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शॉर्ट न्यूज़: 7 दिसंबर, 2020

शॉर्ट न्यूज़: 7 दिसंबर, 2020


भारत और अमेरिका के मध्य बौद्धिक सम्पदा पर समझौता ज्ञापन

ऑनलाइन गेमिंग व फैंटेसी स्पोर्ट्स सम्बंधी विज्ञापनों पर दिशा-निर्देश

भासन चार द्वीप (BHASAN CHAR ISLAND)


भारत और अमेरिका के मध्य बौद्धिक सम्पदा पर समझौता ज्ञापन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत और अमेरिका ने बौद्धिक सम्पदा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किया है।

समझौता ज्ञापन के प्रमुख बिंदु

  • यह समझौता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) तथा संयुक्त राज्य पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) के बीच हुआ है। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच बौद्धिक सम्पदा (IP) सहयोग का बढ़ाना है।
  • यह समझौता ज्ञापन भारत व अमेरिका के मध्य सहयोग को बढ़ाने तथा दोनों देशों में पालन की जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के संदर्भ में एक-दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करेगा।
  • यह वैश्विक नवाचार में एक प्रमुख भागीदार बनने और राष्ट्रीय आई.पी.आर. नीति, 2016 के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।

समझौता ज्ञापन से आई.पी. सहयोग में वृद्धि

  • यह एम.ओ.यू. जनता के साथ-साथ उद्योगों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान तथा विकास संगठनों और लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों के मध्य आई.पी. पर सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुभवों व ज्ञान के आदान-प्रदान एवं प्रसार की सुविधा प्रदान करेगा।
  • इससे प्रशिक्षण कार्यक्रमों, विशेषज्ञों व तकनीकों के आदान-प्रदान एवं आउटरीच गतिविधियों में सहयोग बढ़ने की भी उम्मीद है।
  • यह समझौता ज्ञापन पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेतक एवं औद्योगिक डिजाइनों के साथ-साथ आई.पी. अधिकारों के संरक्षण, प्रवर्तन तथा उपयोग के लिये आवेदन के पंजीकरण व परीक्षण प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी तथा सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करता है।
  • यह ऑटोमेशन तथा आधुनिक परियोजनाओं के विकास एवं कार्यान्वयन के बारे में भी जानकारी का आदान-प्रदान करने में सहायक होगा। साथ ही यह आई.पी. क्षेत्र में दस्तावेज़ीकरण, सूचना प्रणाली और कार्यालय सेवाओं के प्रबंधन में सहयोग प्रदान करेगा।
  • पारम्परिक ज्ञान से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों और पारम्परिक ज्ञान डाटाबेस की सुरक्षा के लिये वर्तमान आई.पी. प्रणाली के उपयोग पर जागरूकता बढ़ाने सहित विभिन्न मुद्दों को समझने के लिये भी सहयोग की उम्मीद है।


ऑनलाइन गेमिंग व फैंटेसी स्पोर्ट्स सम्बंधी विज्ञापनों पर दिशा-निर्देश

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टेलीविजन प्रसारकों को ऑनलाइन गेमिंग, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि से सम्बंधित विज्ञापनों के लिये ‘भारतीय विज्ञापन मानक परिषद्’ (ASCI) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह जारी की है।

कारण

  • ऑनलाइन गेमिंग, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि से सम्बंधित विज्ञापनों के भ्रामक प्रतीत होने, इनसे जुड़े वित्तीय व अन्य जोखिमों के बारे में सही ढंग से उल्लेख न करने सम्बंधी कई चिंताएँ है। साथ ही, ये विज्ञापन ‘केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995’ और ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019’ के तहत निर्धारित विज्ञापन संहिता के अनुरूप नहीं हैं।

विज्ञापन सम्बंधी दिशा-निर्देश

  • ए.एस.सी.आई. के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऐसे प्रत्येक गेमिंग विज्ञापन के साथ उसके वित्तीय जोखिम और गेम के आदी होने के सम्बंध में चेतावनी दी जानी चाहिये। साथ ही, इस तरह के डिस्क्लेमर को विज्ञापन में कम से कम 20% जगह दी जानी चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त, विज्ञापन में 18 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से पैसा जीतते हुए और इन गेम्स को खेलते हुए नहीं दर्शाया जा सकता है।
  • इन विज्ञापनों में ऑनलाइन गेमिंग को रोज़गार के विकल्प के रूप में और इसे खेलने वाले को अधिक सफल व्यक्ति के रूप में चित्रित नहीं किया जाना चाहिये।

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् (ASCI)

  • ए.एस.सी.आई. भारत में विज्ञापन उद्योग के लिये एक स्व-नियामक स्वैच्छिक संगठन है। इसे वर्ष 1985 में मुम्बई में स्थापित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य विज्ञापन संहिता के अनुरूप उसके स्व-विनियमन को सुनिश्चित करना है। केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत टेलीविजन नेटवर्क के लिये ए.एस.सी.आई. द्वारा निर्धारित विज्ञापन संहिता का पालन करना अनिवार्य है।

भासन चार द्वीप (BHASAN CHAR ISLAND)

  • बांग्लादेश ने अस्थाई उपाय के रूप में रोहिंग्या शरणार्थियों को कॉक्स बाज़ार से भासन चार द्वीप पर स्थानंतरित करना शुरू कर दिया है। द्वीप पर स्थानांतरित होने वाले शरणार्थी म्यांमार वापस जाने तक बांग्लादेश की मुख्य भूमि में वापस नहीं आ सकते। इस फैसले से अंतर्राष्ट्रीय चिंता उत्पन्न हो गई है।
  • भासन चार वर्ष 2006 में हिमालयी अवसादों के निक्षेपण से निर्मित बांग्लादेश की मुख्य भूमि से 60 किमी. दूर स्थित एक द्वीप है जो बंगाल की खाड़ी में मेघना नदी के मुहाने के समीप स्थित है। बांग्ला भाषा में अवसाद को चार के नाम से जाना जाता है।
  • 40 वर्ग किमी. में फैले इस द्वीप का एक बड़ा हिस्सा अभी भी समुद्र के अंदर है तथा मानसून के दौरान इसका अधिकांश भाग जलमग्न हो जाता है, जिससे यहाँ बाढ़ और चक्रवात का खतरा बना रहता है।
  • बांग्लादेश की योजना 1 लाख शरणार्थियों को नोआखाली की मुख्य भूमि से 39 कि.मी.दूर तट के करीब एक द्वीप पर स्थानांतरित करने की है।
  • ध्यातव्य है कि म्यांमार की अधिकांश जनसंख्या बौद्ध है तथा म्यांमार की सरकार हमेशा से इन रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता देने से इंकार करती रही है। कई वर्षों से जारी साम्प्रदायिक हिंसा के कारण रखाइन प्रांत से कई लाख रोहिंग्या विस्थापित हुए हैं।

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