवेश में कमी आती है।

विशेष आहरण अधिकार (SDR)

  • विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये बनाया गया था।
  • एसडीआर न तो मुद्रा है और न ही आईएमएफ पर कोई दावा है। बल्कि यह आईएमएफ सदस्यों की स्वतंत्र रूप से उपयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के लिए एसडीआर का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष विशेष आहरण अधिकार का प्रयोग अपने आन्तरिक लेखांकनो में करता है। 
  • एसडीआर का मूल्य पांच मुद्राओं की एक टोकरी पर आधारित है - अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में रिज़र्व ट्रेंच

  • रिज़र्व ट्रेन्च वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को प्रदान किया जाता है, और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं।
  • इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।
  • किसी भी सदस्य देश के लिए, कुल रिज़र्व ट्रेन्च कोटा में से 25 प्रतिशत विदेशी मुद्रा या सोने के रूप होते हैं, इसलिए इसे 'रिजर्व ट्रेंच' या 'गोल्ड ट्रेंच' भी कहा जाता है। और शेष 75% घरेलू मुद्राओं के रूप में हो सकते हैं जिसे 'क्रेडिट ट्रेंच' कहा जाता है।
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