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शॉर्ट न्यूज़: 08 जनवरी, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 08 जनवरी, 2021


मानव-वन्यजीव संघर्ष

रेवाड़ी-मदार रेलखंड का उद्घाटन

जम्मू-कश्मीर के लिये नई औद्योगिक विकास योजना


मानव-वन्यजीव संघर्ष

संदर्भ

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति (The Standing Committee of National Board of Wildlife) ने हाल ही में,  देश में मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife conflict)  के प्रबंधन हेतु परामर्श को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बातें

  • परामर्श में राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के लिये ऐसे विशेष उपाय सुझाए गए हैं, जिनसे मानव एवं वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएँ कम होंगी और विभागों के बीच समन्वय स्थापित होगा तथा प्रभावी कार्रवाई में तेज़ी आएगी।
  • इस परामर्श में वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के खण्ड 11 (1) (B) के अनुसार, संकटग्रस्त वन्य जीवों से निपटने में ग्राम पंचायतों को मज़बूत बनाने की परिकल्पना की गई है।
  • मानव एवं वन्यजीव संघर्ष के कारण होने वाले फसलों के नुकसान के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्षतिपूर्ति और वन्य क्षेत्रों के भीतर चारे तथा पानी के स्रोतों को बढ़ाना जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की भी बात की गई।
  • यह भी सुझाव दिया गया है कि इस प्रकार के किसी भी संघर्ष की स्थिति में पीड़ित परिवार को अंतरिम राहत के रूप में अनुग्रह राशि का भुगतान 24 घंटे की अंदर किया जाए।
  • विदित है राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WLPA) की धारा 5 (A) के तहत किया गया है।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति कई स्तरों पर जाँच के बाद प्रस्तावों पर विचार करती है और इसमें राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन, राज्य सरकार और राज्य वन्यजीव बोर्ड की सिफारिशें शामिल होती हैं।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति की बैठकों के दौरान, निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ सदस्यों के विचारों पर भी पूर्ण रूप से ध्यान दिया जाता है।
  • बैठक में राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक मध्यम आकार की जंगली बिल्ली ‘कैराकल’ को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित ‘वन्यजीव निवास स्थलों का विकास’ योजना के तहत संरक्षण देने के उपायों में तेज़ी लाने पर भी ज़ोर दिया गया।
  • कैराकल को लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किया जाएगा। ध्यातव्य है कि लुप्तप्राय प्रजातियों के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत अब तक 22 वन्यजीव प्रजातियों को सूची में शामिल किया गया है।

रेवाड़ी-मदार रेलखंड का उद्घाटन

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Western Dedicated Freight Corridor) के रेवाड़ी-मदार रेलखंड का वर्चुअल उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • रेवाड़ी-मदार रेलखंड की लंबाई 306 किमी. है, जिसमें से लगभग 79 किमी. लम्बाई हरियाणा के रेवाड़ी तथा महेंद्रगढ़ ज़िलों में और लगभग 227 किमी. रेलखंड राजस्थान के अजमेर, जयपुर, सीकर, अलवर तथा नागौर ज़िलों में है।
  • वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का न्‍यू रेवाड़ी- मदार रेलखंड हरियाणा और राजस्‍थान में आता है। इस कॉरिडोर में 9 नए मालवाहक कॉरिडोर स्‍टेशन हैं। इनमें 6 क्रॉसिंग स्टेशन; न्यू भगेगा, न्यू डाबला, न्यू पचार मलिकपुर, न्यू श्रीमाधोपुर, न्यू किशनगढ़ और न्यू सकून हैं जबकि 3 जंक्‍शन स्‍टेशन; न्‍यू रेवाड़ी, न्‍यू अटेली और न्‍यू फुलेरा शामिल हैं।
  • इस नए मालवाहक कॉरिडोर का उपयोग केवल माल ढुलाई के लिये ही किया जा सकेगा।
  • यह कॉरिडोर उत्तर भारत में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टक हब और दिल्ली-मुंबई के बीच औद्योगिक कॉरिडोर को जोड़ने में भी सहायक होगा।
  • इस नए मालवाहक कॉरिडोर पर मालगाड़ियों की आवाजाही शुरू होने से हरियाणा के रेवाड़ी, मानेसर, नारनौल, फुलेरा और राजस्‍थान के किशनगढ़ की औद्योगिक इकाइयों को विशेष लाभ होगा।
  • यह कॉरिडोर देशभर में किसानों तथा व्यापारियों के समक्ष विकास के नए अवसर सृजित करेगा।
  • इसके अतिरिक्त, न्यू अटेली से न्यू किशनगढ़ के बीच विश्व की पहली डबल स्टैक लॉन्ग कंटेनर इलेक्टिक ट्रेन का उद्घाटन भी किया गया, जिसे भारतीय रेल की अनुसंधान इकाई ने डिज़ाइन किया है।

 वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

  • वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू होकर देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट - जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, मुंबई तक फैला हुआ है।
  • यह कॉरिडोर उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुज़रता है।
  • कुल 1,504 किमी. लंबे इस कॉरिडोर का निर्माण 100 किमी. प्रति घंटे की अधिकतम गति को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

जम्मू-कश्मीर के लिये नई औद्योगिक विकास योजना

संदर्भ

आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिये औद्योगिक विकास हेतु एक नई केंद्रीय क्षेत्रक योजना को मंजूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिन्दु

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये रोज़गार सृजन करना है।
  • साथ ही, इसका उद्देश्य नए निवेश को आकर्षित करना और कौशल विकास एवं सतत् विकास पर बल देना है, जिससे जम्मू-कश्मीर के वर्तमान औद्योगिक इकोसिस्टम में मौलिक परिवर्तन हो सकें और जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय स्तर पर देश के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के साथ स्पर्धा करने में सक्षम हो सके।
  • इसके अतिरिक्त, इस योजना का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास का विस्तार ब्लॉक स्तर तक करना है। यह लक्ष्य किसी भी औद्योगिक प्रोत्साहन योजना में पहली तय किया गया है।
  • इस योजना की अवधि वर्ष 2037 तक निर्धारित की गई है तथा इसकी कुल लागत 28,400 करोड़ रुपए होगी।
  • इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र में प्लांट, मशीनरी या भवन निर्माण और सेवा क्षेत्र में टिकाऊ भौतिक परिसम्पत्तियों के निर्माण में निम्नलिखित प्रोत्साहन प्रदान किये जाएँगे-
    • पूंजी निवेश प्रोत्साहन
    • पूँजी ब्याज सहायता
    • जी.एस.टी. से संबंधित प्रोत्साहन
    • कार्यशील पूंजी ब्याज प्रोत्साहन
  • यह योजना छोटी और बड़ी दोनों इकाइयों के लिये है। इस योजना के पंजीकरण और क्रियान्वयन में जम्मू-कश्मीर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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