शॉर्ट न्यूज़: 20 जनवरी, 2022
नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण की समय सीमा
जम्मू और कश्मीर में कृषि-भूमि रूपांतरण के नए नियम
चीन का दक्षिण चीन सागर पर दावा असंगत
नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण की समय सीमा
चर्चा में क्यों?
चुनाव आयोग ने महामारी का हवाला देते हुए नए राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिये नोटिस की अवधि को तीस दिन से घटाकर सात दिन कर दिया है।
पंजीकरण संबंधी नियम
- निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों के पंजीकरण के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (क) के तहत जारी करता है।
- पंजीकरण के लिये इच्छुक राजनीतिक दल को अपने गठन के प्रारंभिक 30 दिनों के अंदर एक आवेदन करना होता है।
- राजनीतिक दल के प्रस्तावित नाम को आवेदक द्वारा दो राष्ट्रीय और दो स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में दो दिन प्रकाशित कराना अनिवार्य है।
- किसी आपत्ति की स्थिति में एक आपत्तिकर्ता नोटिस के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है।
नए राजनीतिक दलों का पक्ष
- नए राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के इस नियम का विरोध किया है। उनका तर्क है कि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण आवेदनों को प्रस्तुत करने में अव्यवस्था और देरी के कारण उन्हें पंजीकरण कराने में विलंब हुआ है।
- गौरतलब है कि विगत वर्ष 6 राज्यों के विधान सभा चुनावों के दौरान, महामारी के मद्देनजर इस नोटिस अवधि में आयोग द्वारा ढील दी गई थी।
जम्मू और कश्मीर में कृषि-भूमि रूपांतरण के नए नियम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, जम्मू और कश्मीर राजस्व बोर्ड ने कृषि-भूमि के गैर-कृषि उद्देश्यों में रूपांतरण के लिये नए नियमों को अधिसूचित किया है। विदित है कि राज्य के पुनर्गठन तथा भूमि राजस्व अधिनियम में विधायी परिवर्तन के पश्चात् नए नियमों को अधिसूचित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- अक्तूबर 2020 में गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर भूमि राजस्व अधिनियम, 1996 तथा तत्कालीन राज्य में भूमि के स्वामित्व, बिक्री व खरीद से संबंधित चार प्रमुख कानूनों में महत्त्वपूर्ण संशोधन किया गया था।
- नए नियम ‘जम्मू-कश्मीर कृषि-भूमि (गैर-कृषि उद्देश्यों हेतु रूपांतरण) विनियम, 2022’ के तहत ज़िला कलेक्टर को निश्चित सीमा के अंतर्गत भूमि उपयोग की अनुमति देने के लिये शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
- नए नियमों के अनुसार, भू-स्वामी को अपनी कृषि-योग्य भूमि को गैर-कृषि कार्यों, जैसे-क्षेत्रीय योजना, विकास योजना आदि हेतु प्रयोग करने के लिये ज़िला कलेक्टर की अनुमति लेनी होगी तथा भू-राजस्व अधिनियम की धारा 113-ए की उप-धारा 2 के तहत राजस्व बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित रूपांतरण शुल्क का भुगतान करना होगा।
- सहायक आयुक्त (राजस्व), अनुमंडल दंडाधिकारी और संबंधित तहसीलदार अपने-अपने क्षेत्राधिकार में इन विनियमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये उत्तरदायी होंगे।
चीन का दक्षिण चीन सागर पर दावा असंगत
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन-1982 का हवाला देते हुए दक्षिण चीन सागर (SCS) में चीन के दावों को असंगत माना है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में तथाकथित ‘नाइन-डैश लाइन’ विवाद को आधार रहित माना गया है। यह लाइन चीन द्वारा एस.सी.एस. क्षेत्र पर अपने दावे का मुख्य आधार बिंदु माना जाता है।
- विदित है कि ‘नाइन-डैश लाइन’ के अलावा चीन अपनी सीमा के दावे को मज़बूत करने के लिये चार ‘द्वीप समूहों’ (प्रतास द्वीप समूह, पैरासेल द्वीप समूह, स्प्रैटली द्वीप समूह और मैक्ल्सफ़ील्ड बैंक क्षेत्र) की भौगोलिक विशेषताओं का हवाला देता है, जो कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत आधार रेखा के मानदंडों को पूरा नहीं करता है।
नाइन-डैश लाइन
- नाइन-डैश लाइन नौ चिह्नों की एक वक्राकार रेखा है, जिसके अंतर्गत दक्षिणी चीन सागर का लगभग 90% क्षेत्र सम्मिलित हो जाता है। इन क्षेत्रो को चीन पारंपरिक क्षेत्र मानते हुए अपना दावा करता है।
- चीन के मानचित्र पर बनी नाइन-डैश लाइन (Nine-Dash Line) के अंतर्गत आने वाले जलीय क्षेत्र को ताइवान, फिलीपींस, वियतनाम, ब्रूनेई व मलेशिया के जलीय क्षेत्र ओवरलैप करते हैं।
आर्थिक महत्त्व
- यह क्षेत्र मछली पालन के साथ-साथ तेल और गैस के लिये महत्त्वपूर्ण होने के कारण काफी विवादित । इस विवाद में चीन की भूमिका सर्वाधिक है। यह चीन के बढ़ते समुद्री खाद्य (Seafood) की मांग को पूरा करने में भी सहायक है।
- इसके अतिरिक्त यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के लिये भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया का एक तिहाई समुद्री व्यापार यहीं से होता है। भारत का लगभग 55% व्यापार मलक्का जलमार्ग से होता है।