शॉर्ट न्यूज़: 19 जनवरी, 2022
तकनीकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन
भारत द्वारा श्रीलंका को ऋण सहायता
भविष्य के लिये भारत को तैयार करता विजन इंडिया@2047
एकेडेमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट में संस्थाओं की बढ़ती संख्या
तकनीकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा AICTE) ने तकनीकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (National Education Alliance for Technology- NEAT) योजना की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
- इसका उद्देश्य एडटेक कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों तथा विद्यार्थियों के मध्य एक सेतु का निर्माण करना है।
- यह योजना एडटेक प्लेटफॉर्मों द्वारा पेश किये गए पाठ्यक्रमों तक सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि वाले विश्वविद्यालयों के छात्रों की पहुँच सुनिश्चित कर रही है।
- यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर आधारित है। इसका प्रमुख उद्देश्य डिजिटल असमानता को कम करना है।
- इसके तहत एडटेक कंपनियों को एक पोर्टल के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जहाँ वे अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकती हैं।
- इस पोर्टल में दो खंड बनाये गए है:
- बी-2-बी (बिज़नेस टू बिज़नेस खंड) –इसमें उच्च शिक्षा संस्थान अपने छात्रों के लिये बड़ी मात्रा में पाठ्यक्रम खरीद सकते हैं।
- बी-2-सी (बिज़नेस टू कन्ज़ूमर) खंड – इसमें ऐसे पाठ्यक्रम है, जिन्हें छात्र चुनकर पढ़ सकते हैं।
- एडटेक प्लेटफॉर्म को उनकी नीतियों के अनुसार शुल्क लेने की अनुमति दी गई है।
भारत द्वारा श्रीलंका को ऋण सहायता
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, भारत ने श्रीलंका को सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और देश की 70% विद्युत आवश्यकताओं को वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों द्वारा पूरा करने में मदद हेतु 100 मिलियन डालर की ऋण सहायता (Line of credit) प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- यह ऋण सहायता श्रीलंका में सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण में मदद करेगा। विदित है कि, भारत द्वारा दी जाने वाली लाइन ऑफ क्रेडिट की मदद से श्रीलंका ने तमिल बहुल ज़िले जाफना को कोलंबो शहर से जोड़ने के लिये एक लक्ज़री ट्रेन सेवा शुरू की है।
- इससे पूर्व, जुलाई 2020 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्रीलंका को भुगतान संतुलन के मुद्दों से निपटने के लिये 400 मिलियन डॉलर की ‘मुद्रा स्वैप सुविधा’ प्रदान की थी।
भविष्य के लिये भारत को तैयार करता विजन इंडिया@2047
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ‘इंडिया@2047' के लिये एक रूपरेखा तैयार कर रही है, जिसे इस वर्ष मई तक अंतिम रूप दिया जाना है। यह योजना 'भविष्य के लिये तैयार भारत' के दृष्टिकोण पर आधारित है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2047 भारत की स्वतंत्रता का 100वाँ वर्ष है। सरकार आगामी 25 वर्षों को ध्यान में रखकर लक्ष्य निर्धारित कर रही है।
इंडिया@2047 में शामिल प्रमुख क्षेत्र
- ‘इंडिया@2047' के लिये मुख्य रूप से कृषि, वाणिज्य एवं उद्योग, बुनियादी ढाँचा एवं शहरी अवसंरचना के साथ-साथ सुरक्षा, प्रौद्योगिकी एवं शासन की पहचान की गई है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्गठन और विलय तथा 3-4 नए बड़े बैंकों के निर्माण पर भी विचार किया जाएगा।
- 'नए युग की कृषि' में सूक्ष्म सिंचाई और जैविक कृषि का प्रस्ताव है, जो पहाड़ी क्षेत्रों के लिये अनुकूल है। यह भारत को एक शीर्ष निर्यातक बनाने में सहायक है।
उद्देश्य
- भारत के रक्षा क्षेत्र को विदेशी निर्भरता से मुक्त करना और वर्ष 2047 तक विश्व में भारत का विशिष्ट स्थान स्थापित करने के लिये रोडमैप तैयार करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विलय या पुनर्गठन से वैश्विक कंपनियों का विकास करना और सेमी-कंडक्टर कॉम्प्लेक्स विकसित करना।
- नागरिक जीवन में सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त करना।
- शहरी बुनियादी ढाँचे का विकास करना और 'भविष्य के लिये तैयार' शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वोत्तम सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के विकासशील संस्थानों, अनुसंधान निकायों एवं थिंक टैंकों को वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना।
- क्षेत्रों और राज्यों के बीच असमानताओं का आकलन करके उन्हें कम करने के उपाय करना।
- भारत में विश्व की शीर्ष 10 प्रयोगशालाओं का निर्माण करना और भारत को हरित प्रौद्योगिकी एवं कौशल के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाना।
एकेडेमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट में संस्थाओं की बढ़ती संख्या
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत सरकार ने भारतीय तकनीकी संस्थान (IITs), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIMs) तथा राष्ट्रीय महत्त्व के अन्य संस्थानों (Institutes of National Importance: INIs) को ‘एकेडेमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit: ABC) के अंतर्गत शामिल किया है।
एकेडेमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट (ए.बी.सी.)
- ए.बी.सी. एक प्रकार का डिज़िटल खाता है जो विद्यार्थियों के अकादमिक डिग्रियों को संग्रहित रखता है। इसके अंतर्गत विद्यार्थी एक संस्थान से किसी पाठ्यक्रम का 50% अध्ययन करने के पश्चात शेष का अध्ययन किसी अन्य संस्थान से भी कर सकते हैं।
- ए.बी.सी. ढाँचा छात्रों को किसी डिग्री या पाठ्यक्रम को बीच में छोड़ने और संबंधित प्रमाणन प्राप्त करने तथा एक निश्चित समय के बाद शेष पाठ्यक्रम को पुनः शुरू करने में सक्षम बनाता है।
- इसके अंतर्गत छात्रों के पाठ्यक्रम क्रेडिट को केवल शिक्षण संस्थानों के माध्यम से ही स्वीकार किया जाएगा।
अन्य प्रमुख बिंदु
- यह छात्रों को किसी पाठ्यक्रम का अध्ययन करते हुए एक संस्थान से दूसरे संस्थान में स्थानांतरण के लिये लचीलापन प्रदान करता है। कोई भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय इस ढाँचे के तहत शामिल हो सकता है।
- इससे पूर्व केवल ग्रेड A के रूप में मान्यता प्राप्त या राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क के शीर्ष 100 में शामिल विश्वविद्यालय एवं स्वायत्त महाविद्यालय ही ए.बी.सी. के साथ पंजीकृत किये जा सकते थे।