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शॉर्ट न्यूज़: 20 नवंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 20 नवंबर, 2020


भू-प्रबंधन प्रणाली (LMS)

सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग

पारस्परिक पहुँच समझौता (Reciprocal Access Agreement)

गिद्ध संरक्षण हेतु कार्य योजना 2020-2025 (Action Plan for Vulture Conservation)

भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र


भू-प्रबंधन प्रणाली (LMS)

  • रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली भूमि के सही व सम्पूर्ण प्रबंधन में सुधार को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने पहली बार रक्षा सम्पदा महानिदेशालय और सशस्त्र बलों के सहयोग से भू-प्रबंधन प्रणाली स्थापित की है।
  • इस अंतर-विभागीय पोर्टल की सहायता से भविष्य में रक्षा मंत्रालय द्वारा सम्बंधित भूमियों के बारे में प्राप्त आवेदनों को डिजिटल किया जाएगा। साथ ही आर्काइव में रखे दस्तावेज़ों और सम्बंधित आँकड़ों को भी डिजिटल स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
  • इस पोर्टल से विभाग के भूमि सम्बंधित मामलों के निपटारे में तेज़ी और पारदर्शिता आएगी। साथ ही भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) आधारित तकनीक से निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों के बीच दोहराव या अनावश्यक संचार को कम करने में मदद मिलेगी जिससे जल्द निर्णय लेने में आसानी होगी।

सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग

  • जन्म के पश्चात शिशु की गर्भनाल (प्लेसेंटा) में बचे रक्त को भविष्य में चिकित्सकीय उपयोग हेतु एकत्रित करके प्रशीतित अवस्था में संग्रहित करने की प्रक्रिया को गर्भनाल रक्त बैंकिंग कहते हैं।community-cord-blood-banking
  • सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग, स्टेम सेल्स बैंकिंग का ही एक शेयरिंग मॉडल है। इसमें माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चे के गर्भनाल रक्त को संग्रहित रखने के लिये सहमति प्रदान करते हैं। इसके लिये उन्हें निर्धारित शुल्क चुकाना होता है। इस समुदाय के सदस्य आपस में एक-दूसरे की आवश्यकतानुसार सहायता कर सकते हैं तथा किसी ग़ैर सदस्य को इसमें शामिल नहीं किया जाता है।
  • गर्भनाल के रक्त में विशेष प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं जिन्हें स्टेम सेल्स कहते है। इनमें रक्त कोशिकाओं के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है जिससे भविष्य में कई प्रकार के रोगों का निदान किया जा सकता है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2017 में लाइफ़सेल कम्पनी द्वारा शुरू की गई सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग की सहायता से महाराष्ट्र में गम्भीर रक्त विकार (अप्लास्टिक एनीमिया) से पीड़ित बच्ची की जान बचाई गई है।

पारस्परिक पहुँच समझौता (Reciprocal Access Agreement)

  • हाल ही में, जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा तथा उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन ने दक्षिणी चीन सागर तथा प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने हेतु एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • यह समझौता दोनों देशों के सैनिकों को एक-दूसरे के देशों में आवागमन, संयुक्त सैन्य संचालन और प्रशिक्षण की अनुमति देता है। साथ ही दोनों देशों के रक्षा बलों के बीच सहयोग सुविधा प्रदान कर, रणनीतिक व सुरक्षा सम्बंधों को मज़बूती प्रदान करने में मदद करेगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई सेना को ज़रूरत पड़ने पर जापानी सेना द्वारा मदद किये जाने पर भी दोनों पक्ष सहमत हुए हैं।
  • संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास तथा प्राकृतिक आपदा के समय मानवीय सहायता प्रदान करने के लिये भी यह समझौता महत्त्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलियाई और जापानी सेना के मध्य हाल के वर्षों में सहयोग और अभ्यास गतिविधियों में वृद्धि हुई है।

गिद्ध संरक्षण हेतु कार्य योजना 2020-2025 (Action Plan for Vulture Conservation)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, केंद्र सरकार ने गिद्धों के संरक्षण हेतु पंचवर्षीय कार्य योजना (2020-2025) की शुरुआत की है।

मुख्य बिंदु

  • इस कार्य योजना का उद्देश्य न केवल गिद्धों की संख्या में गिरावट को रोकना है बल्कि इनकी आबादी को सक्रिय रूप से बढ़ाना भी है।
  • भारत में गिद्धों की घटती आबादी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस कार्य योजना को शुरू किया है। गिद्ध मृत पशुओं के मांस खाकर पर्यावरण संरक्षण तथा कई बिमारियों के प्रसार को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ध्यातव्य है कि गिद्धों की घटती संख्या का मुख्य कारण उन मृत पशुओं के मांस का सेवन है, जिनमें डाईक्लोफिनेक नामक दर्द निवारक दवा के अंश पाए गए।
  • इस कार्य योजना से गिद्धों के भोजन तथा मवेशी पशुओं में ज़हरीले तत्वों को रोकने के लिये पशु चिकित्सा को नियंत्रित तथा विनियमित किया जाएगा।
  • इस कार्य योजना हेतु लगभग 207 करोड़ रुपए के प्रावधान के साथ ही महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और त्रिपुरा में गिद्धों के 5 अतिरिक्त प्रजनन केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।

अन्य तथ्य

  • केंद्र सरकार द्वारा इजिप्शियन तथा रेड-हेडेड गिद्धों के लिये संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।
  • भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियाँ रिकॉर्ड की गई हैं- ओरिएंटल व्हाइट-बेक्ड, लॉन्ग-बिल्ड, स्लेंडर-बिल्ड, हिमालयन, रेड-हेडेड, इजिप्शियन, बियर्डेड, सिनेरियस और यूरेशियन ग्रिफॉन।
  • वर्ष 1980 के दशक तक भारत में गिद्धों की आबादी लगभग 40 मिलियन थी। हालाँकि 1990 के दशक के मध्य तक इनकी संख्या में 90% तक गिरावट आ गई।

भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र

प्रमुख बिंदु

  • भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र (Centre for Land Warfare Studies: CLAWS) ने 18 नवम्बर 2020 को अपनी स्थापना के 15 वर्ष पूरे किये। भारतीय सेना से जुड़े इस थिंक टैंक की शुरुआत वर्ष 2005 में हुई थी।
  • सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सी.एल.ए.डब्‍ल्‍यू.एस. ज़मीनी युद्ध एवं रणनीतिक अध्ययन पर एक स्वायत्त थिंक टैंक है, जो नई दिल्ली में स्थित है।
  • 15 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सी.एल.ए.डब्‍ल्‍यू.एस. द्वारा ‘चीन के बढ़ते जोखिम पर विशेष ध्यान के साथ युद्ध के परिवर्तित कार्यक्षेत्र’ पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
  • इस दौरान विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में क्षमता निर्माण वृद्धि, कोर क्षमताओं को मज़बूत करने, रणनीतिक साझेदारी के महत्त्व और युवाओं के मध्य रणनीतिक संस्कृति को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया।
  • साथ ही थल सेना प्रमुख और सी.एल.ए.डब्‍ल्‍यू.एस. के संरक्षक जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने ‘स्कॉलर वारियर अवार्ड’ प्रदान किये।

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