(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत जूनियर स्तर (विशेषतः अंडर-16 एवं अंडर-15 वर्ग) में खिलाड़ियों की आयु सत्यापन के लिए अब अतिरिक्त बोन टेस्ट (अस्थि परीक्षण) करवाया जाएगा।
पृष्ठभूमि
- वर्तमान व्यवस्था में BCCI अब तक TW3 (Tanner-Whitehouse 3) पद्धति से खिलाड़ियों की अस्थियों की आयु की जांच करता है।
- इस परीक्षण के बाद खिलाड़ियों की आयु में 1 वर्ष स्वतः जोड़ दिया जाता है जिसे ‘1 factor’ कहा जाता है।
- इसका उद्देश्य अगले सत्र में उनकी पात्रता तय करना होता है।
- उदाहरण: यदि किसी खिलाड़ी की बोन ऐज (अस्थि आधारित आयु) 15.4 वर्ष है तो गणनात्मक रूप से उसे अगले सत्र के लिए 16.4 वर्ष मान लिया जाता है।
- कट-ऑफ सीमा
- लड़कों के लिए : 16.5 वर्ष (U-16)
- लड़कियों के लिए : 15 वर्ष (U-15)
नई पहल के अंतर्गत परिवर्तन
- अब यदि कोई खिलाड़ी ‘1 factor’ के कारण पिछले वर्ष अयोग्य हो गया हो, तो उसे अगले वर्ष वास्तविक अस्थि परीक्षण के आधार पर पुन: पात्रता प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
- इस परीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ी को केवल गणनात्मक त्रुटि के कारण अवसर से वंचित न होना पड़े।
- इससे वैज्ञानिक विधि के आधार पर पात्रता सुनिश्चित होगी, न कि केवल अंकगणितीय जोड़ पर।
उदाहरण
- यदि किसी U-16 पुरुष खिलाड़ी की अस्थि आधारित आयु 2025-26 में 15.4 वर्ष पाई जाती है, तो उसके लिए अगले वर्ष (2026-27) 1 साल जोड़कर आयु 16.4 मानी जाएगी।
- वह योग्य रहेगा और दोबारा टेस्ट की आवश्यकता नहीं होगी।
- यदि किसी की अस्थि आधारित आयु 15.5 या अधिक हो, तो गणनात्मक रूप से वह 16.5 या अधिक मानी जाएगी, जिससे वह अयोग्य हो जाएगा।
- नई व्यवस्था में ऐसा खिलाड़ी दूसरे वर्ष एक अन्य बोन टेस्ट करवा सकता है।
- यदि परीक्षण में उसकी वास्तविक अस्थि आधारित आयु 16.4 या कम निकलती है, तो वह फिर से योग्य घोषित किया जाएगा।
लड़कियों के लिए प्रावधान
- U-15 बालिका वर्ग में : यदि किसी खिलाड़ी की अस्थि आधारित आयु 13.9 वर्ष है, तो वह अगले सत्र में भी योग्य रहेगी।
- यदि अस्थि आधारित आयु 14 या उससे अधिक है, तो वह इस सत्र के लिए तो पात्र होगी किंतु अगले सत्र के लिए नहीं।
इस निर्णय का महत्व
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
- खिलाड़ियों को अनुचित और कठोर गणनात्मक नियमों से छुटकारा मिलेगा।
- खेल में न्याय एवं पारदर्शिता को बढ़ावा।
- खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा और प्रतिभा का नुकसान नहीं होगा।
महत्वपूर्ण पहलू
- नीति एवं शासन में वैज्ञानिकता : निर्णय यह दर्शाता है कि किस प्रकार वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर नीतियों को अधिक न्यायपूर्ण बनाया जा सकता है।
- युवा विकास एवं खेल नीति : यह कदम भारत में खेलों के प्रति समर्पित प्रशासनिक सोच एवं बाल-कल्याण की प्राथमिकता को रेखांकित करता है।
- डाटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया : इसमें डाटा एवं मानवीय हस्तक्षेप के संतुलन की एक मिसाल है।
- नैतिक प्रशासन : यह इस बात का उदाहरण है कि नीतियाँ किस प्रकार केवल नियम पालन तक सीमित न होकर, व्यक्तिगत न्याय पर भी केंद्रित हो सकती हैं।
निष्कर्ष
BCCI का यह निर्णय खेल प्रशासन में एक प्रगतिशील एवं मानवीय दृष्टिकोण का परिचायक है। यह कदम न केवल खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करेगा, बल्कि भारतीय क्रिकेट को न्यायपूर्ण, वैज्ञानिक एवं पारदर्शी दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।