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अमेरिका की धारा 230

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -2 : अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) 

सन्दर्भ

  • हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका में कैपिटल बिल्डिंग (संसद भवन) पर ट्रंप समर्थकों के हमले के बाद कई बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निजी अकाउंट्स को या तो स्थाई या अस्थाई रूप से बंद कर दिया है।
  • ट्विटर ने तो हिंसा और ग़लत जानकारी फैलाने के लिये ट्रंप के साथ-साथ उनके कुछ करीबियों के ‘ट्विटर हैंडल’ हमेशा के लिये बंद करने का फैसला किया है।
  • यद्यपि सोशल मीडिया कम्पनियों के इस कदम ने एक बार फिर से अमेरिका में धारा 230 पर बहस को जन्म दे दिया है।
  • ‘यू.एस. कम्युनिकेशन डीसेंसी ऐक्ट’ की इस धारा के ज़रिये अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियाँ अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकती हैं। हालाँकि, इसका प्रयोग सीधे राष्ट्रपति के खिलाफ करना आश्चर्यजनक कदम है।

क्या है धारा 230?

  • ‘कम्युनिकेशन डीसेंसी ऐक्ट’ की ‘धारा 230’ को पहली बार वर्ष 1996 में अधिनियमित किया गया था।
  • इसके तहत इंटरनेट कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर साझा किये गए डाटा से कानूनी सुरक्षा मिलती है।
  • पहले इस धारा को ऑनलाइन पोर्नोग्राफी को रेगुलेट करने के लिये लाया गया था।
  • धारा 230 उस कानून का संशोधन है, जो कि यूज़र्स/उपयोगकर्ताओं को उनके किये गए ऑनलाइन कमेंट्स और पोस्ट्स के लिये ज़िम्मेदार बनाता है।
  • इस धारा के तहत कोई भी सोशल मीडिया कंपनी अपनी वेबसाइट पर उपयोगकर्ता द्वारा डाली गई चीज़ों के लिये ज़िम्मेदार नहीं होगी।
  • अगर उपयोगकर्ता वेबसाइट पर कोई भी अवैध या ग़लत चीज़ डालता/पोस्ट करता है, तो सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ मामला दाखिल नहीं किया जा सकता।
  • इसके आलावा प्राइवेट कंपनियों को यह अधिकार है कि वे अपने दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले लोगों को प्लेटफॉर्म से ही हटा सकते हैं।
  • इसलिये धारा 230 के तहत सोशल मीडिया कंपनियाँ ट्रंप के अकाउंट को बंद करने के फैसले पर पूरा अधिकार रखती हैं। 

कब तैयार हुई थी धारा 230

  • इस कानून को सबसे पहले ओरेगॉन के डेमोक्रेट सांसद रॉन वेडन और साउथ कैरोलाइना से रिपब्लिकन सांसद क्रिस कॉक्स ने दो दशक पहले ड्राफ्ट किया था।
  • तब इसका उद्देश्य अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन के तहत बड़ी तकनीकी कंपनियों को बढ़ावा देना और अभिव्यक्ति की आज़ादी को सुरक्षा देना था।
  • अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अधिकार समूह ‘इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन’ ने धारा 230 को "इंटरनेट पर वक्तव्यों या भाषण की रक्षा करने वाला महत्त्वपूर्ण कानून" कहा था। 

धारा 230 की आलोचना

  • जहाँ एक तरफ धारा 230 सोशल मीडिया कंपनियों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, वहीं इसके आलोचकों का कहना है कि यह कानून फेसबुक-ट्विटर के उनके मौजूदा स्वरूप से काफी पहले तैयार हुआ था, अतः इसे अद्यतन किया जाना चाहिये।
  • राजनीतिक नेता और इंटरनेट एक्टिविस्ट लगातार इस कानून में संशोधन की मांग करते रहे हैं।
  • कई आलोचकों का कहना है कि इस कानून से बड़ी तकनीकी कंपनियाँ राजनीतिपूर्ण एवं दलीय गतिविधियों में भागीदार बन सकती हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि यह कानून दक्षिणपंथी चरमपंथियों को 4chan या पार्लर जैसी वेबसाइट्स के द्वारा भड़काऊ या उग्र बातें साझा करने पर किसी तरह का रोक नहीं लगाता।
  • गौरतलब है कि ट्रंप से लेकर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन भी इस तरह के कानून को बदलने की बात कह चुके हैं।
  • ट्रम्प ने मई 2020 में इस कानून के तहत सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स को मिलनी वाली सुरक्षा पर को लक्षित करते हुए कहा था कि बहुत से प्लेटफार्म सरकार के खिलाफ षड्यंत्र में शामिल हैं।
  • हालिया चुनाव में जो बाइडन की जीत के बाद ट्रम्प ने पूरी तरह से इस कानून को रद्द करने की बात कही थी, ट्रम्प ने कहा था कि धारा 230 अमेरिका की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है।
  • ट्रम्प ने ‘राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम’ (एन.डी.ए.ए.) को अधिकृत करने वाले एक वार्षिक रक्षा विधेयक को वीटो करने की धमकी भी दी, जब तक कि कांग्रेस धारा 230 को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सहमत नहीं हुई।
  • यद्यपि यह धारा अंततः रद्द नहीं हुई।
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