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शॉर्ट न्यूज़: 18 जनवरी, 2021

शॉर्ट न्यूज़: 18 जनवरी, 2021


5G तकनीक और भारत

लौह अयस्क नीति, 2021


5G तकनीक और भारत

संदर्भ

दूरसंचार विभाग (DoT) ने टेलिकॉम और अन्य औद्योगिक विशेषज्ञों से अगले 10 वर्षों के लिये 5G बैंड सहित रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम की बिक्री तथा उपयोग के लिये निविष्टियों (Inputs) की माँग की है।

5G तकनीक क्या है?

  • 5G इंटरनेट की पाँचवी पीढ़ी है। इसका उपयोग लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (Long-Term Evolution- LTE) की अगली पीढ़ी का वर्णन करने हेतु किया जाता है। यह तकनीक अल्ट्रा लो लेटेंसी के साथ तीव्र और अधिक विश्वसनीय संचार सेवाएँ प्रदान करती है।
  • 5G तकनीक मुख्य रूप से 3 बैंड्स में काम करती है; निम्न, मध्य और उच्च आवृत्ति स्पेक्ट्रम। इन सभी बैंड्स की उपयोग के साथ-साथ कुछ सीमाएँ भी होती हैं।
  • निम्न बैंड स्पेक्ट्रम, इंटरनेट तथा डेटा एक्सचेंज की कवरेज एवं स्पीड के मामलें में अधिक उपयुक्त है। हालाँकि, इसकी अधिकतम स्पीड 100 एम.बी.पी.एस. (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) तक सीमित है।
  • वहीं, मिड-बैंड स्पेक्ट्रम, निम्न बैंड की तुलना में उच्च गति प्रदान करता है, लेकिन इसमें कवरेज क्षेत्र और सिग्नल की गुणवत्ता निम्न बैंड की तुलना में कम है।
  • हाई-बैंड स्पेक्ट्रम बाकि बैंड्स की तुलना में उच्चतम गति प्रदान करता है, लेकिन इसमें अन्य की तुलना में बेहद सीमित कवरेज और कम सिग्नल प्राप्त होते हैं।
  • 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की स्पीड को अधिकतम 20 Gbps (सेकंड प्रति गीगा बिट्स) तक दर्ज किया गया है। जबकि, अधिकतर मामलों में,  4G में अधिकतम इंटरनेट की स्पीड 1 Gbps तक ही दर्ज की गई है।

5G तकनीक और भारत की स्थिति

  • बेहतर नेटवर्क स्पीड तथा अधिकतम सिग्नल प्रदान करने के लिये विश्व के अन्य देशों की तरह भारत ने भी वर्ष 2018 तक 5G सेवाओं को शुरू करने की योजना बनाई थी, परंतु यह सेवा अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
  • वर्तमान में भारत 5G सेवाओं को जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में प्रयासरत है। इसी संदर्भ में देश की तीनों निजी दूरसंचार कंपनियों (रिलायंस-जियो, भारती एयरटेल तथा वोडाफोन आइडिया) ने दूरसंचार विभाग से स्पेक्ट्रम आवंटन और 5G फ़्रीक्वेंसी बैंड से संबंधित एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया है, ताकि वे इस संदर्भ में अपनी योजना बना सकें।
  • हालाँकि, इसमें भारती एयरटेल तथा वोडाफोन आइडिया के समक्ष नकदी प्रवाह की कमी और पर्याप्त पूँजी का आभाव एक प्रमुख बाधा है।
  • वहीं दूसरी ओर, रिलायंस जियो ने देश में इस वर्ष की दूसरी छमाही तक स्वदेशी 5G नेटवर्क शुरू करने की योजना बनाई है।
  • 5G तकनीक भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल का एक भाग है। 460 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल इंटरनेट बाज़ार है।
  • एक अनुमान के अनुसार भारत वर्ष 2025 तक विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाज़ार बन सकता है, जिसमें से लगभग 8 करोड़ उपभोक्ता 5G तकनीक का उपयोग करेंगे।  

लौह अयस्क नीति, 2021

संदर्भ

रेल मंत्रालय द्वारा नई लौह अयस्क नीति की घोषणा की गई है, इसे ‘लौह अयस्क नीति, 2021’ नाम दिया गया है तथा यह 10 फरवरी से लागू होगी।

लौह अयस्क नीति, 2021

  • यह नीति रेल बोगियों के आवंटन और लौह अयस्क की ढुलाई का नियमन करती है। इस नीति का उद्देश्य ग्राहकों की लौह अयस्क की ढुलाई से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करना तथा इस्पात उद्योग में माल ढुलाई से जुड़ी सभी सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है।
  • रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक रेक मूवमेंट (EDRM) कार्यालय (कोलकाता), जो लौह-अयस्क यातायात के आवागमन के लिये कार्यक्रमों को मंजूरी देता है, की नई नीति में कोई नियामक भूमिका नहीं होगी। साथ ही, रेलवे द्वारा प्रलेखन की जांच को भी समाप्त कर दिया गया है।
  • नई नीति के प्रावधानों को रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) द्वारा रेक अलॉटमेंट सिस्टम मॉड्यूल में अपडेट किया जाएगा। इसके तहत ग्राहकों को प्राथमिकता दिये जाने की व्यवस्था ग्राहक की प्रोफाइल के आधार पर सिस्टम द्वारा स्वतः तैयार की जाएगी।
  • ग्राहक माल ढुलाई के लिये अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं का चयन करने के लिये स्वतंत्र होंगे। इसके लिये अब उन्हें अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  • अब ग्राहक को किसी भी प्राथमिकता श्रेणी में अपने माल की ढुलाई के लिये वचन पत्र देना होगा, जिसमें यह उल्लेखित होगा कि माल की खरीद से लेकर उसकी ढुलाई और उसके इस्तेमाल में केंद्र तथा राज्य सरकारों के नियमों और क़ानूनों का अनुसरण किया गया है।
  • घरेलू विनिर्माण से जुड़ी गतिविधियों के लिये लौह अयस्क की ढुलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
  • देश के अंदर लौह-अयस्क परिवहन ढुलाई में उन स्टील, पिग आयरन, स्पंज आयरन, पेलेट, या सिंटर प्लांट मालिकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके पास लोडिंग और अनलोडिंग दोनों की अपनी निजी साइडिंग भी हो।
  • लौह अयस्क की प्राथमिकता के आधार पर ढुलाई की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब लौह अयस्क की ढुलाई की प्राथमिकता का निर्धारण ग्राहकों द्वारा विकसित लोडिंग और अनलोडिंग की बुनियादी ढाँचागत व्यवस्था की उपलब्धता के आधार पर किया जा जाएगा ताकि लौह अयस्क की ढुलाई में तेजी आ सके।
  • आवंटन तथा माल ढुलाई के संदर्भ में नए और पुराने संयंत्रों को एक समान महत्त्व दिया जाएगा।
  • विदित है कि रेलवे के कुल माल परिवहन में लौह अयस्क दूसरा सबसे प्रमुख उत्पात है। वर्ष 2019-2020 में भारतीय रेलवे के कुल 1210 मिलियन टन माल ढुलाई में लगभग 17% हिस्सेदारी लौह अयस्क और इस्पात (53.81 मिलियन टन स्टील और 153.35 मिलियन टन लौह अयस्क) की रही।

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