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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020

(सामान्य अध्ययन, मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र- 3 : संसाधनों की गतिशीलता, विकास)

पृष्ठभूमि

वर्तमान में, कोविड-19 महामारी के चलते विश्व भर में आर्थिक गतिविधियाँ ठप हैं, लगभग हर क्षेत्र में एक निराशाजनक वातावरण बना हुआ है। परंतु, इस निराशावादी माहौल में भी सोने के मूल्यों में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसीलिये भारत सरकार द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020 की घोषणा की गई है।

विचारणीय बिंदु

  • भारत में सोने के साथ लोगों का भावनात्मक जुड़ाव है; साथ ही, इसे सुरक्षित संपत्ति में निवेश भी माना जाता है। यही मुख्य वजह है कि यहाँ लोग अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में स्वर्ण निवेश में अधिक यकीन रखते हैं।
  • स्वर्ण मौद्रीकरण योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा नवम्बर 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू की गई थी।
  • गौरतलब है कि सरकार को समय-समय पर विभिन्न योजनाओं को संचालित करने एवं आर्थिक समस्स्याओं से निपटने हेतु धन की आवश्यकता होती है, इसीलिये सरकार रिज़र्व बैंक के ज़रिये दीर्घकालिक ऋण प्राप्त करने के लिये बॉन्ड जारी करती है।

योजना के उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य सोने के आयात को कम करने के साथ-साथ लोगों की बचत को अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाना है।
  • साथ ही, भौतिक सोना, जैसे- आभूषण, बुलियन और सिक्के आदि को हतोत्साहित करके पेपर गोल्ड को बढ़ावा देना है।

क्या होता है बॉन्ड ?

  • बॉन्ड निवेश की दृष्टि से अत्यंत सुरक्षित दस्तावेज़ होता है, जिस पर सरकार द्वारा निवेशकों को एक निश्चित दर से तथा निर्धारित समयांतराल पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।
  • इस प्रकार के दस्तावेज़ जब निजी कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं तो उन्हें ऋणपत्र (डिबेंचर) कहा जाता है, अर्थात ऋण के बदले दिया गया पत्र।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020 की विशेषताएँ

  • इस योजना के तहत, 20 अप्रैल से 4 सितम्बर तक रिज़र्व बैंक द्वारा सरकार की तरफ से 6 बार सॉवरेन  गोल्ड बॉन्ड जारी किये जाएंगे।
  • इस योजना की पात्रता के लिये व्यक्ति (Individual),  अविभाजित हिंदू परिवार (HUFs), न्यास, विश्विद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं को शामिल किया गया है।
  • बॉन्ड का विक्रय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, नामित डाकघरों, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (B.S.E.) और स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) द्वारा किया जाएगा।
  • इसे 1 ग्राम की आधारभूत इकाई के साथ सोने के ग्राम के अनुसार गुणांकों  में बेचा जाएगा।
  • इसमें निवेश की न्यूनतम सीमा 1 ग्राम (सभी के लिये) एवं अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम (व्यक्तियों एवं अविभाजित हिंदू परिवार के लिये) तथा 20 किलोग्राम (ट्रस्ट के लिये) है।
  • बॉन्ड का मूल्य-वर्ग (Denomination) भारतीय रुपए में होगा तथा ऑनलाइन खरीदारों के लिये निर्गम मूल्य (Issue Price) पर प्रतिग्राम 50 रुपए की छूट दी जाएगी।
  • निवेशकों को 2.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से छमाही आधार पर भुगतान किया जाएगा। इसकी परिपक्वता अवधि 8 वर्ष की होगी, हालाँकि 5 वर्ष के बाद इसे बेचा जा सकता है।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का उपयोग निवेशकों द्वारा ऋण लेने के लिये गारंटी के रूप में (कॉलैटरल या जमानत के तौर पर) किया जा सकता है।
  • बैंकों द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का उपयोग वैधानिक तरलता अनुपात के संदर्भ में किया जा सकता है।

विभिन्न पक्षों के लिये योजना के लाभ  

सरकार  के  लिये-

  • सरकार को लम्बी अवधि के लिये धन की प्राप्ति हो जाती है जिससे विभिन्न योजनाओं को जारी रखने एवं अन्य आर्थिक आवश्यकताओं की आपूर्ति में सहायता मिलती है।
  • सरकार के आयत में कमी आती है, जिससे चालू खाता घाटा (CAD) में भी कमी आती है।
  • इससे पैसा एक ही स्थान पर स्थिर नहीं रहता बल्कि  गतिशील हो जाता है, जो कि अर्थव्यवस्था की संवृद्धि लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • इस योजना से भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होगी क्योंकि स्वर्ण आयात करने पर डॉलर में भुगतान करना होता है।

निवेशकों  के  लिये-

  • इस योजना के तहत बॉन्ड की खरीदारी घर बैठे ऑनलाइन की जा सकती है। साथ ही, ये सुरक्षा की दृष्टि से भी उपयुक्त हैं, क्योंकि इसमें सोने को भौतिक रूप में रखने की आवयश्यकता नहीं है।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में किसी प्रकार का लागत मूल्य (Making charge) शामिल नहीं होता है, इसीलिये ये भौतिक सोने की तुलना में सस्ते होते हैं।
  • भौतिक सोने की तरह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में अशुद्धता सम्बंधी संशय की गुंजाइश नहीं रह जाती है।
  • साथ ही, स्वर्ण बॉन्ड में निवेश करना अत्यधिक सुरक्षित भी माना जाता है, क्योंकि इन पर निश्चित दर से ब्याज भुगतान किया जाता है।

योजना के अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू

  • आयकर अधिनियम, 1961 के तहत सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से प्राप्त ब्याज की धनराशि कर योग्य होगी।
  • इसमें 5 वर्ष की लम्बी अवधि का लॉक-इन-पीरियड है।
  • यह योजना केवल भारतीय निवासियों (Indian Resident) तक ही सीमित है।

क्या हो आगे की राह ?

  • अर्थव्यवस्था की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार द्वारा संसाधनों की गतिशीलता की दिशा में स्वर्ण निवेश योजना एक सराहनीय प्रयास है।
  • इस प्रकार की योजनाओं को क्रियान्वित करते समय सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि आज लिये गए ऋण का प्रभाव भावी पीढ़ियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करे।
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