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भारत की कृषि निर्यात नीति क्या है?

EXPORT

  • भारत की कृषि निर्यात नीति (AEP) एक रणनीतिक पहल (Strategic Initiative) है, जिसका उद्देश्य:
    • कृषि निर्यात (Agricultural Exports) को बढ़ाना,
    • निर्यात उत्पादों और बाजारों में विविधता लाना (Diversification of Products and Markets),
    • और भारतीय कृषि को वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global Value Chains) से जोड़ना है।
  • कृषि निर्यात नीति (AEP) नीति की शुरुआत:
    • यह नीति दिसंबर 2018 में लागू की गई थी।
    • इसका मुख्य लक्ष्य था:
      • कृषि निर्यात को $30 बिलियन से बढ़ाकर $60 बिलियन तक 2022 तक पहुंचाना।

कृषि निर्यात नीति (AEP) नीति के प्रमुख उद्देश्य (Key Focus Areas):

  • निर्यात उत्पादों में विविधता (Diversifying Export Basket):
    • अधिक प्रकार के कृषि उत्पादों को निर्यात करना,
    • उच्च मूल्य (High-Value) और नाशवंत वस्तुओं (Perishable Items) जैसे फल, फूल, डेयरी आदि को बढ़ावा देना।
  • स्वदेशी और जैविक उत्पादों को बढ़ावा (Promoting Indigenous and Organic Products):
    • पारंपरिक (Traditional),
    • जैविक (Organic)
    • और गैर-पारंपरिक (Non-Traditional) कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करना।
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से एकीकरण (Integrating with Global Value Chains):
    • भारतीय कृषि को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी (Competitive) बनाना,
    • वैश्विक मांग और मानकों के अनुसार उत्पादन को ढालना।
  • गुणवत्ता और मानकों की सुनिश्चितता (Ensuring Quality and Standards):
    • अंतरराष्ट्रीय मानकों (International Standards) को पूरा करने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली (Quality Control Mechanisms) को मजबूत बनाना।
  • बुनियादी ढांचे का विकास (Infrastructure Development):
    • निर्यात को सुगम (Efficient) और तेज़ बनाने के लिए:
    • लॉजिस्टिक्स (Logistics),
    • प्रसंस्करण केंद्र (Processing Centres),
    • कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage)
      जैसे आवश्यक ढांचागत सुविधाओं (Infrastructure Facilities) का विकास करना।

भारत के कृषि निर्यात और आयात आँकड़े (Export and Import Statistics: 2023-24)

  • कृषि निर्यात (Exports)
    • वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कृषि निर्यात लगभग $50 बिलियन रहा,
    • जो पिछले वर्ष (2022-23) के $53 बिलियन से थोड़ा कम था।
  • गिरावट का कारण (Reason for Decline):
    • यह कमी मुख्यतः सरकार द्वारा चावल, गेहूं और चीनी जैसे मूलभूत खाद्य पदार्थों (Staples) पर निर्यात प्रतिबंध (Export Curbs) लगाने के कारण हुई,
    • जिसका उद्देश्य था: घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रण में रखना (Controlling Domestic Prices)
  • कृषि आयात (Agricultural Imports)
    • भारत के कुल कृषि आयात में:
    • 45% हिस्सा वनस्पति तेल (Vegetable Oil) का था,
    • 11% हिस्सा दालों (Pulses) का,
      • और 8% हिस्सा फलों और सब्जियों (Fruits & Vegetables) का रहा।

वैश्विक कृषि व्यापार में भारत की स्थिति (India's Global Share in Agri-Trade - 2022)

  • निर्यात (Exports): 2.4%
  • आयात (Imports): 1.9%
  • भारत दुनिया में कृषि निर्यात के मामले में 9वें स्थान (9th Rank Globally) पर रहा।

APEDA की भूमिका (Role of APEDA)

  • APEDA का पूरा नाम: Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण)
  • स्थापना वर्ष:-1985 में स्थापित किया गया।

APEDA के प्रमुख कार्य (Key Functions of APEDA):

निर्यात प्रोत्साहन (Export Promotion):

  • निर्धारित उत्पादों (Scheduled Products) जैसे:
  • फल (Fruits), सब्ज़ियाँ (Vegetables),
  • मांस (Meat), दुग्ध उत्पाद (Dairy),
  • और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (Processed Foods)
    के निर्यात को बढ़ावा देना।

गुणवत्ता सुनिश्चित करना (Quality Assurance):

  • उत्पादों के लिए मानक तय करना (Setting Standards) और
  • निरीक्षण (Inspection) करना ताकि गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की बनी रहे।

बाजार तक पहुँच (Market Access):

  • निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश दिलाने (Assisting Exporters to Access International Markets) में सहायता करना।
  • विभिन्न योजनाओं (Schemes) के माध्यम से सहायता प्रदान करना।

बुनियादी ढांचे का विकास (Infrastructure Development):

  • निर्यात से संबंधित सुविधाओं (Export-related Infrastructure) की स्थापना और उन्नयन (Upgradation) में सहयोग करना।

APEDA की उपलब्धियाँ (Achievements of APEDA):

  • 1987-88 में भारत का कृषि निर्यात $0.6 बिलियन था।
  • 2022-23 में यह बढ़कर $26.7 बिलियन तक पहुँच गया।
  • यह APEDA की सक्रिय भूमिका और योजनाओं का परिणाम है।

कृषि निर्यात नीति (AEP) के अंतर्गत प्रमुख योजनाएँ

व्यापार अवसंरचना सहायता योजना (Trade Infrastructure for Export Scheme - TIES)

  • यह योजना निर्यात से संबंधित अवसंरचना (Export-linked Infrastructure) को विकसित और उन्नत (Upgrade) करने के लिए सहायता प्रदान करती है।
  • इसके अंतर्गत सहायता मिलने वाले प्रमुख प्रोजेक्ट्स:
    • सीमा हाट (Border Haats) – सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार सुविधा केंद्र
    • भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (Land Customs Stations)
    • कोल्ड चेन (Cold Chain) – शीत भंडारण व्यवस्था
    • व्यापार संवर्धन केंद्र (Trade Promotion Centres)

बाज़ार पहुँच पहल योजना (Market Access Initiative - MAI Scheme)

  • यह योजना विशेष उत्पादों (Product-specific) और देशों (Country-specific) के आधार पर निर्यात बाज़ार विकसित करने पर केंद्रित है।
  • इसके अंतर्गत अध्ययन और सर्वेक्षण (Studies & Surveys) किए जाते हैं, जिससे निर्यात के अवसर (Export Opportunities) बढ़ाए जा सकें।

परिवहन और विपणन सहायता योजना (Transport and Marketing Assistance - TMA Scheme)

  • यह योजना अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई (International Freight) और विपणन (Marketing) पर खर्च को कम करने के लिएवित्तीय सहायता (Financial Support) प्रदान करती है।
  • इससे निर्यातकों (Exporters) की लागत में कमी आती है।

हालिया घटनाक्रम (Recent Developments)

1. निर्यात का विविधीकरण (Diversification of Exports)

  • मूलभूत खाद्यान्नों (Staples) जैसे चावल, गेहूं आदि पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंध (Export Curbs) के जवाब में भारत ने:
    • तेल बीज (Oilseeds),

    • फल और सब्ज़ियाँ (Fruits & Vegetables),

    • तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (Processed Foods) के निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया।

  • इनका निर्यात अब संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और यूरोप (Europe) जैसे बाजारों की ओर निर्देशित किया जा रहा है।

2. गेहूं और चावल का भंडार (Wheat and Rice Stocks)

  • 1 अप्रैल 2025 तक भारत का गेहूं भंडार 11.8 मिलियन मीट्रिक टन हो गया, जो पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक है।चावल का भंडार 63.09 मिलियन टन पहुँच गया, जो रिकॉर्ड स्तर पर है।
  • यह अधिशेष (Surplus) अब भारत को घरेलू आपूर्ति (Domestic Supply) को प्रभावित किए बिना निर्यात बढ़ाने की अनुमति देता है।

3. चावल पर निर्यात प्रतिबंध हटाना (Lifting of Rice Export Restrictions)

  • भारत ने शेष चावल निर्यात प्रतिबंधों (Remaining Rice Export Restrictions) को हटा लिया है।
  • इसका उद्देश्य कृषि निर्यात को बढ़ावा देना (Boost Agricultural Shipments) और आर्थिक विकास (Economic Growth) को समर्थन देना है।
  • प्रभाव वैश्विक चावल कीमतों (Global Rice Prices) को स्थिर कर सकता है,और अफ्रीका व पूर्वी एशिया (Africa and East Asia) के बाजारों को लाभ पहुँचा सकता है।
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