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शॉर्ट न्यूज़: 05 जनवरी, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 05 जनवरी, 2021


टैम्पोन टैक्स  (Tampon Tax)

लीथियम के लिये विकल्पों की तलाश

लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स


टैम्पोन टैक्स  (Tampon Tax)

संदर्भ

हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम (UK) ने महिलाओं द्वारा प्रयोग किये जाने वाले सैनिटरी उत्पादों पर 5% मूल्य वर्धित कर (VAT) को समाप्त कर दिया है। इस टैक्स को ‘टैम्पोन टैक्स’ कहा जाता था।

प्रमुख बिंदु

  • 31 दिसंबर, 2020 तक यू.के. यूरोपीय संघ का सदस्य था। यूरोपीय संघ में मासिक धर्म/पीरियड्स से जुड़े सैनिटरी उत्पादों को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से बाहर रखा गया है और इन उत्पादों पर 5% की दर से टैक्स देना पड़ता है।
  • वर्ष 1973 में यूरोपीय संघ ने सेनेटरी उत्पादों को पाँच अलग-अलग वैट दरों के अंतर्गत रखा था, वर्ष 2001 के बाद से यहाँ इन उत्पादों पर सबसे कम 5% स्लैब लागू था।
  • ‘टैम्पोन टैक्स’ को कार्यकर्ताओं ने लैंगिक भेदभाव वाला कर बताया था, जिस कारण काफी लम्बे समय से यू.के. में इस टैक्स को समाप्त करने की मांग की जा रही थी।
  • अब जबकि यू.के. यूरोपीय संघ से बाहर हो गया है, तो ऐसे में यह उसके नियमों को मानने के लिये बाध्य नहीं है।
  • यह संशोधनात्मक उपाय यू.के. के एक व्यापक सरकारी प्रयास का हिस्सा है जिसे ‘एंड पीरियड पावर्टी ’ कहा जाता है।
  • सैनिटरी उत्पादों पर कर समाप्त करके यू.के. अब उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने पहले ही इस कर को समाप्त कर दिया है। इस सूची में भारत, ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा शामिल हैं।
  • विदित है कि स्कॉटलैंड, जो यू.के. का एक हिस्सा है, ने नवंबर 2020 में सभी सैनिटरी उत्पादों को जरूरतमंद लड़कियों तथा महिलाओं के लिये मुफ़्त कर दिया है। ऐसा करने वाला यह विश्व का पहला देश बन गया है।

लीथियम के लिये विकल्पों की तलाश

संदर्भ

भारत ने अर्जेंटीना में संयुक्त रूप से लीथियम अन्वेषण के लिये एक समझौता किया है। विदित है कि अर्जेंटीना में चाँदी के भी बड़े भंडार पाए जाने की संभावना है। चाँदी, लीथियम आयन रिचार्जेबल बैटरी के निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), लैपटॉप और मोबाइल फोन को ऊर्जा प्रदान करता है।

खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड

  • यह समझौता राज्य के स्वामित्व वाली एक नई कंपनी के माध्यम से पिछले वर्ष अर्जेंटीना की एक फर्म के साथ किया गया है।
  • नई कंपनी का नाम ‘खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड’ है। इसे अगस्त, 2019 में राज्य-स्वामित्व वाली तीन कंपनियों, यथा- नाल्को, हिंदुस्तान कॉपर और खनिज अन्वेषण लिमिटेड द्वारा निगमित किया गया है।
  • विदेशों में लीथियम और कोबाल्ट जैसे रणनीतिक खनिज संपत्ति का अधिग्रहण करने के विशिष्ट उद्देश्य के साथ इसका गठन किया गया है। यह चिली और बोलीविया में अन्वेषण का विकल्प तलाश रही है, जो दो अन्य शीर्ष लीथियम उत्पादक देश हैं।

कारण

  • वर्तमान में भारत इन बैटरियों के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है और इस समझौते को चीन के विरुद्ध एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विदित है कि चीन कच्चे माल और सेल, दोनों का प्रमुख स्रोत है।
  • हालाँकि, भारत ने काफी देर से लीथियम वैल्यू चेन के क्षेत्र में प्रवेश किया है, क्योंकि निकट भविष्य में ई.वी. के विकास की बहुत प्रबल संभावनाएँ हैं।
  • वर्ष 2021 बैटरी तकनीक के क्षेत्र में एक निर्णायक वर्ष साबित हो सकता है क्योंकि व्यवसायीकरण के उन्नत चरणों के अंतर्गत ली-आयन प्रौद्योगिकी में कई संभावित सुधारों के साथ अन्य विकल्पों की तलाश जारी है।
  • इन कोशिशों में सबसे आशाजनक सॉलिड-स्टेट बैटरी है जिसमें जलीय इलेक्ट्रोलाइट घोल के अन्य विकल्प का प्रयोग किया जाता है। यह एक ऐसा नवाचार है, जो आग के जोखिम को कम करने के साथ-साथ तेजी से ऊर्जा घनत्व में वृद्धि करता है। इससे संभाव्यत: ई.वी. को चार्ज करने में केवल 10 मिनट लगते हैं, जिससे रिचार्जिंग में दो-तिहाई समय की कमी आती है। साथ ही, ये सेल कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक वाहन की ड्राइविंग दूरी में भी वृद्धि कर सकते हैं।

 

 


लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (GHTC-India) पहल के हिस्से के रूप में छह ‘लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स’ की नींव रखी।

प्रमुख बिंदु

  • ‘लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स’ के अंतर्गत ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया, 2019 के तहत सूचीबद्ध 54 तकनीकों में से छह अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करके प्रत्येक स्थान पर लगभग 1,000 आवासों का निर्माण एक वर्ष में किया जाना है।
  • इनका निर्माण छह स्थानों, यथा- इंदौर, राजकोट, चेन्नई, राँची, अगरतला और लखनऊ में किया जाना है। इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाना है।
  • इन तकनीकों में पूर्वनिर्मित सैंडविच पैनल सिस्टम तकनीक, टनलिंग, मोनोलिथिक कंक्रीट निर्माण प्रणाली, प्री-कास्ट कंक्रीट तकनीक, 3-डी तकनीक, स्टील फ्रेम तकनीक और प्री-कंस्ट्रक्टेड वाल तकनीक का प्रयोग शामिल है।
  • सरकार की अन्य योजनाओं को भी इन परियोजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि लाभार्थियों को जल-आपूर्ति, विद्युत और एल.पी.जी. कनेक्शन जैसी सुविधाएँ प्रदान की जा सकें।

उद्देश्य

  • ये परियोजनाएँ अनुसंधान एवं विकास (R&D) सहित सभी हितधारकों के लिये लाइव प्रयोगशालाओं के रूप में कार्य करेंगी, जो प्रयोगशाला से फील्ड में प्रौद्योगिकियों के सफल हस्तांतरण के लिये उपयोगी है।
  • लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स के तहत, लोगों को स्थानीय जलवायु और पारिस्थितिकी के अनुसार स्थाई आवास प्रदान किया जाता है। साथ ही, इस परियोजना के तहत विशेष तकनीकों का उपयोग करके सस्ते और मज़बूत आवासों का निर्माण किया जाता है।
  • परियोजना का मुख्य लाभ यह है कि इसमें निर्माण की अवधि और लागत कम होगी और आवास भी पूरी तरह से भूकंप-रोधी होंगे।
  • इस प्रोजेक्ट्स में पारंपरिक ईंट और मोर्टार से निर्माण की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली किफ़ायती व टिकाऊ सामग्री से सामूहिक आवास तैयार किये जाएंगे।

अन्य संबंधित बिंदु

  • नए रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) से आवास खरीददारों को सुरक्षा प्रदान की गई है।
  • प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से ‘सेंट्रल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट’ की भी कल्पना की गई थी। परियोजनाओं में राज्यों द्वारा दिया गया सहयोग एक तरह से सहकारी संघवाद को मज़बूत करने वाला है।
  • नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों पर ‘नवरीति’ (Navaritih) नाम का एक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया है।

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