शॉर्ट न्यूज़: 4 मार्च , 2021
स्वदेशी ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ
अभियांत्रिकी अनुसंधान नीति
भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम
स्वदेशी ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ
संदर्भ
हाल ही में, भारतीय वैज्ञानिकों ने एक कम लागत वाली ‘ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ’ को डिजाइन और विकसित किया है।
मुख्य बिंदु
- इस स्पेक्ट्रोग्राफ को ‘एरीज़-देवस्थल फैंट ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ एंड कैमरा’ (Aries-Devasthal Faint Object Spectrograph & Camera-ADFOSC)नाम दिया गया है।
- इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान‘आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़’ नैनीताल में विकसित किया गया है।
- यह स्पेक्ट्रोस्कोप देश में मौजूद खगोलीय स्पेक्ट्रोग्राफ्स में सबसे बड़ा है। इसको देश और एशिया में सबसे बड़े ‘देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप’ पर नैनीताल के पास स्थापित किया गया है।
लाभ
- यह ब्लैक होल्स से लगे क्षेत्रों के साथ-साथ ब्रह्माण्ड में होने वाले विस्फोटों में दूर अवस्थित तारों व आकाशगंगाओं से निकलने वाले हल्के व धुँधले प्रकाश के स्रोत का पता लगभग 1 फोटॉन प्रति सेकंड की दर से लगाने में सक्षम है।
- दूर स्थित आकाशीय स्रोतों से आने वाले फोटॉनों को टेलिस्कोप से संग्रहित किया जाता है तथा स्पेक्ट्रोग्राफ द्वारा इसको विभिन्न रंगों में क्रमबद्ध किया जाता है और अंततः इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड योग्य संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
- भारत में ए.डी.एफ.ओ.एस.सी. जैसे जटिल उपकरणों के निर्माण का प्रयास खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी में ‘आत्मनिर्भर’ बनने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
अभियांत्रिकी अनुसंधान नीति
संदर्भ
हाल ही में, कर्नाटक ने देश की पहली ‘अभियांत्रिकी अनुसंधान और विकास’ (Engineering Research & Development- ER&D) नीति की घोषणा की है।
उद्देश्य
- इस नीति का उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र में कर्नाटक का योगदान बढ़ाकर 45% करना है। साथ ही, इस नीति से ई.आर. एंड डी. में अगले पाँच वर्षों में 50,000 से अधिक रोज़गार अवसरों के सृजित होने का अनुमान है।
- इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य भविष्य में कर्नाटक को इस क्षेत्र में सृजित होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिये तैयार करने के साथ-साथ बौद्धिक संपदा में वृद्धि और कर्नाटक को एक ‘कौशल ज्ञान स्थल’ के रूप में विकसित करना है।
- अनुसंधान उन्मुखी टैलेंट पूल का विकास करना, इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना, शिक्षा और उद्योग के बीच अंतराल को कम करना तथा उद्योगों का विकेंद्रित विकास करना भी इसके लक्ष्यों में शामिल हैं।
- इस नीति में पाँच फोकस क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें एयरोस्पेस एवं रक्षा; ऑटो एवं उसके घटक व इलेक्ट्रिक वाहन; जैव प्रौद्योगिकी, फॉर्मा एवं चिकित्सा उपकरण; अर्धचालक, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (Electonics System Design and Manufacturing- ESDM) और सॉफ्टवेयर उत्पाद शामिल हैं।
संभावनाएँ
- नैस्कॉम के अनुसार, देश में ई.आर. एंड डी. क्षेत्र में अगले पाँच वर्षों के दौरान 100 अरब डॉलर का उद्योग बनने की क्षमता है। साथ ही, भारत में ई.आर. एंड डी. क्षेत्र में वर्ष 2025 तक 5 लाख से अधिक रोज़गार सृजन की उम्मीद है।
- देश में यह क्षेत्र 8% की सी.ए.जी.आर. (Compound Annual Growth Rate: CAGR) के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला उद्योग है।
भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम
संदर्भ
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने ‘राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान’ (National Institute of Open Schooling) के लिये भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रमों की अध्ययन-सामग्री जारी की है।
भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार के लिये किये जा रहे प्रयास
- ‘राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान’ पहले से ही भारत तथा विदेशों में भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार के लिये प्रयासरत है। इसी क्रम में अब संस्थान ने ‘भारतीय ज्ञान और परंपरा’ के आधार पर माध्यमिक तथा उच्च-माध्यमिक स्तर के लिये वैदिक अध्ययन, संस्कृत व्याकरण, भारतीय दर्शन, संस्कृत साहित्य तथा संस्कृत भाषा जैसे पाठ्यक्रम तैयार किये हैं।
- यह अध्ययन-सामग्री शिक्षार्थियों के लिये संस्कृत और हिंदी भाषा में उपलब्ध है। इसे अंग्रेज़ी भाषा में भी अनुदित किया जा रहा है। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिये इन सभी विषयों को प्रमुख विदेशी भाषाओं में अनुदित करने की योजना भी प्रस्तावित है।
- गौरतलब है कि ‘नई शिक्षा नीति-2020' में भी शिक्षार्थियों में स्व-अधिगम की भावना को बढावा देने के साथ-साथ भारतीयता के प्रति गौरव की भावना के निर्माण के लिये हमारे प्राचीन ज्ञान, कौशल व मूल्यों की पुनर्स्थापना पर ज़ोर दिया गया है।
‘राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान’
- ‘राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान’, जिसे पहले राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (National Open School) के रूप में जाना जाता था, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संस्थान है। इसकी स्थापना नवंबर 1989 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (1986) के अनुसरण में एक स्वायत्त संगठन के रूप में की गई थी।
- यह मुक्त व दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से माध्यमिक, उच्च-माध्यमिक स्तर तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में स्कूली शिक्षा प्रदान करता है।
- एन.आई.ओ.एस. ने अपने बुनियादी शिक्षा कार्यक्रम के तीनों स्तरों पर संस्कृत, हिंदी व अंग्रेज़ी माध्यमों में भारतीय ज्ञान परंपरा के 15 विषयों, जैसे वेद, योग, विज्ञान, व्यावसायिक कौशल और संस्कृत भाषा आदि से संबंधित पाठ्यक्रम तैयार किये हैं।