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प्रशासनिक सुधार(Administrative Reforms) चुनौतियाँ, प्रमुख सुधार आयोग 

प्रशासनिक सुधार का उद्देश्य सरकार की संरचना और कार्य-प्रणाली को आधुनिक, प्रभावी और नागरिक-केंद्रित बनाना है, ताकि नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, औपनिवेशिक शासन से लोकतांत्रिक शासन की ओर संक्रमण के दौरान प्रशासनिक सुधार अनिवार्य हो गए। इस दिशा में कई आयोगों, समितियों और रिपोर्टों ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जिनमें प्रमुख हैं – गोरवाला रिपोर्ट, प्रथम और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) और होटा समिति

भारत में प्रमुख प्रशासनिक सुधार

प्रशासनिक सुधार विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों में लागू किए गए हैं। इन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

संरचनात्मक / संस्थागत सुधार (Structural / Institutional Reforms)

संरचनात्मक सुधार का उद्देश्य सरकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली और संगठनात्मक ढांचे में सुधार लाना है। इसके उदाहरण हैं:

  • प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) नीतियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार का प्रमुख केंद्रीय निकाय।
  • प्रशासनिक सुधार आयोग (ARCS)समय-समय पर प्रशासनिक ढांचे और प्रक्रियाओं का मूल्यांकन और सुधार।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार नियंत्रण और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु।

मानव संसाधन सुधार (Human Resource Reforms)

लोक सेवाओं की दक्षता और क्षमता बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं:

  • मिशन कर्मयोगीसिविल सेवाओं के कर्मचारियों के प्रशिक्षण और कार्यकुशलता को बढ़ावा देने का कार्यक्रम।
  • लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 – भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना।

नागरिक केंद्रित पहलें (Citizen-Centric Initiatives)

प्रशासनिक सुधार का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य नागरिक-केंद्रित सेवाओं का निर्माण है:

  • केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) – नागरिक शिकायतों का त्वरित निवारण।
  • नागरिक चार्टरसरकारी सेवाओं के मानक और समयसीमा का निर्धारण।
  • सेवोत्तम मॉडलसेवा गुणवत्ता और नागरिक संतुष्टि में सुधार।

तकनीक-सक्षम शासन (Technology-Enabled Governance)

डिजिटल तकनीकों का उपयोग प्रशासन को पारदर्शी, त्वरित और प्रभावी बनाने के लिए किया जा रहा है:

  • ई-क्रांतिडिजिटल भारत पहल के अंतर्गत सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण।
  • ई-ऑफिसफाइलिंग और कार्यालय प्रक्रियाओं का डिजिटल प्रबंधन।
  • ई-समीक्षानिर्णय और नीतियों की समीक्षा में तकनीक का उपयोग।

प्रदर्शन मूल्यांकन (Performance Evaluation)

प्रशासनिक सुधारों का परिणाम और प्रभाव मापने के लिए विभिन्न पहल की गई हैं:

  • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (NeSDA) सेवा वितरण की गुणवत्ता का मूल्यांकन।
  • सुशासन सूचकांक (GGI) विभिन्न राज्यों और विभागों में शासन की स्थिति का आकलन।

प्रशासनिक सुधार से संबंधित प्रमुख कमेटियाँ/आयोग

क्रमांक

कमेटी/आयोग का नाम

गठन वर्ष

अध्यक्ष/प्रमुख सदस्य

मुख्य उद्देश्य/सिफारिशें

1

गोपालस्वामी अयंगर कमेटी

1945 (स्वतंत्रता पूर्व, लेकिन प्रभावपूर्ण)

एन. गोपालस्वामी अयंगर

मंत्रालयों का पुनर्गठन और केंद्रीय प्रशासन की संरचना पर सिफारिशें। यह भारत के प्रारंभिक प्रशासनिक ढांचे को आकार देने वाली थी।

2

गोरवाला कमेटी

1951

ए.डी. गोरवाला

सार्वजनिक प्रशासन में योजना और विकास पर सुधार; प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए संगठनात्मक सुधार।

3

पॉल एच. एपलबी कमेटी

1953

पॉल एच. एपलबी

प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार; 'संगठन और प्रबंधन विभाग' की स्थापना की सिफारिश।

4

प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग (First ARC)

1966

मोरारजी देसाई (प्रारंभिक), बाद में के. हनुमंथैया

सार्वजनिक प्रशासन की समीक्षा; 20 रिपोर्टें प्रस्तुत कीं, जिनमें लोकपाल-लोकायुक्त, अनुशासनिक जांच सुधार, सिविल सेवा ट्रिब्यूनल आदि शामिल। सैन्य, रेलवे, विदेशी मामलों को बाहर रखा गया।

5

सतीश चंद्रा कमेटी

1982

सतीश चंद्रा

वित्तीय प्रबंधन और लेखा प्रक्रियाओं में सुधार; सरकारी व्यय नियंत्रण पर फोकस।

6

कोठारी कमेटी

1976

जे.पी. कोठारी

सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया में सुधार; संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की भूमिका मजबूत करने की सिफारिश।

7

होटा कमेटी

2004

पी.सी. होटा

कर्मचारी प्रबंधन और सिविल सेवाओं में सुधार; प्रदर्शन मूल्यांकन और प्रशिक्षण पर जोर।

8

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Second ARC)

2005

वीरप्पा मोइली

शासन में व्यापक सुधार; 15 रिपोर्टें, जिनमें सूचना का अधिकार, नैतिकता, ई-गovernance, संकट प्रबंधन, स्थानीय शासन आदि शामिल। नागरिक-केंद्रित प्रशासन पर फोकस।

अन्य तथ्य :-

  • प्रथम ARC (1966-70): यह भारत का पहला प्रमुख आयोग था, जिसने प्रशासन को सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप बनाने पर जोर दिया। इसकी सिफारिशों का कार्यान्वयन आंशिक रूप से हुआ, जैसे लोकपाल की स्थापना।
  • द्वितीय ARC (2005-09): वर्तमान शासन सुधारों का आधार। इसकी रिपोर्टें आज भी प्रासंगिक हैं, जैसे RTI अधिनियम और ई-गovernance। कार्यान्वयन के लिए GoM (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) गठित किया गया।
  • राज्य स्तर पर भी आयोग हैं, जैसे कर्नाटक प्रशासनिक सुधार आयोग-2 (2006), जो स्थानीय शासन पर केंद्रित है।
  • इन कमेटियों ने कुल मिलाकर 50 से अधिक सिफारिशें दी हैं, जो भ्रष्टाचार नियंत्रण, दक्षता और जवाबदेही पर आधारित हैं। 

प्रशासनिक सुधारों को लागू करने में चुनौतियाँ

भारत में प्रशासनिक सुधारों को प्रभावी रूप से लागू करने में कई बाधाएं मौजूद हैं:

  • शक्तियों का केंद्रीकरण और पदानुक्रमण
    • मंत्रियों और सिविल सेवाओं के बीच समन्वय की कमी।
  • नौकरशाही में जड़ता और भ्रष्टाचार
    • पुराने नियमों और प्रक्रियाओं की पकड़।
  • नागरिक-केंद्रितता की कमी
    • हितधारकों की सक्रिय भागीदारी का अभाव।
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण की कमी
    • आधुनिक प्रशासनिक चुनौतियों के अनुरूप प्रशिक्षण अपर्याप्त।
  • विभागों के बीच खराब समन्वय
    • विभागीय जमीनी मुद्दों और नीतियों में असंगति।
    • तीव्र सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का दबाव
  • शहरीकरण, तकनीकी परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि प्रशासन पर दबाव डालते हैं।

आगे की राह (Way Forward / Recommendations)

भविष्य में प्रशासनिक सुधार की दिशा में निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:

  • केंद्रीय सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना
    • द्वितीय ARC की सिफारिश अनुसार।
  • नागरिक-केंद्रित पहलें
    • हितधारकों और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • तकनीकी नवाचारों का उपयोग
    • ब्लॉकचेन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा एनालिटिक्स अपनाना।
  • लोक नीति शिक्षा और प्रशिक्षण में सुधार
    • प्रशासनिक क्षमता निर्माण, कार्यकुशलता और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना।
  • विभागों के बीच बेहतर समन्वय और डोमेन विशेषज्ञता
  • नीति और कार्यान्वयन में सामंजस्य।

सिविल सेवकों के लिए अन्य प्रमुख पहलें

1.राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति (National Training Policy – NTP)

  • स्थापना: 1996
  • समीक्षा: 2012
  • उद्देश्य: पेशेवर, निष्पक्ष और कुशल सिविल सेवकों का विकास करना।
  • विशेषता: यह नीति सिविल सेवा प्रशिक्षण के लिए दिशा-निर्देश और ढांचा प्रदान करती है।

2.आरंभ (Aarambh)

  • स्थापना: 2019
  • उद्देश्य: यह सिविल सेवा प्रशिक्षण के लिए पहला सामान्य फाउंडेशन कोर्स है।
  • विशेषता: नए सिविल सेवकों को प्रशासनिक कार्यों और जिम्मेदारियों के लिए तैयार करना।

3.सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मानक (NSCSTI)

  • उद्देश्य: केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों की प्रशिक्षण क्षमता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आधार तैयार करना।
  • विशेषता: प्रशिक्षण मानकों और प्रशिक्षण ढांचे में एक समानता स्थापित करना।

निष्कर्ष

  • प्रशासनिक सुधार भारत के लोकतंत्र और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • आधुनिक प्रशासन का लक्ष्य केवल नीतियाँ बनाना नहीं, बल्कि उन्हें प्रभावी रूप से लागू करना और नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप सेवाएँ प्रदान करना है। 
  • डिजिटल तकनीक, नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण और दक्ष मानव संसाधन के माध्यम से भारत प्रशासनिक सुधारों के अगले चरण की ओर अग्रसर है।
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