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रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को अधिशेष हस्तांतरण

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3, विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार को 99,122 करोड़ रुपए के अधिशेष को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही, इस बैठक में आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer) को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का भी निर्णय लिया गया है। 

वर्ष 2020-21 के लिये अधिशेष हस्तांतरण

  • सरकार ने बजट 2020-21 में रिज़र्व बैंक से 53,511 करोड़ रूपए का अधिशेष हस्तांतरण प्राप्त करने का अनुमान व्यक्त किया था। जबकि रिज़र्व बैंक से उसे 99,122 करोड़ का अधिशेष प्राप्त होगा जो कि उसके बजट अनुमान से लगभग दोगुना है।     
  • उल्लेखनीय है कि रिज़र्व बैंक द्वारा अपने वित्तीय वर्ष को जुलाई- जून के स्थान पर अप्रैल- मार्च के रूप में परिवर्तित किया गया है, अतः सरकार को यह अधिशेष 31 मार्च को समाप्त हो रहे नौ माह (जुलाई 2020-मार्च 2020) की लेखा अवधि के लिये हस्तांतरित किया जाएगा। 

िज़र्व बैंक अधिशेष 

  • रिज़र्व बैंक अधिशेष वह राशि है जो प्रत्येक वर्ष उसके द्वारा सरकार को हस्तांतरित की जाती है।
  • ह राशि बैंक द्वारा अपने सभी खर्चों को पूरा करने के बाद बची हुई राशि है।  

िज़र्व बैंक द्वारा सरकार को अधिशेष हस्तांतरण संबंधी प्रावधान 

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 47 “अधिशेष लाभों के आवंटनमें यह प्रावधान किया गया है कि बैंक अपने समस्त खर्चों के भुगतान/व्यवस्था करने के पश्चात सरकार को अधिशेष का हस्तांतरण करेगा। 

िगत वर्षों में अधिशेष हस्तांतरण 

  • रिज़र्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिये सरकार को 57,128 करोड़ का अधिशेष हस्तांतरण किया गया। 
  • यह अधिशेष हस्तांतरण बैंक की आय का मात्र 44 प्रतिशत था। यह विगत सात वर्षों में प्रतिशत के लिहाज से सरकार को किया गया सबसे कम हस्तांतरण था।
  • वित्त वर्ष 2018-19 के लिये बैंक द्वारा केंद्र सरकार को 1,23,414 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये गए थे। 

िज़र्व बैंक की आय के स्त्रोत 

  • रिज़र्व बैंक के द्वारा आय प्राप्त करने के कई साधन हैं। इसमें खुले बाज़ार कि प्रक्रिया का संचालन प्रमुख है। इसके लिये केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति के विनिमय के लिये खुले बाज़ार में बॉण्ड की खरीद-बिक्री करता है तथा इन बॉण्डों से ब्याज प्राप्त करता है।
  • इसके अतिरिक्त, विदेशी मुद्रा बाज़ार में लेनदेन, जिसके अंतर्गत बैंक डॉलर को कम मूल्य में खरीद कर मुनाफा प्राप्त करने के लिये अधिक मूल्य में बिक्री करता है, भी इसकी आय का प्रमुख स्रोत है।
  • उल्लेखनीय है कि वाणिज्यिक बैंकों के विपरीत रिज़र्व बैंक का प्राथमिक उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं बल्कि रुपए के मूल्य को संरक्षित करना है। अतः बैंक को होने वाले लाभ एवं हानि इसके मौद्रिक नीति को आकार देने के क्रम में उप-उत्पाद के रूप में है।             

बिमल जालान समिति  

  • रिज़र्व बैंक द्वारा आर्थिक पूँजी ढाँचे पर सुझाव के लिये 26 दिसंबर, 2018 को बिमल जालान की अध्यक्षता में छः सदस्यीय समिति का गठन किया गया।   
  • इस समिति का गठन वित्त मंत्रालय एवं रिज़र्व बैंक के मध्य अधिशेष के उचित स्तर तथा अतिरिक्त राशि के हस्तांतरण को लेकर उपजे विवाद के बाद किया गया। 
  • समिति ने आकस्मिक जोखिम बफर के रूप में प्राप्त इक्विटी का आकार रिज़र्व बैंक की बैलेंस शीट के 5.5 से 6.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखे जाने का सुझाव दिया।  
  • समिति के अनुसार यदि वास्तविक इक्विटी आवश्यक स्तरों से ऊपर है, तो रिज़र्व बैंक कि संपूर्ण शुद्ध आय सरकार को हस्तांतरित कर दी जाएगी। यदि यह कम है, तो आवश्यक सीमा तक जोखिम प्रावधान किया जाएगा और केवल अवशिष्ट शुद्ध आय को स्थानांतरित किया जाएगा। समिति के इस ढाँचे की हर पाँच वर्ष में समीक्षा की जा सकती है।      
  • जालान समिति से पूर्व भी अधिशेष राशि के उपयुक्त स्तर पर सुब्रमण्यम समिति(1997), उषा थोराट समिति(2004) एवं मालेगाम समिति(2013) का गठन किया जा चुका है। सुब्रमण्यम समिति ने आकस्मिक कोष को 12 प्रतिशत जबकि थोराट समिति ने 18 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया था। रिज़र्व बैंक ने थोराट समिति कि सिफारिशों को अस्वीकार कर सुब्रमण्यम समिति के सुझाव को जारी रखा था।
  • मालेगाम समिति ने इस संबंध में कोई निश्चित आँकड़ा नहीं दिया तथा रिज़र्व बैंक को अपने लाभ में से उपयुक्त राशि सरकार को हस्तांतरित करने का सुझाव दिया   

िष्कर्ष 

रिज़र्व बैंक के इस अधिशेष हस्तांतरण से सरकार पर राजकोषीय दबाव में कमी आएगी। इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में खर्च के लिये अतिरिक्त राशि उपलब्ध हो सकेगी। यह हस्तांतरण कोविड-19 की दूसरी लहर से उत्पन्न आर्थिक दुष्प्रभाव को कम करने एवं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में विशेष रूप से सहायक होगी।

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