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आदर्श संस्कृत ग्राम कार्यक्रम

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक ‘आदर्श संस्कृत ग्राम’ (Model Sanskrit Village) स्थापित करने के लिए ‘आदर्श संस्कृत ग्राम कार्यक्रम’ को मंजूरी दी है। 

आदर्श संस्कृत ग्राम कार्यक्रम के बारे में 

  • क्या है : उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई एक अभिनव पहल
  • लक्ष्य : राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक गाँव को संस्कृत भाषा एवं संस्कृति के केंद्र के रूप में विकसित करने पर केंद्रित 
  • क्रियान्वयन : उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षा मंत्रालय द्वारा 
  • आर्थिक सहयोग : सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी, दिल्ली द्वारा 
  • शामिल गाँव : भोगपुर (देहरादून), मुकेम (टिहरी) कोटगांव (उत्तरकाशी), बैजी (रुद्रप्रयाग), डिम्मर (चमोली), गोड़ा (पौड़ी), उर्ग (पिथौरागढ़), पांडेकोटा (अल्मोड़ा), सेरी (बागेश्वर), खर्क कार्की (चंपावत), नूरपुर (हरिद्वार), पांडेगांव (नैनीताल), नगला तराई (ऊधम सिंह नगर)
  • अनुभव आदान-प्रदान: भारत के एकमात्र पूर्ण संस्कृत भाषी कर्नाटक के ‘मत्तूर गांव’ की अध्ययन यात्राएँ कराना 
  • तकनीकी सहयोग: IIT रुड़की के साथ मिलकर AI आधारित परियोजनाएं और सभी संस्कृत ग्रंथों को डिजिटल रूप से संग्रहीत करके एक बड़ा भाषा मॉडल (LLM) तैयार करना

आदर्श संस्कृत ग्राम कार्यक्रम के उद्देश्य

  • संस्कृत भाषा का सर्वसुलभ एवं जीवंत उपयोग सुनिश्चित करना
  • युवाओं व ग्रामीण समाज को भारतीय दर्शन, वेद, उपनिषदों एवं पुरातन ग्रंथों से जोड़ना
  • संस्कृत को जाति, धर्म व वर्ग की सीमाओं से बाहर लाकर समावेशी भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना
  • रोज़गार के अवसर बढ़ाना और भाषा दक्षता के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
  • भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ 

  • प्रारंभिक चरण में 13 गांव: प्रत्येक जिले से एक गाँव का मॉडल संस्कृत ग्राम के रूप में चयन
  • शिक्षक की नियुक्ति: प्रत्येक गाँव में 20,000 मासिक वेतन पर एक प्रशिक्षित शिक्षक की नियुक्ति 
  • प्रशिक्षण व्यवस्था : चयनित शिक्षकों को संस्कृत अकादमी, हरिद्वार में प्रशिक्षण
  • शिक्षण सामग्री: सरल संस्कृत पाठ्यक्रम के अंतर्गत गीता, रामायण, पंचतंत्र, वेदों के अंश, दुर्गा सप्तशती आदि शामिल 
  • सामाजिक समावेशिता: मुस्लिम, दलित एवं जनजातीय समुदायों को भी भाग लेने का अवसर 
  • प्रतियोगिताएँ एवं परीक्षाएँ: गांवों के बीच प्रतियोगिताओं का आयोजन और विद्यार्थियों की नियमित परीक्षा 
  • रोज़गार से जुड़ाव: रोजगार के लिए औद्योगिक संस्थानों को जोड़ना 
  • सार्वजनिक स्थानों पर संस्कृत संकेत: सचिवालय, विधानसभा, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन आदि पर संस्कृत साइनबोर्ड लगाना 
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