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शॉर्ट न्यूज़: 05 नवंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 05 नवंबर, 2020


टाइफून गोनी

शहरी गतिशीलता भारत सम्मेलन, 2020 (Urban Mobility India Conference)

भारत प्रायोजित परमाणु निरस्त्रीकरण प्रस्ताव

महारानी जिंद कौर


टाइफून गोनी

  • हाल ही में, टाइफून गोनी (रॉली) फिलीपींस के पूर्वी हिस्से से टकराया। इस वर्ष फिलीपींस से टकराने वाला यह 18वाँ टाइफून है।
  • इस टाइफून ने उच्च जोखिम वाले ढाँचों को नुकसान पहुँचाने और घरों को क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ केले व नारियल के बागान तथा चावल व मकई की फसलों को भी नुकसान पहुँचाया है।
  • ऐसे तूफानों के उत्पन्न होने वाले स्थानों के आधार पर इनके भिन्न-भिन्न नाम होते हैं परंतु इन सभी प्रकार के तूफानों का वैज्ञानिक नाम उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
  • अटलांटिक महासागर या पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को हरिकेन तथा उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में बनने वाले चक्रवातों को टाइफून कहा जाता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात ऊष्ण और आर्द्र वायु जैसे कारकों से उत्पन्न होते हैं और इसलिये यह अधिकतर भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्री पानी पर विकसित होते हैं।

शहरी गतिशीलता भारत सम्मेलन, 2020 (Urban Mobility India Conference)

प्रमुख बिंदु

  • आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 9 नवम्बर, 2020 को 13वें ‘शहरी गतिशीलता भारत’ (UMI) सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष के सम्मेलन का मुख्य विषय ‘इमर्जिंग ट्रेंड्स इन अर्बन मोबिलिटी’ अर्थात ‘शहरी गतिशीलता का उभरता रूझान’ है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य जनता को उसकी पहुँच के भीतर एवं सुगम परिवहन सुविधा मुहैया कराने में कोविड-19 महामारी द्वारा पेश चुनौतियों तथा उनसे निपटने के लिये राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीनतम उपाय करने पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • अभी तक इस तरह के 12 सम्मेलन आयोजित किये जा चुके हैं। इन सम्मेलनों में भागीदारी के जरिये राज्य सरकारों, शहरी प्रशासनों और अन्य भागीदारों को काफी लाभ हुआ है।
  • इस सम्मेलन की शुरुआत वर्ष 2008 में ‘अर्बन मोबिलिटी’ विषय के साथ हुई थी। वर्ष 2019 में इसके 12वें संस्करण का आयोजन लखनऊ में ‘सुलभ और रहने योग्य शहर’ विषय के साथ हुआ था।

राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति-2006

  • भारतीय शहरों को तेज़ी से बदलती गतिशीलता से सम्बंधित जरूरतों के अनुकूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इन सभी मुद्दों के मद्देनज़र ‘राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति-2006’ को प्रस्तुत किया गया।
  • इस नीति का उद्देश्य भारतीय शहरों में रहने वालों की बढ़ती संख्या, नौकरियों, शिक्षा, मनोरंजन और ऐसी अन्य सभी जरूरतों के लिये सुरक्षित, सस्ती, त्वरित, आरामदायक, विश्वसनीय और टिकाऊ पहुँच उपलब्ध कराना है।
  • राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के कार्यान्वयन के एक हिस्से के रूप में अर्बन मोबिलिटी इंडिया पर एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-सह-प्रदर्शनी का आयोजन करने की पहल की गई, जिसे आम तौर पर यू.एम.आई. के रूप में जाना जाता है।

भारत प्रायोजित परमाणु निरस्त्रीकरण प्रस्ताव

  • हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की समिति ने भारत द्वारा प्रायोजित दो प्रस्तावों को अपनाया है। ये प्रस्ताव परमाणु हथियारों के निषेध का आह्वान करते हैं और ये विश्व में परमाणु हथियारों के आकस्मिक व दुर्घटनावश उपयोग के जोखिमों को कम करने से सम्बंधित हैं।
  • ‘परमाणु हथियारों’ के समूह के तहत इन दोनों प्रस्तावों का नाम ‘परमाणु हथियार उपयोग पर प्रतिबंध’ और ‘परमाणु खतरे को कम करना’ हैं।
  • ये संकल्प परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रकट करते हैं।
  • महासभा में वर्ष 1982 से भारत द्वारा ‘परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध’ प्रस्ताव को पेश किया गया था।  
  • वर्ष 1998 से प्रस्तुत ‘परमाणु खतरे को कम करने’ से सम्बंधित प्रस्ताव परमाणु हथियारों के उपयोग और परमाणु सिद्धांतों की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

महारानी जिंद कौर

हाल ही में, लंदन में रखे हुए कुछ आभूषणों की नीलामी के चलते महाराजा रणजीत सिंह की अंतिम पत्नी महारानी जिंद कौर चर्चा में थीं।

महारानी जिंद कौर (1817-1863)

  • महारानी जिंद कौर सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह की सबसे छोटी पत्नी तथा साम्राज्य के अंतिम शासक दलीप सिंह की माँ थीं।
  • दलीप सिंह पाँच वर्ष के थे, जब वर्ष 1843 में रणजीत सिंह के दो उत्तराधिकारियों की मृत्यु के बाद उन्हें सिंहासन पर बिठाया गया था। चूँकि उस वक्त दिलीप सिंह बच्चे थे, अतः महारानी जिंद को राजप्रतिनिधि बनाया गया था।
  • जिंद कौर रबर स्टैम्प नहीं थीं, उन्होंने राजस्व प्रणाली में बदलाव की शुरुआत करते हुए राज्य चलाने में सक्रिय रुचि ली।
  • ध्यातव्य है कि महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के शक्तिशाली शासक थे इनके साम्राज्य की सीमाएँ काबुल से कश्मीर और दिल्ली की सीमाओं तक फैली थीं।

आंग्ल-सिख युद्ध और जिंद कौर

  • अंग्रेजों ने दिसम्बर 1845 में सिख साम्राज्य पर युद्ध की घोषणा की। पहले आंग्ल-सिख युद्ध में अपनी जीत के बाद, उन्होंने दलीप सिंह को शासक के रूप में बनाए रखा, लेकिन जिंद कौर को कैद कर लिया।
  • जिंद कौर वहाँ से बच कर 29 अप्रैल, 1849 को काठमांडू पहुँची, जहाँ उन्हें वहाँ के प्रधानमंत्री जंग बहादुर ने शरण दी।
  • उन्हें भागमती नदी के किनारे एक घर दिया गया था। वह वर्ष 1860 तक नेपाल में रहीं, जहाँ उन्होंने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में विद्रोहियों तक अपनी पहुँच बनाए रखी।
  • वर्ष 1861 में महारानी जिंद कौर अपने बेटे से मिलने इंग्लैंड गयीं थीं। 46 वर्ष की आयु में 1 अगस्त, 1863 को लंदन में इनका देहांत हो गया।

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