New
Holi Offer: Get 40-75% Discount on all Online/Live, Pendrive, Test Series & DLP Courses | Call: 9555124124

स्पेक्ट्रम की नीलामी

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : बुनियादी ढाँचा- दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

हाल ही में, दूरसंचार विभाग (DoT) ने कहा कि 4G स्पेक्ट्रम के लिये 700, 800, 900 के साथ-साथ 1,800, 2,100, 2,300 और 2,500 मेगाहर्ट्ज (MHz) बैंड में नीलामी 01 मार्च से प्रारंभ होगी। स्पेक्ट्रम नीलामी का यह छठा दौर है। हालाँकि, सरकार ने 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड को इस बार की नीलामी से बाहर रखा है। यह नीलामी प्रक्रिया चार वर्ष बाद होने जा रही है और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा आधार मूल्य की गणना और सुझाव दिये जाने के बाद संपन्न हो रही है।

क्या है स्पेक्ट्रम नीलामी?

  • सेलफोन और वायरलाइन टेलीफोन जैसे उपकरणों को एक-दूसरे से कनेक्ट करने के लिये संकेतों (Signals) की आवश्यकता होती है। इन सिग्नल्स को रेडियो तरंगो के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता हैं, जिन्हें किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचने के लिये निर्दिष्ट आवृत्तियों पर भेजा जाना आवश्यक होता है।
  • केंद्र सरकार के पास देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी संपत्तियों का स्वामित्व होता है, जिसमें रेडियो तरंग भी शामिल है। सेलफोन, वायरलाइन टेलीफोन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि के कारण समय-समय पर सिग्नल्स के लिये अधिक स्थान प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
  • इसके लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार करने वाली कंपनियों को केंद्र सरकार समय-समय पर दूरसंचार विभाग के माध्यम से रेडियो तरंगों की नीलामी करती है।
  • इन रेडियो तरंगों को स्पेक्ट्रम कहा जाता है, जो बैंड में उप-विभाजित होती हैं और जिसमें अलग-अलग आवृत्तियाँ (Frequencies) होती हैं। ये सभी रेडियो तरंगे एक निश्चित अवधि के लिये बेची जाती हैं, जिसके बाद इनकी वैधता समाप्त हो जाती है।

वर्तमान में स्पेक्ट्रम की नीलामी का कारण?

  • अंतिम बार स्पेक्ट्रम की नीलामी वर्ष 2016 में हुई थी, जब सरकार ने 60 लाख करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य पर 2,354.55 मेगाहर्ट्ज के नीलामी की पेशकश की थी।
  • हालाँकि, सरकार उस समय केवल 965 मेगाहर्ट्ज बेचने में सफल रही थी, जो नीलामी के लिये रखे गए स्पेक्ट्रम का लगभग 40% ही था। साथ ही, इससे प्राप्त कुल बोलियों का मूल्य सिर्फ 65,789 करोड़ रूपए था। कंपनियों द्वारा खरीदे गए रेडियो तरंगो की वैधता वर्ष 2021 में समाप्त होने वाली है, जिस कारण नई स्पेक्ट्रम नीलामी की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
  • 01 मार्च से प्रारंभ होने वाले स्पेक्ट्रम नीलामी के सभी बैंडों का आरक्षित मूल्य 92 लाख करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है। इसका तात्पर्य है कि विभिन्न कंपनियों की माँग के आधार पर रेडियो तरंगों की कीमत अधिक हो सकती है परंतु आरक्षित मूल्य से नीचे नहीं जा सकती है।

स्पेक्ट्रम के लिये पात्र कंपनियाँ

  • तीनों निजी दूरसंचार कंपनियाँ अपने नेटवर्क पर उपयोगकर्ताओं की संख्या का समर्थन करने के लिये अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीदने के लिये योग्य दावेदार हैं। इसमें रिलायंस जियो इंफोकॉम, भारती एयरटेल और वी.आई. (Vi) शामिल हैं।
  • इन तीनों के अलावा, विदेशी कंपनियों सहित नई कंपनियाँ भी एयरवेव के लिये बोली लगाने के लिये पात्र हैं। हालाँकि, इसके लिये विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी एक शाखा स्थापित करनी होगी और भारतीय कंपनी के रूप में पंजीकरण कराना होगा या किसी भारतीय कंपनी के साथ गठजोड़ करना होगा।
  • सफल बोलीदाताओं को वायरलाइन सेवाओं को छोड़कर स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 3% देना होगा।

लाभ

  • दूरसंचार उद्योग के संगठन ‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (COAoI) ने कहा कि स्पेक्ट्रम से दूरसंचार कंपनियों को डाटा के बढ़ते प्रयोग की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • हालाँकि, यदि रेडियो तरंगों का आधार मूल्य कम होता तो कंपनियों को नेटवर्क में अतिरिक्त निवेश का प्रोत्साहन मिलता। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि कंपनियाँ नये स्पेक्ट्रम में रूचि लेने की बजाय पुराने स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण पर अधिक ध्यान दे सकती हैं।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR