New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

एशियाई मानसून में तिब्बत के पठार की भूमिका

(प्रारंभिक परीक्षा- भारत एवं विश्व का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ, जल-स्रोत और हिमावरण जैसी भू-भौतिकीय भौगोलिक विशेषताएँ तथा उनके स्थान-अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ)

संदर्भ 

हाल ही में, एशिया में मानसून को प्रभावित करने वाले कारकों में तिब्बत के पठार की  भूमिका का अध्ययन किया गया।   

तिब्बत के पठार का महत्त्व 

  • तिब्बत का पठार विश्व का सबसे बड़ा और सबसे ऊँचा पठार है। इसे पृथ्वी का ‘तीसरा ध्रुव’ भी कहते हैं। यह पृथ्वी की जलवायु और जल चक्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • एशियाई मानसून प्रणाली के बनने में और पीली, यांग्त्ज़ी, मेकांग, साल्विन, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी बड़ी एशियाई नदियों की उत्पत्ति में इसकी अहम भूमिका है। तिब्बत के पठार पर जमी ताजे पानी की झीलें लेंस की तरह काम करके सूर्य की ऊष्मा को जमा करती हैं।
  • विश्व की सबसे बड़ी अल्पाइन झील प्रणाली किंघई-तिब्बती पठार पर स्थित है, जिसे आमतौर पर तिब्बत के पठार के रूप में जाना जाता है, जो विश्व का सबसे ऊँचा और सबसे बड़ा पठार है। 

तिब्बती पठार संबंधी अध्ययन

  • सामान्य तौर पर झीलें भूमि और वातावरण के बीच ऊष्मा हस्तांतरण को प्रभावित करती हैं, जिससे क्षेत्रीय तापमान और वर्षा प्रभावित होती है। 
  • उल्लेखनीय है कि तिब्बत की झीलों के प्राकृतिक व भौतिक गुणों और ऊष्णता संबंधी (थर्मल) गतिशीलता के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, विशेषकर शीतऋतु के दौरान जब झीलें बर्फ से ढकी होती हैं क्योंकि उस समय तापमान 6 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। ऊष्मा पानी से बर्फ के आवरण को पिघलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस पठार पर सबसे बड़ी मीठे पानी की ‘नोरिंग झील’ (610 वर्ग किमी.) को देखा, जो आमतौर पर दिसंबर से अप्रैल के मध्य तक बर्फ में ढंकी रहती है। इस टीम ने सितंबर 2015 में झील के सबसे गहरे हिस्सों में तापमान, दबाव और विकिरण लॉगर्स के बारे में पता लगाया।
  • उन्होंने झील की सतह के जमने के बाद गर्मी की प्रवृत्ति को सामान्य नियमों के विरुद्ध पाया क्योंकि सतह पर सौर विकिरण ने बर्फ के नीचे की पानी की ऊपरी परतों को गर्म कर दिया था। यह अध्ययन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

सामान्य सिद्धांत और अध्ययन

  • बर्फ से ढकी अधिकांश झीलों में पानी का तापमान आमतौर पर अधिकतम घनत्व  से नीचे रहता है, लेकिन यहां शोधकर्ताओं ने पाया कि शीत ऋतु के मध्य तक पानी का तापमान मीठे पानी के अधिकतम घनत्व से भी अधिक था। जिसने अंततः बर्फ के पिघलने की गति को तेज कर दिया। 
  • जैसे ही बर्फ एक बार टूटती है, पानी का तापमान लगभग 1 डिग्री सेल्सियस गिर जाता है जो एक या दो दिनों के भीतर ही वातावरण में लगभग 500 वाट प्रति वर्ग मीटर ऊष्मा मुक्त कर देता है।
  • अध्ययन से पता चलता है कि झीलें बर्फ के नीचे निष्क्रिय नहीं रहती हैं। हालाँकि, इसका प्रभाव स्थानीय झीलों के प्रभावों से परे है। 
  • बर्फ के पिघलने के बाद पठार पर हजारों झीलें हीट फ्लक्स हॉटस्पॉट हो सकती हैं क्योंकि ये सौर विकिरण से अवशोषित ऊष्मा को मुक्त करती हैं और जो वैश्विक स्तर पर तापमान, संवहन एवं यहाँ तक की जल-राशि में परिवर्तन को भी संभावित रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X