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गिग इकॉनमी में श्रमिकों की स्थिति 

(परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -3 भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)

संदर्भ 

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि भारत में गिग इकॉनमी के अंतर्गत अगले 8 से 10 वर्षों में रोगार की संख्या लगभग 90 मिलियन हो सकती है। इसके अंतर्गत होने वाला व्यापार लगभग 250 अरब डॉलर का होगा। इससे भारत के सकल घरेलु उत्पाद में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। 

गिग इकॉनमी

‘गिग इकॉनमी’ एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है। इसके अंतर्गत लचीली एवं अस्थायी नौकरियों का सृजन होता है। इसमें कंपनियाँ पूर्णकालिक कर्मचारियों की बजाय स्वतंत्र ठेकेदारों और फ्रीलांसरों की नियुक्ति करती हैं।

गिग इकॉनमी में रोज़गार सृजन

  • गिग इकॉनमी, देश में रोज़गार सृजन एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। इसने असंगठित क्षेत्र के लोगों को नए कौशल सीखने में मदद की है। महामारी की अवधि में गिग श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • तीन वर्ष पूर्व वॉलमार्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट संयोजन से 10 मिलियन रोज़गार सृजित होने की संभावना जताई थी। यह देश की वार्षिक रोज़गार सृजन आवश्यकता के बराबर है। इन रोगारों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रोज़गार शामिल हैं। ये इसकी आपूर्ति शृंखला, रसद भण्डारण एवं कुरियर सेवाओं से आएँगे।
  • पिछले वर्ष, ओला मोबिलिटी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि बाइक टैक्सियों में भारत में 20 लाख रोज़गार सृजित होने की क्षमता है।
  • देश की विभिन्न फ़ूड डिलीवरी कंपनियों में भी बड़ी मात्रा में रोज़गार सृजन की क्षमता है। इस क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी जोमैटो देश के लगभग 500 शहरों में लगभग 17000 रेस्तरां से जुडी हुई है। यह इसके द्वारा सृजित किये जाने वाले रोगारों को स्पष्ट करता है।

गिग इकॉनमी के क्षेत्र में श्रमिकों की समस्याएँ

  • देश की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के बावजूद गिग अर्थव्यवस्था अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है तथा कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
  • गिग इकॉनमी के क्षेत्र में स्थिर और सुरक्षित रोज़गार का सृजन नही होता है। इस क्षेत्र में सृजित होने वाली नौकरियों में न ही चिकित्सा/स्वास्थ्य बीमा की कोई सुविधा होती है और न ही सही समय पर वेतन भुगतान हो पाता है।
  • गिग श्रमिकों का उपयोग करने वाले निगमों की अपने श्रमिकों के प्रति कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती। साथ ही, गिग श्रमिकों को भी कोई अधिकार प्राप्त नहीं होते, जिससे श्रमिकों के शोषण में वृद्धि होती है। इस क्षेत्र में श्रमिक संगठनों की अनुपस्थिति के कारण श्रमिकों के हितों को अनदेखा किया जाता है।
  • हालाँकि,िग श्रमिकों को उचित मजदूरी, चिकित्सीय सुविधा, बीमा एवं अवकाश जैसी सुविधाएँ प्रदान करने के लिये सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के दायरे में लाया गया है।

जट 2021-22 में गिग श्रमिकों के लिये प्रावधान

  • गिग अर्थव्यवस्था एवं उसके श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों को कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अंतर्गत कवर करने का प्रावधान किया गया है।
  • महिलाओं को सभी श्रेणियों तथा रात की अवधि में भी पर्याप्त सुरक्षा के साथ काम करने की अनुमति प्रदान की गई है।
  • बजट में एक पोर्टल शुरू करने का प्रावधान किया गया है। यह पोर्टल गिग श्रमिकों  के संबंध में जानकारी एकत्र करने के साथ ही श्रमिकों के लिये स्वास्थ्य, आवास, कौशल, बीमा, ऋण और खाद्य योजनाओं के लिये नीतियाँ तैयार करने में मदद करेगा।    

आगे की राह

  • सरकार द्वारा श्रम सुधारों पर ध्यान केंद्रित किये जाने की आवश्यकता है। गिग श्रमिकों के हितों के संवर्धन के लिये उन्हें मजदूर के रूप में परिभाषित किया जाना आवश्यक है।
  • देश की नई श्रम संहिता में गिग अर्थव्यवस्था पर भी ध्यान दिया गया है तथा अनुबंध श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करने का वादा किया गया है। बजट 2021-22 में गिग श्रमिकों की बेहतर ट्रैकिग और कल्याण के लिये श्रमिकों का डेटाबेस बनाने का भी प्रस्ताव है। 
  • नियोक्ताओं को भी गिग श्रमिकों के बीमा एवं अन्य दायित्वों में योगदान पर विचार करने की आवश्यकता है।
  •  साथ ही, श्रमिकों के कौशल क्षमता में अंतराल का आकलन करने और कार्यबल की अपस्किलिंग एवं रीस्किलिंग को सुनिचित करने के लिये रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
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