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शॉर्ट न्यूज़: 04 जनवरी, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 04 जनवरी, 2021


ट्रांसफैट की अनुमन्य मात्रा

मौसम विज्ञान केंद्र, लेह (Meteorological Centre, Leh)

पोंग डैम (Pong Dam)


ट्रांसफैट की अनुमन्य मात्रा

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थ सुरक्षा और मानक (बिक्री पर प्रतिबंध और प्रतिबंध) विनियम में एक संशोधन  किया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संशोधन के द्वारा तेल एवं वसा में ट्रांस फैटी एसिड (TFA) की अनुमन्य मात्रा वर्ष 2021 तक 3% और वर्ष 2022 तक 2% निर्धारित की गई है, वर्तमान में यह अनुमन्य मात्रा 5% है।
  • वर्ष 2011 में भारत ने पहली बार ट्रांस फैटी एसिड की अनुमन्य मात्र को विनियमित कर 10% निर्धारित किया, जिसे वर्ष 2015 में घटाकर 5% कर दिया गया था
  • हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल एवं भूटान तथा कुछ अन्य देशों को ट्रांस फैट के जोखिम से जुड़ी चेतवानी दी है और इस पर तत्काल कार्रवाई करने को कहा है। ध्यातव्य है कि सिर्फ ट्रांस फैट की वजह से पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष लगभग 500,000 लोगों की हृदय रोगों से मृत्यु हो जाती है। इनमें से दो-तिहाई मौतें मात्र 15 देशों में होती हैं।

ट्रांस फैट अथवा ट्रांस फैटी एसिड (TFA)

  • ट्रांस फैट अथवा ट्रांस फैटी एसिडअत्यधिक हानिकारक प्रकार के असंतृप्त वसा होते हैं, जो वानस्पतिक वसा, जैसे मार्जरीन (कृत्रिम मक्खन) तथा घी (प्रशोधित मक्खन), हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल आदि के अलावा स्नैक्स, विभिन्न बेकरी उत्पादों तथा तले हुए खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।
  • दीर्घकाल तक खराब न होने, अन्य विकल्पों की तुलना में सस्ते होने के साथ ही स्वाद व लागत को प्रभावित नहीं करने के कारण उत्पादकों द्वारा ट्रांस फैट का अधिक प्रयोग किया जाता है।
  • येन सिर्फ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं, बल्कि हमें हृदय रोग से बचाने में मदद करने वाले अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी कम कर देते हैं।
  • इसके प्रयोग सेमोटापा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, उपापचयी सिंड्रोम, इंसुलिन प्रतिरोध, बांझपन तथा कैंसर आदि का खतरा होता है तथा यह गर्भ में भ्रूण के विकास को भी हानि पहुँचा सकता है।
  • डब्ल्यू.एच.ओ.ने प्रति व्यक्ति कुल कैलोरी मात्रा में 1% से कम कृत्रिम ट्रांस फैटी एसिड को अनुमन्य माना है। साथ ही, वर्ष 2023 तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस-फैट को पूर्णतः खत्म करने का आह्वान किया है।
  • एफ.एस.एस.ए.आई. (FSSAI) ने भी खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड की सीमा को 2% तक सीमित करने तथा वर्ष 2022 तक खाद्य पदार्थों से ट्रांस फैट को खत्म करने की अनुशंसा की है।

 


मौसम विज्ञान केंद्र, लेह (Meteorological Centre, Leh)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने लेह (लद्दाख) में मौसम विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • यह केंद्र 3500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह भारत का सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित मौसम केंद्र होगा।
  • भविष्य में मौसम संबंधी घटनाओं के कारण होने वाले नुकसान को रोकने तथा लद्दाख में मौसम संबंधी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मज़बूत करने के लिये लेह में ‘स्टेट ऑफ द आर्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ की स्थापना की गई है।
  • यह केंद्र ऊँचाई वाले क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ लद्दाख के लोगों एवं प्रशासन को मौसम एवं जलवायु संबंधी विभिन्न जानकारियाँ प्रदान करेगा।
  • यह नुब्रा, चांगथांग, पैंगोंग झील, ज़ास्कर, कारगिल, द्रास, धा-ब्यामा (आर्यन घाटी), खलसी जैसे महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के लिये मौसम पूर्वानुमान की सुविधा प्रदान करेगा।
  • लद्दाख क्षेत्र में तीव्र ढलान वाले पहाड़, वनस्पतिरहित श्लथ मृदा (Loose Soil) और मलबे के ढेर पाए जाते हैं, जिससे इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक घटनाओं, जैसे- बादल फटना, फ्लैश फ्लड्स, हिमस्खलन, हिमनदीय विस्फ़ोट आदि का खतरा बना रहता है।

पोंग डैम (Pong Dam)

संदर्भ

हाल ही में, पोंग डैम के आस-पास के क्षेत्र में लगभग 1,400 से अधिक प्रवासी पक्षी मृत पाए गए।

प्रमुख बिंदु

  • मृत पक्षियों में बार हेडेड गूज़, ब्लैक हेडेड गुल, रिवर टर्न, कॉमन टील और शॉवलर शामिल हैं। धामेटा एवं नगरोटा सहित अभयारण्य के विभिन्न हिस्सों में ये पक्षी मृत पाए गए। हालाँकि प्रवासी पक्षियों की मौत का कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है।
  • मौत के कारण का पता लगाने के लिये रीजनल डिज़ीज़ डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (जालंधर), इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (बरेली), वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (देहरादून) तथा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग प्रयोगशाला (भोपाल) में परीक्षण हेतु पक्षियों के शव से लिये गए नमूने भेजे गए हैं।
  • विदित है कि नवंबर 2019 में, राजस्थान की सांभर झील में एवियन बोटुलिज़्म (जीवाणु रोग) के कारण 18,000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मृत्यु हो गई थी।

पोंग डैम

  • पोंग डैम या झील एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है। इसका निर्माण हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले की शिवालिक पहाड़ियों की आर्द्रभूमि में ब्यास नदी पर किया गया है। इसे ब्यास झील भी कहते हैं।
  • इसका निर्माण वर्ष 1975 में महाराणा प्रताप के सम्मान में किया गया था, जिस कारण इसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है।
  • 15 दिसंबर, 2020 को हुई जनगणना में यहाँ लगभग 57,000 प्रवासी पक्षी दर्ज किये गए थे, जिनमें हेडेड गूज़, ब्लैक हेडेड गुल, रिवर टर्न, कॉमन टील, शॉवलर, व्हॉपर स्वान, इंडियन स्किमर और व्हाइट रंप्ड वल्चर शामिल हैं।
  • यह भरतपुर अभयारण्य के बाद देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ प्रत्येक वर्ष लाल गर्दन वाले ग्रेब (grebe) आते हैं।
  • पोंग डैम सबसे महत्त्वपूर्ण मछली जलाशय है। इसमें राजसी मछली (Majestic Fish) अधिक मात्रा में पाई जाती है।
  • ध्यातव्य है कि पोंग आर्द्रभूमि को वर्ष 2002 में रामसर साइट घोषित किया गया था।

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