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अनुसूचित जनजाति 

( प्रारंभिक परीक्षा के लिये – अनुसूचित जनजातियों के लिये चलायी जा रही योजनायें )
( मुख्य परीक्षा के लिये : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय )

सन्दर्भ 

  • कुरमी ( महतो ) समुदाय द्वारा खुद को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने, तथा कुडमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पूर्वी भारत में कई जगह रेलवे ट्रैक और नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन किया गया।

कुरमी समुदाय 

  • कुरमी समुदाय झारखण्ड, ओडिशा, असम तथा पश्चिम बंगाल में निवास करता है।
  • झारखण्ड, ओड़िसा तथा पश्चिम बंगाल में इन्हें अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  •  इन्हें कुरमी, कुडमी, महतो अथवा महंतो आदि नामों से भी जाना जाता है।
  • ये भारत में पायी जाने वाली कुर्मी जाति से पूर्णतया भिन्न है।

अनुसूचित जनजाति

  • संविधान अनुसूचित जनजाति की मान्यता के मापदंडो का उल्लेख नहीं करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 366(25) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदाय से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
  • अनुच्छेद 342(1 ) के अनुसार राष्ट्रपति किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में वहां के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद किसी जनजाति या जनजातीय समूह को या उसके किसी हिस्से को उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मामले में अनुसूचित जनजाति के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
  • अनुसूचित जनजाति की मान्यता राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश विशिष्ट होती है। मतलब अनुसूचित जनजाति की सूची प्रत्येक राज्य के लिये अलग-अलग होती है।
  • कोई समुदाय जो एक राज्य में अनुसूचित जनजति के रूप में वर्गीकृत है, आवश्यक नहीं है, की वो किसी अन्य राज्य में भी अनुसूचित जनजाति माना जाये।

अनुसूचित जनजाति के मानदंड

  • संविधान में किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत करने के लिये कोई मानदंड नहीं बताये गए है।
  • आदिम जीवनशैली, सामाजिक और भौगोलिक अलगाव, संकोची स्वाभाव तथा शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन कुछ ऐसे लक्षण है, जो इन्हें अन्य समुदायों से अलग साबित करते है।

अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की प्रकिया

  • राज्य सरकार समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरु करती है, और प्रस्ताव को जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पास भेजती है, जो इस प्रस्ताव की समीक्षा करता है।
  • जनजातीय कार्यों का मंत्रालय इसे अनुमोदन के लिए भारत के महापंजीयक के पास भेज देता है।
  • इसके बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की मंजूरी ली जाती है, तथा अंतिम निर्णय के लिए इसे कैबिनेट के पास भेज दिया जाता है।

अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल होने के लाभ 

  • सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए चलायी जा रही मौजूदा योजनाओं का लाभ प्राप्त करने की पात्रता हासिल।
  • सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ।
  • शिक्षा संस्थाओ में प्रवेश में आरक्षण।
  • अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम की तरफ से रियायती ऋण प्राप्त करने की पात्रता।
  • सरकार की तरफ से दी जा रही छात्रवृत्तियों का लाभ।
  • संविधान का अनुच्छेद 243(घ) पंचायतो में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 332 विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
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