New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

आचार्य विनोवा भावे

(प्रारंभिक परीक्षा- भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, आचार्य विनोबा भावे की जयंती मनाई गई। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विनोबा भावे को श्रद्धांजलि अर्पित की।

परिचय

  • आचार्य विनोबा भावे का वास्तविक नाम विनायक नरहरि भावे था। उनका जन्म 11 सितंबर, 1895 को बॉम्बे प्रान्त के गागोडे में हुआ था। इनके पिता का नाम नरहरि शंभू राव और माता का नाम रुक्मिणी देवी थी।
  • वे एक प्रसिद्ध समाज सुधारक, दार्शनिक और गांधीवादी चिंतक थे। वे महात्मा गांधी के शिष्य तथा भूदान आंदोलन के प्रणेता व संस्थापक थे। उन्होंने महात्मा गांधी को अपना राजनीतिक और आध्यात्मिक गुरु माना था। साथ ही, भारतीय ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने में प्रमुख योगदान दिया।
  • गांधीजी के सर्वोदय का पालन करते हुए उन्होंने ‘सभी की प्रगति’ के लिये कार्य किया। 1950 के दशक में सर्वोदय आंदोलन के तहत अपनाए गए विभिन्न कार्यक्रमों में भूदान आंदोलन प्रमुख था।

प्रमुख योगदान

भूदान आंदोलन

  • वर्ष 1951 में वर्तमान तेलंगाना के पोचमपल्ली गाँव के हरिजनों ने जीविकोपार्जन के लिये भूमि प्रदान कराने का अनुरोध किया। इसके लिये इन्होंने ज़मींदारों से आगे आने और भूमि दान करने का अनुरोध किया। यह भूदान आंदोलन की शुरुआत थी।
  • यह आंदोलन 13 वर्षों तक जारी रहा। इस दौरान विनोबा भावे ने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की तथा लोगों से अपनी भूमि का 1/6 भाग दान का आग्रह किया।
  • इस आंदोलन से प्राप्त भूमि का एक बड़ा भाग गरीब भूमिहीन किसानों के मध्य वितरित कर दिया गया।

स्वतंत्रता संग्राम तथा सामाजिक कार्यों में भूमिका

  • असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने आयातित विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान किया। वर्ष 1940 में गांधीजी ने उन्हें ब्रिटिश राज के विरुद्ध पहला व्यक्तिगत सत्याग्रही चुना।
  • उन्होंने महात्मा गांधी की शिक्षाओं की तर्ज पर वर्ष 1959 में महाराष्ट्र के पवनार में  महिलाओं के लिये ‘ब्रह्म विद्या मंदिर’ की स्थापना की।

साहित्यिक कृतियाँ

  • वर्ष 1923 में उन्होंने मराठी भाषा में एक मासिक पत्रिका ‘महाराष्ट्र धर्म’ का प्रकाशन किया। इसमें वेदांत (उपनिषदों) के महत्त्व व उपयोगिता पर आधारित निबंधों का संकलन किया जाता था।
  • इन्हें वर्ष 1940 में पाँच वर्ष के लिये जेल भेज दिया गया। इस दौरान उन्होंने ‘ईशावास्यवृत्ति’ और ‘स्थितप्रज्ञ दर्शन’ नामक दो पुस्तकों की रचना की।
  • उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन और तीसरी शक्ति आदि शामिल हैं।

धार्मिक क्षेत्र में योगदान

  • वे धार्मिक कर्मकांडों के कड़े विरोधी थे। उन्होंने गोहत्या पर रोक के लिये इसके प्रतिबंधित होने तक उपवास करने का संकल्प लिया। 
  • महात्मा गाँधी ने वर्ष 1925 में विनोबा भावे को केरल के एक छोटे से गाँव वैकोम भेज दिया। यहाँ हरिजनों को मंदिर में प्रवेश करने पर रोक थी। इन्होंने समाज में समानता स्थापित करने के लिये तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता के लिये मंदिरों में प्रवेश की पुरजोर वकालत की।

अन्य उपलब्धियाँ

  • वर्ष 1958 में सामुदायिक नेतृत्व के क्षेत्र में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले विनोबा भाबे पहले अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय व्यक्ति थे।
  • वर्ष 1982 में महाराष्ट्र के वर्द्धा में उनका निधन हो गया। वर्ष 1983 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X