New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

यरुशलम की आन : झगड़ते हुक्मरान

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

  • 10 मई 2021 को ‘यरुशलम दिवस’ के दिन यरुशलम स्थित ‘अल-अक्सा मस्जिद’ में इज़रायल और फिलिस्तीन के मध्य संघर्ष का मामला सामने आया। इसमें कई लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी।

वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया

  • सुरक्षा परिषद् ने यरुशलम की स्थिति पर बैठक की, किंतु कोई बयान नहीं दिया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस परिस्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की तथा इज़रायली अधिकारियों को संयम बरतने की सलाह दी।
  • अमेरिका ने भी इसे गंभीर चिंता का विषय बताया।
  • संयुक्त अरब अमीरात ने इस संघर्ष तथा फिलिस्तीनियों के योजनाबद्ध निष्कासन की कड़ी आलोचना की। ध्यातव्य है कि हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिये एक शांति समझौता हस्ताक्षर किया था।
  • सऊदी अरब ने ‘अब्राहम समझौते’ (Abraham Accords) को मौन सहमति दी है तथा कहा कि ‘इज़रायल द्वारा यरुशलम से फिलिस्तीनियों को बेघर करने की कार्रवाई अस्वीकार्य है।’
  • पाकिस्तान ने भी अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के लिये इज़रायल की निंदा की।

यरुशलम का धार्मिक महत्त्व

  • ‘यरुशलम’ मुस्लिम, ईसाई और यहूदी, तीनों समुदायों का पवित्र धार्मिक स्थल है। यहाँ 705 ई. में उमैय्यद वंश के खलीफा ‘अब्द अल-मलिक’ द्वारा अल-अक्सा मस्जिद का निर्माण कराया गया था, जिसे इस्लाम में ‘हराम-ए-शरीफ’ के नाम से जाना जाता है। इसी मस्जिद के पास ‘डॉम ऑफ द रॉक’ भी स्थित है।
  • मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद मक्का से अल-अक्सा आए थे और फिर यहीं से स्वर्ग की यात्रा की थी। मस्जिद-अल-हरम (मक्का की महान मस्जिद) और अल-मस्जिद-नबावी (मदीना में पैगंबर की मस्जिद) के बाद यह मुसलमानों क तीसरा सबसे पवित्र स्थल है।
  • यरुशलम में ईसाइयों का पवित्र 'द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर' भी है। ईसाइयों के अनुसार, ईसा मसीह को यहीं सूली पर चढ़ाया गया था और यहीं वे पुनर्जीवित हुए थे।
  • अल-अक्सा परिसर में एक तरफ पश्चिमी दीवार (Western Wall) है, जिसे यहूदियों की पवित्र दीवार के रूप में जाना जाता है। यहाँ यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल 'होली ऑफ होलीज' है। इनके अनुसार, इसी स्थान से विश्व का निर्माण आरंभ हुआ था।
  • यरुशलम की ओल्ड सिटी तो इज़रायल के नियंत्रण में है, लेकिन यहाँ स्थित मस्जिद वर्ष 1967 से जॉर्डन और फिलिस्तीनी नेतृत्व वाले इस्लामिक वक्फ़ के प्रशासनाधीन है। यह वक्फ़ एक धार्मिक ट्रस्ट है, जो यरुशलम में ‘टेंपल माउंट’ के आस-पास इस्लामिक ऐतिहासिक स्थलों का प्रबंधन करता है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • यरुशलम को लेकर लगभग एक शताब्दी से इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष जारी है। वर्तमान इज़रायल के क्षेत्र में कभी ऑटोमन साम्राज्य का अधिकार था। वर्ष 1914 में आरंभ हुए प्रथम विश्वयुद्ध में ‘तुर्की’ मित्र राष्ट्रों के विरोधी देशों के साथ था। चूँकि मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन भी शामिल था, अतः युद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय के परिणामस्वरूप ऑटोमन साम्राज्य ब्रिटेन के कब्ज़े में आ गया।
  • इस दौरान जियोनिज्म की भावना अपने चरम पर थी, जिसका उद्देश्य एक स्वतंत्र यहूदी राज्य की स्थापना करना था। फलतः दुनियाभर से यहूदी फिलिस्तीन आने लगे।
  • वर्ष 1917 में ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को यहूदियों देश बनाने की प्रतिबद्धता जताई, किंतु वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक ब्रिटेन की शक्ति कमज़ोर हो गई। अन्य देशों ने ब्रिटेन पर यहूदियों के पुनर्वास का दबाव बनाया। अंततः ब्रिटेन ने स्वयं को इस मामले से अलग कर लिया और यह मामला नवगठित संयुक्त राष्ट्र संघ के पास चला गया।
  • नवंबर 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को ‘अरब राज्य’ और ‘इज़रायल’ नामक दो हिस्सों में बाँट दिया तथा ‘यरुशलम’ को अंतर्राष्ट्रीय सरकार के अधीन रखा। अरब देशों ने इस फैसले को ठुकराते हुए कहा कि उन्हें आबादी के अनुपात में कम भूमि प्राप्त हुई है। फिर वर्ष 1948 में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में ‘इज़रायल’ की स्थापना हुई।
  • गौरतलब है कि वर्ष 1967 के 6 दिवसीय युद्ध के पश्चात् इज़रायल ने अल-अक्सा परिसर का प्रशासन जॉर्डन को वापस सौंप दिया और गैर-मुस्लिमों को अल-अक्सा में पूजा करने की अनुमति नहीं दी। अतः यहूदियों ने समय-समय पर ‘माउंट टेंपल प्लाजा’ में प्रवेश की कोशिश की।
  • वर्ष 1967 में पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़े के बाद से ही इज़रायल यहाँ जन्मे यहूदियों को इज़रायली नागरिक मानता है, जबकि यहीं पर जन्मे फिलिस्तीनियों को विभिन्न शर्तों पर यहाँ रहने की अनुमति दी जाती है। इसमें एक शर्त यह भी है कि एक निश्चित अवधि से ज्यादा समय तक यरुशलम से बाहर रहने पर उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी।
  • इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों ने यरुशलम को अपनी राजधानी घोषित किया है। जुलाई 1980 में इज़रायल की संसद ने यरुशलम कानून पारित कर इसे देश की राजधानी घोषित किया था।
  • जबकि वर्ष 2000 में फिलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा पारित एक कानून द्वारा यरुशलम को फिलिस्तीन की राजधानी घोषित किया गया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1988 में फिलिस्तीनी स्वतंत्रता की घोषणा के दौरान भी यरुशलम को राजधानी घोषित किया गया था। वर्तमान में फिलिस्तीनी प्राधिकरण का मुख्यालय ‘रामल्लाह’ में है।

अब्राहम समझौता (Abraham Accord)

  • यह सयुंक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन और इज़रायल के मध्य हस्ताक्षर किया गया एक शांति समझौता है। इसके तहत यू.ए.ई. और बहरीन ने इज़रायल को मान्यता दी है। इसका उद्देश्य तीनों देशों के आपसी आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को बेहतर बनाना है।

इज़रायल- फिलिस्तीन के बीच विवादित क्षेत्र

  • वेस्ट बैंक : इज़रायल और जॉर्डन के बीच अवस्थित यह क्षेत्र वर्ष 1967 से ही इज़रायल के कब्ज़े में है। इज़रायल और फिलिस्तीन, दोनों इसे अपना क्षेत्र बताते हैं।
  • गाजा पट्टी : इज़रायल और मिस्र के बीच में स्थित इस क्षेत्र पर इज़रायल विरोधी समूह ‘हमास’ का कब्ज़ा है। सितंबर 2005 में इज़रायल ने यहाँ से अपनी सेना वापस बुला ली थी। वर्ष 2007 से ही इज़रायल ने इस क्षेत्र पर कई प्रतिबंध आरोपित कर रखे हैं।
  • गोलन हाइट्स : राजनीतिक और रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण यह क्षेत्र सीरिया का एक पठार है। वर्ष 1967 के बाद से ही इस क्षेत्र पर इज़रायल का कब्ज़ा है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR