New
UPSC GS Foundation (Prelims + Mains) Batch | Starting from : 20 May 2024, 11:30 AM | Call: 9555124124

शिक्षा के माध्यम से समानुभूति

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2&4  - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय & बुनियादी मूल्य- कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना)

संदर्भ

  • भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में ‘सामाजिक और भावनात्मक अधिगम’ (Social and Emotional Learning- SEL) को शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बताया गया है।
  • एस.ई.एल. भावनाओं को पहचानने, प्रबंधित करने तथा सामाजिक स्थितियों को प्रभावी ढंग से ‘नेविगेट’ करने की एक अधिगम प्रक्रिया है।
  • गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत संख्यात्मक ज्ञान और साक्षरता को केंद्रीय स्थान दिया है। इसी तरह एस.ई.एल. को भी समान महत्त्व देने की आवश्यकता है क्योंकि यह संचार, सहयोग, आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा देता है। 

सामाजिक और भावनात्मक अधिगम

  • एस.ई.एल. मानव विकास, स्वस्थ संबंध निर्मित करने, जागरूक रखने, समस्याओं को सुलझाने, उत्तरदायित्व लेने तथा अकादमिक अधिगम की बुनियादी आवश्यकता है।
  • एस.ई.एल. के प्रमुख तत्त्वों में ‘समानुभूति और मानसिक सिद्धांत’ का विकास शामिल है। समानुभूति से तात्पर्य दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को स्वयं महसूस और समझ पाने से है। यह तभी संभव हो पाता है, जब कोई व्यक्ति दूसरे के नज़रिये से किसी स्थिति को देख पाने में सक्षम हो। इसी कारण यह संज्ञानात्मक विकास का एक महत्त्वपूर्ण पहलू होता है।
  • मानसिक सिद्धांत का अभिप्राय दूसरों के इरादों, ज्ञान और विश्वासों को समझने तथा यह पहचानने की क्षमता है कि कोई व्यक्ति आपसे से कैसे भिन्न है। विभिन्न शोध में पाया गया है कि अधिक ‘सामाजिक कौशल और भावनात्मक विनियमन’ वाले छात्रों के सफल होने की संभावना अधिक होती है।
  • कुछ विशेषज्ञ एस.ई.एल. को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने के रूप में देखते हैं, उनके अनुसार यह शरीर विज्ञान का एक भाग है।
  • न्यूरोबायोलॉजिकल रूप से मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र होते हैं, जैसे प्रीफ्रंटल व फ्रंटल कॉर्टिस, एमिग्डाला और टेम्पोरल सल्कस। विशेषज्ञों का कहना है कि एस.ई.एल. का संज्ञानात्मक तंत्र इसी में निहित है।
  • वैज्ञानिकों ने कहा कि एस.ई.एल. के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारक अंतर्संबंधित होते हैं। इनके अनुसार, मस्तिष्क प्रणाली मानव के बुनियादी व्यवहार के लिये ज़िम्मेदार होती है, जैसे- भूख लगना आदि।
  • इससे यह स्पष्ट है कि हम किसी सामाजिक-भावनात्मक मूल्यांकन को शारीरिक रूप से भी महसूस करते हैं। जीवन में एस.ई.एल. के व्यापक महत्त्व के बावजूद इसे अक्सर ही एकीकृत करने के बजाय किसी पाठ्यक्रम में एक अध्याय के रूप में शामिल किया जाता है। 
  • कोविड-19 महामारी एस.ई.एल. के लिये ‘अभूतपूर्व चुनौतियाँ’ लेकर आई है क्योंकि स्कूल बंद होने से छात्रों के सामाजिक संबंधों पर गहरा असर पड़ा है। साथ ही खुले परिवेश में सहयोगी के रूप में उनके सीखने के अवसर कम हो गए हैं।

भावी राह

  • वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को विगत डेढ़ वर्षों में भारी अधिगम की हानि का सामना करना पड़ा है। इस पृष्ठभूमि में भारतीय एस.ई.एल. ढाँचे विचार करना एक प्रारंभिक बिंदु होगा।
  • पहला, एस.ई.एल. का अनुप्रयोग छात्रों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर आधारित होना चाहिये।
  • दूसरा, शिक्षकों की एस.ई.एल. रणनीतियाँ एक-दूसरे से अंतर्संबंधित होनी चाहिये।
  • तीसरा, दीर्घकालीन सफलता के लिए आवश्यक है कि एस.ई.एल. वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हो।
  • उक्त संबंध नीतियाँ दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं लेकिन आगे बढ़ने में एक बड़ी चुनौती होती है; पुरानी आदतों को छोड़ना। लॉकडाउन ने एक ‘अनपेक्षित रीसेट’ का विकल्प देकर ‘सकारात्मक बदलाव’ के लिये एक अवसर प्रदान किया है।

निष्कर्ष

  • सतत् विकास लक्ष्यों ने भी नीति निर्माताओं के लिये इस तथ्य को रेखांकित किया है कि यह “सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य के परिवर्तन ‘समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता देकर सभी के लिये अधिगम के अवसरों को बढ़ावा दें।"
  • वस्तुतः ढाँचागत परिवर्तन के लिये सभी को व्यक्तिगत स्तर पर योगदान देने की आवश्यकता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR