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शॉर्ट न्यूज़: 03 नवंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 03 नवंबर, 2020


मानसर झील विकास योजना

कोरोनोवायरस में D614G उत्परिवर्तन

मानव शरीर का ‘सामान्य’ तापमान और विसंगति

इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation – OIC)


मानसर झील विकास योजना

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में मानसर झील विकास योजना का उद्घाटन किया।
  • इस परियोजना के लागू होने के बाद, मानसर क्षेत्र में प्रति वर्ष पर्यटकों / तीर्थयात्रियों की संख्या मौजूदा 10 लाख से बढ़कर 20 लाख हो जाएगी।
  • साथ ही मानसर कायाकल्प योजना से लगभग 1.15 करोड़ मानव-दिन रोज़गार सृजित होने और प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपये से अधिक की आय होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
  • जम्मू-कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 7% है।
  • नमामि गंगे और गंगा सफाई परियोजना के समान ही देविका नदी और मानसर झील के कायाकल्प और नवीकरण परियोजनाओं को शुरू किया गया है।
  • देविका नदी को माँ गंगा की बहन भी कहा जाता है और मानसर झील का उल्लेख महाभारत के प्राचीन लेखों में भी मिलता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ध्यातव्य है कि जम्मू-कश्मीर को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कुछ समय पूर्व शाहपुर कंडी सिंचाई परियोजना और उझ बहुउद्देशीय परियोजना पुनः प्रारम्भ की गई हैं। पंजाब राज्य में जम्मू-कश्मीर और पंजाब की सीमा पर रावी नदी पर शाहपुर कंडी परियोजना का निर्माण किया जा रहा है।
  • उझ बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण उझ नदी पर जम्‍मू-कश्‍मीर  के कठुआ ज़िले में करने की योजना है। उझ नदी रावी नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
  • विदित है कि रियासी (Reasi) ज़िले में निर्माणाधीन  चिनाब रेल ब्रिज बनकर तैयार होने के बाद विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पुल होगा।

कोरोनोवायरस में D614G उत्परिवर्तन

सम्पूर्ण विश्व में नॉवेल कोरोनोवायरस कई उत्परिवर्तनों से गुज़र रहा है, इन सभी उत्परिवर्तनों में से एक विशेष उत्परिवर्तन, जिसे D614G नाम दिया गया है, वर्तमान में कोविड ​​-19 महामारी के प्रमुख स्वरूपों में से एक हो गया है।

D614G उत्परिवर्तन (D614G mutation)

  • जब वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तो यह बहुगुणन के द्वारा स्वयं की प्रतियाँ बनाने लगता है। जब भी यह इस गुणन प्रक्रिया में कोई त्रुटि करता है, तो नया उत्परिवर्तन देखने को मिलता है।
  • इस नए उत्परिवर्तन के मामले में, वायरस ने अमीनो एसिड के 614 वें स्थान पर एस्पार्टिक एसिड (डी) को ग्लाइसिन (जी) के साथ बदल दिया है। इसलिये इस उत्परिवर्तन को D614G कहा जा रहा है।
  • वायरस के इस उत्परिवर्तित रूप को पहले चीन और फिर यूरोप में पहचाना गया। बाद में यह अमेरिका और कनाडा जैसे अन्य देशों में भी फैल गया और अब इसे भारत में भी दर्ज किया गया है।

उत्पन्न खतरे

  • यह उत्परिवर्तन, वायरस को व्यक्तियों में ACE2 रिसेप्टर के साथ अधिक कुशलतापूर्वक संलग्नित होने में सहायता करता है, जिससे पूर्ववर्ती वायरसों की तुलना में यह उत्परिवर्तित वायरस मानव शरीर में प्रवेश करने में ज़्यादा सफल होता है।
  • D614G की संक्रामकता ज़्यादा है और इसमें किसी व्यक्ति के नाक और गले के अंदर की कोशिका भित्ति की दीवारों में खुद को संलग्न करने की क्षमता भी ज़्यादा है, जिससे वायरल संक्रमण का स्तर बढ़ जाता है।

भारत में स्थिति

  • एक अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि D614G महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान भी सबसे प्रचलित स्पाइक म्यूटेशन में से एक था।
  • तब से, D614G म्यूटेशन दिल्ली को छोड़कर ज़्यादातर राज्यों में 70% से भी अधिक फैला है।

मानव शरीर का ‘सामान्य’ तापमान और विसंगति

विगत कई वर्षों से डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि 98.6 ° F (37 °C) वास्तव में शरीर का मानक ‘सामान्य’ तापमान नहीं है, जिसे पूर्व में मानक तापमान माना जाता था।

clinical-thermometer

शरीर का ‘सामान्य’ तापमान

  • वर्ष 1851 में, कार्ल रीनहोल्ड ऑगस्ट वंडरलिच ने शरीर के तापमान को मापने के लिये नैदानिक ​​थर्मामीटर (clinical thermometer) का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया।
  • यह थर्मामीटर लगभग एक फुट लम्बी रॉड के आकार का था, जिसे वो लीपज़िग विश्वविद्यालय से जुड़े अस्पताल में रोगियों काँख (armpits) में लगा देते थे और फिर तापमान दर्ज करने के लिये 15 मिनट तक प्रतीक्षा करते थे।
  • उन्होंने लगभग 25,000 रोगियों के शरीर के तापमान के दस लाख से ज़्यादा नमूने एकत्र किये और वर्ष 1868 में एक पुस्तक में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किये, जिसमें उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि औसत मानव शरीर का तापमान 98.6 ° F है।
  • यद्यपि वर्तमान में अधिकांश आधुनिक वैज्ञानिकों को लगता है कि वंडरलिच के प्रयोग त्रुटिपूर्ण थे और उनके उपकरण भी सही नहीं थे।
  • एक अन्य अध्ययन में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि औसत मानव शरीर का तापमान 98.2 ° F (36.8 °C) के करीब है और सुझाव दिया कि 98.6 ° F के बेंचमार्क को अब हटा देना चाहिये।
  • ध्यातव्य है कि द्रवों का आयतन ताप ग्रहण कर बढ़ जाता है तथा आयतन में होने वाली यह वृद्धि तापक्रम के समानुपाती होती है। साधारण थर्मामीटर इसी सिद्धान्त पर काम करते हैं। साधारण थर्मामीटर की खोज श्रेय इटली के चिकित्सक और वैज्ञानिक, संतोरियो संतोरियो (Santorio Santorio) को जाता है, जबकि आधुनिक पारे के थर्मामीटर की खोज का श्रेय डच वैज्ञानिक डैनियल गैब्रियल फॉरेनहाइट (Daniel Gabriel Fahrenheit) को जाता है।

शारीरिक तापमानों में विसंगति

  • अमेरिका और यूरोप में हुए व्यापक अध्ययनों में समय के साथ शरीर के औसत तापमान में गिरावट देखी गई है।
  • हाल के वर्षों में, विभिन्न अध्ययनों द्वारा शोधकर्ताओं ने मानव शरीर के सामान्य तापमान का औसत अलग-अलग पाया है, जिसमें 97.7°F, 97.9°F और 98.2°F शामिल हैं।
  • विगत वर्ष प्रकाशित, एक बड़े अध्ययन में यह पाया गया कि अमेरिकियों के शरीर के सामान्य तापमान में पिछली दो शताब्दियों में गिरावट देखी गई है।

इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation – OIC)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, तुर्की द्वारा आर्मीनिया-अज़रबैजान विवाद को परोक्ष रूप से लगातार बढ़ाने के लिये और अज़रबैजान के समर्थन में लॉबिंग करने के लिये इस्लामिक सहयोग संगठन ने तुर्की को फटकार लगाई है।

ध्यातव्य है कि तुर्की लगातार पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम एशिया में उत्पन्न हो रहे विवादों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और अक्सर वह इन विवादों में हस्तक्षेप करता है जिसका वैश्विक स्तर पर विरोध होता आया है।

परिचय

  • गठन – 25 सितम्बर 1969 (मोरक्को की राजधानी रबात में)
  • पूर्व नाम – इस्लामिक सभा संगठन (Organisation of the Islamic Conference - OIC)
  • मुख्यालय – जेद्दा, सऊदी अरब
  • सदस्य – 57 (इनमें ‘फिलिस्तीन’ एकमात्र ऐसा देश है, जो संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं है।)
  • आधिकारिक भाषाएँ – अरबी, अंग्रेजी, फ्रेंच।
  • उद्देश्य– मुस्लिमों की प्रगति व बेहतरी के प्रयास करना तथा समस्त देशों के साझा हितों की रक्षा करना।
  • कार्य– सभी सदस्य देशों के मध्य सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक सम्बंधों को बढ़ाना, शैक्षिक, वैज्ञानिक व आर्थिक विकास का संवर्धन करना तथा इस्लामी-शिक्षा को प्रोत्साहित करना।

प्रमुख बिंदु : –

  • इस संगठन का ‘संयुक्त राष्ट्र’ व ‘यूरोपीय यूनियन’ में स्थायी प्रतिनिधित्व है।
  • इस संगठन की बैठक में सदस्य देशों के केंद्रीय विदेश मंत्री हिस्सा लेते हैं।
  • 10-11 सितम्बर 2017 को कज़ाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में हुई अपनी बैठक में ओआईसी द्वारा अस्ताना घोषणापत्र अपनाया गया। ‘अस्ताना घोषणापत्र’ का उद्देश्य सभी सदस्य देशों में विज्ञान व तकनीक को बढ़ावा देना है।
  • भारत ओ.आई.सी. का सदस्य नहीं है।

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