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भारत में एग्रो-टूरिज्म

(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक एवं सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

भूमिका 

  • वर्ष 2025 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ‘भारत’ में 15 कृषि-जलवायु क्षेत्र (Agro-climatic Zones) और अलग-अलग फसल प्रतिरूप हैं जिसमें सतत कृषि, ग्रामीण आजीविका एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के संचालक के रूप में एग्रो-टूरिज्म (कृषि-पर्यटन) का लाभ उठाने की काफी संभावना है जो ‘विकसित भारत @2047’ में योगदान देगा।
  • एग्रो-टूरिज्म पर्यटन को कृषि के साथ जोड़ता है जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होती हैसाथ ही, पर्यावरण अनुकूल खेती के तरीकों, सांस्कृतिक संरक्षण एवं पर्यावरण की देखभाल को बढ़ावा मिलता है।

एग्रो-टूरिज्म का महत्व

आर्थिक योगदान एवं रोज़गार

  • कृषि क्षेत्र भारत के 46.1% कार्यबल को रोज़गार प्रदान करता है और GDP में 17.8% का योगदान देता है (FY 2023-24)।
  • एग्रो-टूरिज्म किसानों, विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों (~80%) को पूरक (सप्लीमेंट्री)  आय प्रदान करता है, माइक्रो-एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है।
  • IMARC ग्रुप (2024): भारत का एग्रो-टूरिज्म बाज़ार वर्ष 2024 में USD 1,177.9 मिलियन था और 2033 तक इसके USD 4,911.9 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है जिसमें 17.9% का CAGR (2025-2033) होगा।

सतत कृषि एवं पर्यावरणीय लाभ

  • एग्रो-टूरिज्म पर्यटकों को खेती की गतिविधियों से जोड़ता है जिससे देशज कृषि, जैविक कृषि और पर्यावरण की देखभाल व प्रबंधन को बढ़ावा मिलता है।
  • यह केवल उत्पादन-केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय आय-केंद्रित कृषि रणनीतियों को प्रोत्साहित करता है जिससे छोटे खेतों के लिए दीर्घकालिक संधारणीयता बढ़ती है।
  • यह पर्यावरण अनुकूल फसल सुरक्षा और सतत कृषि प्रबंधन का समर्थन करता है, जैसा कि HIL (इंडिया) लिमिटेड द्वारा लागू UNIDO-इंडिया FARM प्रोजेक्ट (GEF-UNIDO, 2024) के तहत बढ़ावा दिया गया है।

राज्य-स्तरीय पहल एवं सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • महाराष्ट्र: एग्रो टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (ATDC) की स्थापना 2005 में हुई। इसमें 200 से ज़्यादा गाँव, 1,000 से ज़्यादा एग्रो टूरिज्म सेंटर (ATC) शामिल हैं जो 80 लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं जिसमें 500 कृषिक्षेत्र को आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त है।
  • केरल: एग्री-टूरिज्म मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (ATCOS) द्वारा फार्म स्टे, मसालों की खेती, जैविक कृषि, रिसॉर्ट, योग, नेचुरोपैथी एवं बैकवाटर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाता है।
  • सिक्किम: भारत का पहला ऑर्गेनिक राज्य ग्रामीण महिलाओं की अधिक भागीदारी के साथ एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देता है।
  • कर्नाटक: कूर्ग में कॉफी प्लांटेशन स्टे घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • पंजाब: फार्म टूरिज्म योजना पर्यटकों को कृषि जीवन शैली से परिचित कराती है, सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करती है और किसानों के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न करती है।

कृषि लचीलापन एवं वृद्धि

  • कृषि क्षेत्र ने ~5% वार्षिक की लगातार वृद्धि दर (FY17-FY23) और वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 3.5% की वृद्धि दर प्रदर्शित की है।
  • भारत दूध, दालों व मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है और फल, सब्जियां, चाय, फार्म्ड  फिश, गन्ना, गेहूं, चावल, कपास एवं चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • खाद्यान्न उत्पादन 265.05 मिलियन टन (2014-15) से बढ़कर अनुमानित 347.44 मिलियन टन (2024-25) हो गया।

सामाजिक-आर्थिक एवं सामुदायिक प्रभाव

  • एग्रो-टूरिज्म ग्रामीण समुदाय की भागीदारी को सक्षम बनाता है, स्थानीय व्यवसायों के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करता है और नौकरी एवं आय सृजन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण, पारंपरिक कला व शिल्प और स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा देता है।
  • महिलाओं और युवाओं की समावेशी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है जिससे समान लाभ सुनिश्चित होते हैं।

वैश्विक एवं नीतिगत तालमेल

  • संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ग्रामीण विकास के लिए एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं जो संयुक्त राष्ट्र-सतत विकास लक्ष्य (UN-SDGs) ‘गरीबी उन्मूलन’, ‘खाद्य सुरक्षा’, ‘उचित मजदूरी’ एवं ‘आर्थिक विकास’ के अनुरूप है।
  • ग्रामीण संसाधनों को जुटाने और संधारणीयता व लाभकारी रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचे के विकास, जागरूकता एवं कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

आगे की राह

औपचारिकीकरण एवं नीतिगत समर्थन

  • एग्रो-टूरिज्म को राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय योजनाओं में एकीकृत किया जाना चाहिए जो किसानों के लिए क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचा, डिजिटल सेवाएँ व कौशल विकास प्रदान करे।
  • संधारणीयता एवं बेहतर ग्रामीण आजीविका सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण अनुकूल आय-केंद्रित कृषि मॉडल को बढ़ावा देना चाहिए।

ग्रामीण एवं सांस्कृतिक एकीकरण

  • भारत के 6.65 लाख गांवों, विविध फसल पैटर्न और अनूठी संस्कृति का लाभ उठाकर पर्यटन अनुभव को आकर्षक बनाना
  • पर्यटक सर्किट, स्थानीय मेले, त्योहार एवं समुदाय-आधारित पहल विकसित करना

आर्थिक एवं कृषि तालमेल

  • एग्रो-टूरिज्म समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकता है, किसानों को सशक्त बना सकता है, धारणीय प्रथाओं को बढ़ावा दे सकता है और भारत को वैश्विक खाद्य नेतृत्व प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
  • स्थानीय कृषि उत्पादों की मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग को प्रोत्साहित करना, पर्यटन, आतिथ्य व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एकीकृत करना 

निष्कर्ष

एग्रो-टूरिज्म कृषि, पर्यटन व ग्रामीण विकास का संगम है जो टिकाऊ खेती, ग्रामीण आजीविका, सांस्कृतिक संरक्षण एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। नीति समर्थन, क्षमता निर्माण एवं रणनीतिक प्रचार के साथ एग्रो-टूरिज्म ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘विकसित भारत @2047’ के भारत के विजन में योगदान दे सकता है। साथ ही, UN-SDGs के साथ तालमेल बिठाते हुए समावेशी ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित कर सकता है।

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